डाॅ उमा सिंह किसलय की कविताएं

डाॅ उमा सिंह किसलय की कविताएं

१.मैं धार हूँ नदिया की

मैं धार हूं नदिया की रंग तरंग में बहती हूं

संग संग दो किनारों के मैं बीच में बहती हूं

है जटिल बहुत पथ ये अवरोध कई पग में

धारा टकराती है हर संकट से मग में

नदिया की सनक यही सागर से मिलना है

सागर का खारापन नदिया लगी मीठा करने में

मैं धार हूं नदिया की……

जीवन की गति यही नदिया सिखलाती है

राहों में जानी अनजनी बाधाएं आती है

संघर्ष का पथ चुन लो तो राह सरल होगी

लक्ष्यभेद हुंकार लिए नदिया चेतना जगाती है

मैं धार हूँ नदिया की ….

२.बुद्ध- जागा हुआ

हजारों लड़ाई की जीत से बेहतर है,

स्वयं पर विजय।

बोली बहस विवाद से बेहतर है ,

प्रेम पर विजय ।

चिंता पछतावे बुराई से बेहतर है ,

खुश रहने के तरीके पर विजय।

काम क्रोध मद लोभ मोह की गिरफ्त से बेहतर है,

ज्ञान के प्रकाश पर विजय ।

अतीत और भविष्य की सोच से बेहतर है,

वर्तमान कर्म साधना पर विजय।

पाप और पुण्य पर बहस से बेहतर है ,

सत्य, सत्कर्म, संत साधना पर विजय।

जन्म से मृत्यु तक

असंतुष्टि की फेहरिस्त बनाने से बेहतर है,

ऋण मुक्त कर्म पर विजय।

इसलिए….

तपस्वियों की तपस्याएं सिखाती है हमें,

सत्कर्म की साधना ।

जो बुद्धि को जागृत करें वह बुद्ध,

जो रास्ता दिल में बनाएं वह बुद्ध,

जिसका जीवन दुनिया बदल दे वह बुद्ध,

जो त्याग का तपस्वी हो वह बुद्ध,

जो पंचतत्व में देव पाए वह बुद्ध,

जिसके मुख पर दिव्यप्रकाश हो वह बुद्ध ,

जो एकाग्र चिंतन में लीन हो वह बुद्ध,

जो दिखाएं मानवता को दिव्य पथ वह बुद्ध,

सुकर्म चिंतन से जागा हुआ – प्रबुद्ध बुद्ध है,

इंद्रिय नियंत्रण पर विजय।

डाॅ उमा सिंह किसलय

अहमदाबाद, गुजरात

 

 

 

 

 

 

 

1