कोरोना और सकारात्मकता

कोरोना और सकारात्मकता जीवन है तो सुख-दुःख, आशा-निराशा, ऊँच-नीच, जय-पराजय भी है. सुख-दुःख के घर्षण से ही ज्योति उत्पन्न होती है. जीवन संघर्षों का पर्याय है. कभी महारोगों-महामारी का संघर्ष तो कभी विचारों का, कभी आर्थिक तो कभी पारिवारिक संघर्ष झेलने होते हैं . प्रकृति का नियम है कि कोई भी स्थिति ज्यादा दिन नहीं…

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लॉकडाउन के पश्चात रोजगार और व्यवसाय के नये अवसर

“लॉकडाउन के पश्चात रोजगार और व्यवसाय के नये अवसर” “खेती न किसान को भिखारी को न भीख भली, वनिक को वनिज न चाकर को चाकरी। जीविकविहीन लोग सिद्यमान सोच बस, कहैं एक एकन सो ‘कहाँ जाइ का करी’।।” तुलसीदास ने भले ही ये पंक्तियां सोलहवीं शताब्दी के परिस्थितियों को देखते हुए रचा हो किन्तु ये…

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जीवनशैली में बदलाव -कोविड19

जीवन शैली में बदलाव- कोविड 19 यदि हम गूगल में खोजें कि कोरोना वायरस क्या है, इसकी उत्पत्ति कहाँ से हुई, इसका संक्रमण कैसे होता है, संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है, फलां फलां तो पलभर में इन सबके जवाब हमें मिल जाएँगे लेकिन यदि हम खोजें कि कोरोना संक्रमण कब रुकेगी, दुनिया कब…

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क्या खोया क्या पाया

क्या खोया क्या पाया (इस लॉकडाउन में) विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण जिस दिन पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की गई, लगा जीवन थम गया। जीवन की बिल्कुल ही नई परिस्थिति और डर ने मिल कर एक अजीब सा माहौल बना दिया था जो खुशगवार तो नहीं था, सबकुछ उलट पुलट सा गया था।…

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सोशल डिस्टेंसिंग और सोशल नेटवर्किंग

सोशल डिस्टेंसिंग और सोशल नेटवर्किंग वैश्विक बीमारी कॉरोना ने आज विश्व की तमाम जनसंख्या को घर की चारदिवारी में क़ैद करवा दिया है । ” सोशल डिस्टेंसिंग ” आम बोलचाल का शब्द हो गया है , जिसका अर्थ भी सबको समझ में आ रहा है । समाज में पिछले कुछ वर्षों के प्रचलन पर ध्यान…

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मानवता और सामाजिक बदलाव

मानवता और सामाजिक बदलाव..! कोरोना एक वैश्विक महामारी ही नहीं है बल्कि समस्त विश्व के समक्ष एक चुनौती है।यह केवल मानव जीवन को ही नहीं बल्कि मानव सभ्यता द्वारा निर्मित प्रत्येक क्षेत्र पर घातक प्रहार कर रहा है।कोरोना से बचाव के लिए न कोई दवाई हैं और ना ही कोई वैक्सीन।इससे बचाव का एकमात्र उपाय…

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चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की संदेहास्पद भूमिका

चीन और विश्व स्वास्थ्य संगठन की संदेहास्पद भूमिका आज पूरा विश्व कोरोना महामारी की चपेट में है।यह महामारी चीन के वुहान शहर से शुरू होकर पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया।लक्षण देखें तो तेज बुखार सरदर्द, बदन दर्द, निरन्तर खाँसी, स्वास नली में संक्रमण तथा सांस लेने में तकलीफ इसके मुख्य लक्षण है।…

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रोटी ,कपड़ा और मकान

रोटी ,कपड़ा और मकान कदम बढ़ चले कदम ना चिलचिलाती धुप ना भींगने का डर. सर्द हवाएं भी नही हिलाती दम नही चुभती मिलता जो भी हो दर्द लिंग से परे पत्थर तोड़े या चढ़ जाएँ ऊँची इमारते ना अँधेरे का भय बहुत कुछ को नकारते हमसब हैं निकलते हंसते खिलखिलाते अपने खोली से अपनी…

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बदलाव

बदलाव सोनम अपने बेटे के साथ घर का कुछ जरुरी सामान लेने निकली । कार में बैठते ही बेटा बोला मम्मी आज इडली बनायेगें,कल पाव भाजी ,और परसों…तरसों का सामान भी गिनवाने लगा। मैंने कहा ठीक है बेटा जो खाना हो एक ही बार लें लो आज ही सारा सामान, इस बंद के समय मैं…

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साथी हाथ बढ़ाना !

साथी हाथ बढ़ाना ! श्रमिक हमारी सभ्यता-संस्कृति के निर्माता भी हैं और वाहक भी। हजारों सालों तक मनुवादी संस्कृति ने उन्हें वर्ण-व्यवस्था के सबसे निचले पायदान पर रखा। उन्हें शूद्र, दास और अछूत घोषित कर उनके श्रम को तिरस्कृत करने की कोशिश की गई। सामंती व्यवस्था ने गुलाम और बंधुआ बनाकर उनकी मेहनत का शोषण…

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