चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की संदेहास्पद भूमिका
आज पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है।यह महामारी चीन के वुहान शहर से शुरू होकर पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया।लक्षण देखें तो तेज बुखार सरदर्द, बदन दर्द, निरन्तर खाँसी, स्वास नली में संक्रमण तथा सांस लेने में तकलीफ इसके मुख्य लक्षण है। इसकी न कोई दवा न टीका न कोई इलाज का साधन अब तक उपलब्ध हो पाया है । एंटी वायरस के प्रयोग से ठीक होने में 15 दिन का वक्त लग सकता है ।दवा के सेवन के वाबजूद कभी कभी ठीक होने की संभावना भी क्षीण रहती है। ।अकेले अमेरिका में ही इस वायरस से 14 लाख लोग पीड़ित हैं 88,333 हजार की मौत हो चुकीं हैं।
भारत मे यह महामारी फरवरी मध्य में प्रवेश किया जब ट्रंप भारत की यात्रा में थे।इस महामारी को लेकर तमाम तरह के अटकलें भी लगाई गई । इन अटकलों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO पर आरोप लगे कि वह सही समय पर विश्व को इस महामारी की जानकारी नही दी न ही चीन को चेतावनी ही दिया बल्कि प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से भी चीन की तरफ़दारी की ।न सही समय मे अपनी प्रतिनिधि मंडल चीन भेजकर इस बीमारी पर आवश्यक शोध कार्य किया न सही जानकारी प्राप्त कर वैश्विक स्तर पर महामारी घोषित किया ।अपितु चीन की तरफदारी करते हुए विश्व से इस महामारी को छुपाया और न चीन पर कोई पाबंदी लगाई ।
ट्रंप ने कोरोना वायरस के फैलने में WHO की भूमिका की जाँच शुरू की और संगठन पर महामारी के दौरान चीन का पक्ष लेने का आरोप लगाया यहाँ तक कि इस संगठन को चीन की हाथों की कठपुतली बताई। इससे साफ पता चलता है कि वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के चीन की तरफदारी से खुश नही हैं।ट्रंप द्वारा लगाए गए आरोप कितना सही है यह खुफिया एजेंसियों की जांच से ही पता चलेगा ।लेकिन इस महामारी से निपटने के तरीके को लेकर WHO की कई जगह कड़ी निंदा भी हुई।
प्रश्न ये है कि क्या WHO चीन से डरता है ।राजनीतिक जानकारों के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन पर चीन का साथ देने का आरोप लगा है ।।कई ऐसे मामले का पर्दाफाश हुआ है जिससे ट्रंप सरकार WHO पर नाराज होकर फंड बंद करने का ऐलान कर चुके है क्योंकि अमेरिका ही सबसे अधिक फंड इस संगठन को देता आया है।
अमेरिका के विदेश मंत्री माइक मोम्पियो ने अपने दावे में ये कहा इस बात का पक्का सबूत उनके पास है कि चीन के वुहान मार्किट से ही कोरोना वायरस फैला और पूरी दुनियां से चीन ने इसका डेटा छुपाएं रखा ।
इस वायरस से जहां अमेरिका में 14 लाख से ज्यादा लोग पीड़ित हैं वहीं 88,333 हजार से ज्यादा लोगो की मृत्य हो चुकी है।
जर्मनी के एक समाचार पत्र ‘डेरे स्पाइजेल’ ने भी दावा किया कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और विश्व स्वास्थ्य संगठन के बीच मिलीभगत है जिसका बड़ा खुलासा रिपोर्ट में हुआ ।ये भी दावा किया गया कि जिनपिंग ने जनवरी में WHO के महानिदेशक डॉ टेड्रोस को निजी रूप से कोरोना वायरस को लेकर वैश्विक चेतावनी के लिए जल्दीबाजी न करने को कहा था ।
लेकिन चीन ने इस आरोप की एक सिरे से खारिज कर दिया ।
हलाकिं चीन ने अपनी बात स्पष्ट करते हुए कहा कि 31 दिसंबर को ही WHO को स्पष्ट जानकारी दी थी कोरोना संक्रमण इंसानों से इंसानों के बीच फैल चुका है इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसकी जांच के लिए टीम भेजने की कोई जल्दीबाजी नही की जबकि कोविद 19 महामारी के रूप में पूरी दुनियां में फैल चुका था।डॉ टेड्रॉस और उसकी टीम इसे वैश्विक महामारी घोषित करने में असफल रहें । उन्हें ये डर था कि चीन नाराज न हो जाएं।बल्कि तमाम देशो से अपील भी की कि चीन की विदेशी यात्रा पर पाबंदी न लगाएं या अन्य प्रतिबंध लगाकर चीन को बदनाम न करें।जबकि चीन ने अपने यहाँ विदेशियों का आगमन रोक दिया पर अपने देशों से विदेशी उड़ानें जारी रखी ।
नवंबर 19 में ही चीन में 80 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके थे और 30 हजार से अधिक लोगो की जाने जाने की पुष्टि हुई थी । फिर भी चीन ने इस महामारी पर पर्दा डाल दिया और विश्व स्तर पर गलत जानकारी फैलाने का व्यापक अभियान भी चलाया ।इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने खुलकर चीन के हितों का बचाव किया । कई देशो ने ये दावा भी किया कि कोविद 19 विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद से चीन लोगो की सेहद को गुलाम बना रहा है ।
न्यूज एजिंसियों के हवाले से ये बात भी सामने आई कि ताइवान ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को इस बात की पहले ही चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस इंसानों से इंसानों के बीच फैल सकता है।लेकिन ताइवान की बात नही मानी गई क्योंकि वह इस संगठन WHO का सदस्य नहीं हैं।
यह भी जानकारी सामने आई कि पांच देशो के इंटेलिजेंस समूह ने अपनी जानकारी में कहा -चीन कोरोना वायरस पर अपने मुखबिर को ग़ायब कर दिया। वायरस के पहले के सैंपल नष्ट कर दिया और इंटरनेट से वायरस से जुड़ी सारी जानकारियों को नष्ट कर दिया । पांच देशो में इंटेलिजेंस समूह में अमेरिका ,यूनाइटेड किंगडम, ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और न्यूजीलैंड शामिल था ।ट्रंप ने बार बार आरोप लगाया कि चीन जो कहता है WHO वही करता है हमारा देश इस संगठन को 450 मिलियन डॉलर का अनुदान करता है जबकि चीन केवल 38 मिलियन राशि ही योगदान देती है ।
लॉकडाउन के वाबजूद महामारी अपने चरम पर है ।आज की जानकारी के मुताबिक दुनियाभर में कोरोना वायरस से लगभग 42 लाख लोग संक्रमित पाए गए है और 2 लाख 94 हजार की मौतें हो चुकी हैं ।जो प्रतिदिन बढता ही जा रहा है ।
आइये हम जान लें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका क्या है।”विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका को भी हम संक्षिप्त रूप से जान लें ।विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO संयुक्त राष्ट्र संघ की एक विशेष एजेंसी है जिसका उद्देध्य अंतराष्ट्रीय स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना व पीड़ित राष्ट्र को जरूरी कोष एवं जरूरी उपकरण उपलब्ध कराना भी है ।गरीबों की सेवा ही मुख्य उद्देश्य है। हैजा, पीतज्वर , प्लेग जैसे संक्रामक रोग के बचाव व रोकथाम करने के लिए समय समय पर विश्व स्तर पर अभियान चलाती है लोगो को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करती है । ।दुनियाँ भर में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखना तथा उसे सुलझाने में मदद करना भी इसका मुख्य उद्देश्य है ।इसकी स्थापना द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 7 अप्रैल 1948 को जिनेवा में हुआ जिसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड में है।इसके वर्तमान निर्देशक इथोपिया के डॉ टैड्रोस एड्रेनोम है। इसमें 144 सदस्य देश है और दो संबन्ध सदस्य हैं। भारत भी WHO का इकाई सदस्य हैं । इसका मुख्यालय दिल्ली में है।
इसका मुख्य काम दुनियाँ भर में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखना और उसे सुलझाने में मदद करना है । संक्रामक रोगों को जैसे कुष्ठ स्थानीय महामारी, सिफलिस आंखों से संबंधित रोग टेकोना आदि जड़ से खत्म करने के लिए बड़े पैमाने पर अभियान चलाती हैं और इसे समूल नष्ट करने में सफलता हासिल की है । ।समय समय पर जीवन शैली से होने वाली बीमारी की रोकथाम करने का अभियान चलाती है जैसे 1993 में HIV एड्स की रोकथाम संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर वैश्विक स्तर पर जागरण अभियान चलाया था ।
पूरी दुनियां में लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना इसका मुख्य उद्देश्य है ।इसी उद्देश्य से 7 अप्रैल 1950 से प्रतिवर्ष ‘विश्व स्वास्थ्य दिवस ‘का आयोजन किया जाता है इसके अलावा भी समय समय पर ‘क्षय रोग दिवस’ प्रतिरक्षा दिवस ‘कैंसर उन्मूलन दिवस ‘बच्चों के लिए टीकाकरण के लिए प्रतिबद्ध है।विश्व के स्वास्थ्य के प्रति इसकी बड़ी जिम्मेदारी है ।
वर्तमान समय मे कोरोना महामारी के पूरे विश्व मे फैलने से WHO की भूमिका पर कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए । अन्य देशों को यही उम्मीदे थी कि यदि समय रहते ही इसे महामारी घोषित कर दिया जाता तो इसकी रोकथाम की जा सकती थी और इतने मौतें नही होती ।पूरी दुनिया में इस संक्रमण को रोकने के लिए सबसे असरदार उपाय लॉकडाउन है लेकिन उससे अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।लेकिन चीन ने इसमें भी अपने अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में लगा है जिससे उसपर संदेह और गहरा होता जा रहा है।
प्रेमलता ठाकुर
वरिष्ठ साहित्यकार
जमशेदपुर, झारखंड