श्रद्धांजलि

वह कैसे नवयुवक थे
जिन्हें चाहिए थी
आजादी
हर हाल में
हर कीमत पर
उन्हें चाहिये थी
आजादी

वह दूसरो युवकों से थे अलग
नायको में नायक थे
जिन्हें चाहिए थी
हर हाल में
हर कीमत पर
आजादी

उनकी चाहत
न कोई हीर थी
न लैला
उनकी चाहत थी
हर हाल में
हर कीमत पर
मां भारती की थी
आजादी

उनकी आँखों में न थे
सपने अपने सुनहरे भविष्य के
बस
एक ही सपना
एक लक्ष्य
करोड़ो भारतवासियों के लिए
हर हाल में
हर कीमत पर
उन्हे चाहिए थी
आजादी

वह जानते थे इस युद्घ में
हार ही है परिणाम
पर बचाने को अपना सम्मान
देना होगा अपने हिस्से का बलिदान
उन्हें चाहिए थी
हर हाल में
हर कीमत पर
आजादी

वह भक्त थे
आजादी के
उनकी कोशिशों में थी
आजादी
उनका लगन भी थी
आजादी
और उनका प्रण भी थी
आजादी

वह जन्म से नहीं थे
आजाद
कर्म से आजाद रहे
हर हाल में
हर कीमत पर
युगों युगों तक रहेंगे
आजाद

शत् शत् नमन
उस हौसले को
उस विचार को
उस बलिदान को
जो हमेशा रहे आजाद
समझा गए हैं किम्मत
आजादी का

अर्पणा संंत सिंह

Editor

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