जय श्री राम
राम जी की शरण में चले आइए
प्रेम प्रभु जी से सच्चा सभी पाइए
कौन अपना है संसार में ये कहो
राम जी के ही गुण बस सदा गाइए
राम जी सबके दुख आप हर लीजिए
और सब पर दया आप अब कीजिए
पाप सबने किए हैं बहुत ही यहाँ
पापियों को कड़ा दण्ड भी दीजिए
राम जैसे कहाँ जग में अब तात हैं
राम,शत्रुघ्न,लक्ष्मण,भरत भ्रात हैं
प्रेम सबको बराबर किया राम ने
कलयुगी भ्रात दें आज आघात हैं
राम, हनुमान के प्राण हैं, मान हैं
जानकी माँ के मारुति तो अभिमान हैं
वास है उर में बस राम के नाम का
वे हमारे पवनपुत्र हनुमान हैं
डाॅ० कामना मिश्रा
दिल्ली, भारत