दीप जलायें
कोई न होअन्धविश्वासी
ऐसे मानव को सजग बनायें,
आओ नव सृजन कर एक युग बनायें,
कोई भूखा न सोये
ऐसा कुछ कर जायें
आओ मिल दीनमुक्त
बान्धव बनायें,
कोई गरीबी में न जीये,
ऐसा निर्धन मुक्त देश बनायें,
आओ मिलकर समृद्ध समाज बनायें,
कोई न रहे अनपढ़
ऐसा ज्ञान -अलख जगायें,
आओ मिल अज्ञानता भगायें,
कोई इन्सान न रहे लाचार
ऐसा कोई मुहिम चलायें,
आओ मिल जुल कर बेबसी भगायें,
कोई न रहे अकेला
परिवार का ही हो, ऐसा अहसास करायें
आओ बसुधा को ही कुटुम्ब बनायें,
कोई भी बुजुर्ग न हो अपमानित
ऐसा परिवार बनायें
आओ उन्हें सम्मान दिलायें,
कोई न हो रूग्ण
ऐसा कोई नुस्खा लायें
आओ मिल स्वस्थ समाज बनायें,
कोई न करे गुनाह
ऐसा सच्चा इन्सान बनायें
आओ मिल अपराध-मुक्त धरा बनायें,
इस दिवाली में तम दूर कर
जग प्रकाशित कर, स्नेह बढ़ायें
आओ मिलकर दीप जलायें।
डॉ रजनी दुर्गेश
हरिद्वार