पिताजी
घर का सारा प्यार पिताजी
बच्चों का संसार पिताजी।।
जीवन है इक उलझी नैय्या
नैय्या की पतवार पिताजी।।
मेरी ख़्वाहिश के कुछ-कुछ पर
देते सब कुछ वार पिताजी।।
जब भी आए ग़म के तूफ़ां
बन जाते दीवार पिताजी।।
माँ है देवी माना जग ने
ईश्वर का अवतार पिताजी।।
‘गुंजन’ डरना क्या मुश्क़िल से
जब हैं पहरेदार पिताजी।।
चारु अग्रवाल “गुंजन”