डॉ जसबीर कौर की कविताएं

डॉ जसबीर कौर की कविताएं

1.नारियां

मानवता का गौरव,

वात्सल्य प्रेम सौरभ,

सृजन की मृदुल परिभाषा हैं ये नारियां

सहिष्णुता को निहित कर,

शक्ति पराकाष्ठा बन

अद्भुत करूणाकलित अभिलाषा हैं ये नारियां।

मानवता का गौरव…..

 

जीवन सुरभित करें ,

प्रेम सानिध्य बन

पीयूष शक्ति सी ,जग उत्थान करें नारियां

ईश की ये प्रतिध्वनि, धर रूप अनेक,

हर भूमिका का अप्रतिम सम्मान करें नारियां।

मानवता का गौरव…..

 

कभी सीता, सावित्री,

तो कभी गार्गी, मैत्री बन ,

वीरांगना सेनानी बन, भू अलंकृत करें नारियां

कांता, वनिता, शक्ति,शौर्य, प्रेम,स्नेह स्त्रोत ,

धरा के कण कण को अनुग्रहित करें नारियां।

मानवता का गौरव, वात्सल्य प्रेम सौरभ, सृजन की मृदुल परिभाषा हैं ये नारियां।

 

2.नैना खामोशी से…

 

समुंदर सी कभी ये नीर में हमको डुबाती है,

कभी ग़म के कभी खुशीयों के लोचन गीत गाती हैं,

कि‌ सच कहते हैं नैना खामोशी से गुनगुनाती हैं,

कि सच कहते हैं आंखें एक सखी सी सब कह जाती हैं।

 

मन‌ के भाव‌ उद्गारों को नैना यूं दर्शाती है,

कभी मायूस तो कभी प्रीत के सपने दिखाती है ,

कि‌ सच कहते हैं नैना खामोशी से गुनगुनाती हैं,

कि सच कहते हैं आंखें एक सखी सी सब कह जाती हैं।

 

कभी फरियाद इनमें ,तो कभी उम्मीद होती है,

कभी यादें,कभी प्रियतम की इनमें प्रीत होती है ,

कभी आइने सी हमको हमीं से ये मिलाती हैं,

कि‌ सच कहते हैं नैना खामोशी से गुनगुनाती हैं,

कि सच कहते हैं आंखें एक सखी सी सब कह जाती हैं।

 

कि जब उठती हैं,सूरज की किरणों सी रोशनी हैं ये,

कि जब झुकती तो चंदा की कोमल सी चांदनी हैं ये,

कभी कुछ व्यक्त करतीं,हाले दिल को ये जताती हैं,

कि‌ सच कहते हैं नैना खामोशी से गुनगुनाती हैं,

कि सच कहते हैं आंखें एक सखी सी सब कह जाती हैं।

 

कभी चक्षु में सपने , चैनों सुकून या कोई दुआ,

कभी नैनों में दिल को व्यक्त करती मौन की अदा‌ ,

कभी जीवन को मानो एक दुल्हन सा ये सजाती हैं,

कि‌ सच कहते हैं नैना खामोशी से गुनगुनाती हैं,

कि सच कहते हैं आंखें एक सखी सी सब कह जाती हैं।

 

डॉ जसबीर कौर

दिल्ली, भारत

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