एक दिन का सांता

एक दिन का सांता

एक ही दिन सही चाहे कुछ पल सांता बन किसी के चेहरे की मुस्कान बन जाइए।मैरी क्रिसमस

इसके साथ यह बताना ज़रुरी की जिंदगी के इस कारवां में बहुत किस्से हैं आपके हमारे, याद हैं बच्चें दोनो ही छोटे थे,तब बड़े दिन की तैयारी शुरू हो जाती थी,बच्चे दोनो ही मनपसंद ख़्वाहिशें लिख कर रखते उन्हें यह यकीन था कि सांता उनकी हर ख़्वाहिश पूरी करेंगें, हम भी उन मासूम ख्वाहिशों को पूर्ण करने में कोई कसर नही छोड़ते, उनकी मनपसंद चीज़े उन्हें २५ की सुबह या २६ की सुबह मिल ही जाती थी,एक बड़ा सा बैग होता उसमें उनका मनपसंद खिलौना या जो उनकी फ़रमाईश होती वह रखी होती थी,छोटे छोटे जुराबों मे भी कुछ न कुछ ज़रूर होता, पता है वह मुस्कान हम दोनों को एक सुखद तृप्ति देती थी,एक निश्चित आय के साथ उनकी हर इच्छा पूरी करना कर्तव्य भी औऱ पल भर के लिए उनके सांता भी बन जाते थे,
आज बच्चे बड़े हो गए उन्हें सांता का सच पता चल गया,अब वे इस दिन सुबह उठकर हम दोनों के पैर छूते हैं सुबह की चाय औऱ हम दोनों का मनपसंद केक देकर हम दोनों को बड़े दिन की शुभकामनाएं देते हैं ,”अरे यह क्यों”?
तो उनका जवाब होता हैं “हमारे सांता तो आप दोनो ही हो न,”

मन ख़ुश हो जाता है अरे अरे रुकिए एक बात आज बताना बहुत ज़रूरी समझती हूँ ,जरा मेरी शुरुआती पँक्तियों को गौर से पढ़िएगा आप सभी, हम हर साल बच्चों को लेकर अलग अलग एरिया में जाकर छोटे बच्चों को उनका मनपसंद खाना खिलाते थे अपने सामर्थ्यनुसार, औऱ एक बड़ा सा केक भी काटा जाता था,वह पल भर की मीठी मासूम मुस्कान मेरे बच्चों ने सहेज ली,हर बड़े दिन की तरह इस बार दोनों भाई निकल पड़े हैं पल भर के सांता बन एक नई गली,पर आज केक नही है, आज उनकी पोटली ने बहुत सारे स्वेटर्स दिख रहे, कुछ बड़े है तो कुछ छोटे और कुछ खाने के पैकेट्स बिस्कुट भी है,आज गर्वित होती हूँ उनको सांता बन देख,क्योंकि मेरा सांता उनके संग हो चला है, अच्छा लगता हैं, माँ का एक बात कहना हर बड़े दिन वह मुझे टिफ़िन ज़रा बड़ा दिया करती थी,वसु आज किसी गरीब बच्चे को यह खिला देना,अच्छा लगता हैं वह मेरी सांता बन मुझें भी एक दिन का सांता बना दिया करती थी….,

शाम को तुलसी पूजन भी नही भूलती थी,पाश्चात्य संस्कृति के बड़े दिन में सज़ा वह क्रिसमस ट्री औऱ तुलसीजी के साथ प्रज्वलित दिया जिंगल बेल का वह मधुर संगीत के साथ वातावरण को पवित्र करती तुलसी वंदना यक़ीनन बेमिसाल हैं।आप सभी को बड़े दिन के साथ तुलसी विवाह की शुभकामनाएं।

सुरेखा अग्रवाल
साहित्यकार
लखनऊ, उत्तर प्रदेश

0
0 0 votes
Article Rating
315 Comments
Inline Feedbacks
View all comments