महापर्व छठ
कितनी विस्तृत हमारी संस्कृति
जब समझे होंगें जन आदित्य को
जाना होगा प्रकृति का उपहार
जग जीवन के लिएआता प्रकाश
कहते हैं द्रौपदी जब हुई हताश
महाभारत का भीषड़ विनाश
किया संकल्प पावन हृदय से
संतान रक्षा जय हेतु करूँ तप
किया महापर्व छठ पूजन विशेष
सुहासिनी ने मांगा सुवरदान
विनती करूँ हे आदित्यनाथ
है ये कठोर पर्व तप मनोहर
प्रसन्न आदित्य दिए आशीष
विधि में पवित्रता है अनिवार्य
निर्जल तन मन से होये मनुहार
छठी माता से अनुनय विनय
गाये गीत हे छठी मईया रानी
अखंड राखिये मेरा अहिवात
परिवार रिश्ते सखियों के संग
पीली लाल हो साड़ी प्यारी
भरी माँग श्रृंगार सुकोमल नारी
पुरुष भी बढ़ करते व्रतअनोखा
दृढ़ संकल्प कर जोड़े जल में ठारी
सजा बाँस का सुंदर डलिया सूप
रीतू फल ठेकुआ शुद्ध सजावट
कोसी भर दीप होये सुशोभित
स्वच्छता आवश्यक जलघाटों का
मेला नदी तट उत्सव है सबका
अर्ध्य देते गौ दुग्ध या जल भर
अस्त हो रहे हो हे सुर्य देव
कल फिर जीवन में ज्योति लाना
ममता का दान आँचल भर जाना
दुख अशांति पीड़ा दूर भगाना
आशाओं के अनुपम दीप जलाना
प्रात: अर्ध्य उगते आदित्य का
आभार प्रभु जी का हैं करते
जल वायु प्रकाश ज्योतिर्मय
प्राणी के हैं जीवन सुधा
सहयोग भरा है ये महापर्व
आवश्यकता इनकी है हर पल
ज्ञान यही पावन छठ पर्व देता
सत संयम त्याग तप स्नेह
तब चमकती है जीवन रेखा
माँगे हे सूर्यआदित्य हे छठी माते
सर्व जीवन में आशीष बरसाना
रक्षा करना सौभाग्य दमकाना
परिवार स्नेह सदा जोत जलाना
यही है धरोहर हर प्राणी का
तभी शोभित समाज भारत अनुपम !
डॉ आशा गुप्ता ‘श्रेया ‘
जमशेदपुर, झारखंड