मैं और मेरी दुनिया

मैं और मेरी दुनिया अति उल्लास से आत्मकथा लिखने बैठी थी । पहले तो लगा कि आज लॉटरी निकल गयी । स्व- कथा लिखनी है । लेखनी को गति मिल जाएगी । आज आत्म- जीवनी लिख सभी को बता दूंगी कि हमने किला फ़तेह कर ली । अपनी गाथा से चकाचौंध कर दूंगी दुनिया को…

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बचपन: उजला पक्ष

बचपन: उजला पक्ष उम्र के इस पड़ाव पर बचपन याद करना अच्छा लग रहा है। मेरा जन्म अपने बाबा के घर गोरखपुर में हुआ। हमारे बचपन में घर में खाने-पीने की सामग्री भरपूर होती थी मसलन दाल-चावल, आटा, दूध-दही मगर सजावट या प्रदर्शन के नाम पर कुछ नहीं था। हम बहुत अमीर नहीं थे पर…

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पहला झरोखा (मैं और नानी)

पहला झरोखा (मैं और नानी) मैं शायद पाँच साल की… खड़ी हूँ नानी के साथ। चेन्नई का मैलापुर इलाक़ा। स्त्री, पुरुष, युवा सभी कीमती रेशमी कपड़ों में सजे, मैं और नानी सामान्य पर पारम्परिक वस्त्रों में…नानी नौ गज की साड़ी में, मैं सूती पावाड़ा में। सामने मंच पर सुर बद्ध चार संगीतकारों के समूह में…

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पटना विमेंस कॉलेज और मेरा क्रिकेट का खेल

पटना विमेंस कॉलेज और मेरा क्रिकेट का खेल साल १९७६: मैट्रिकुलेशन के रिजल्ट आ गए थे . मार्क्स बहुत अच्छे थे और लगता था पटना साइंस कॉलेज में एडमिशन हो जायेगा . घर में इसकी चर्चा थी. घर में लोग मुझे डॉक्टर का करियर चुनने की सलाह दे रहे थे.पहले से भी मेरे अपने चाचा…

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मेरी कहानी

मेरी कहानी आत्मकथा ! कैसा विचित्र सा शब्द है ? आत्मा तो शाश्वत है, अनादि है अनंत है। स्वयं पूर्ण ब्रह्म है । उसकी क्या कथा हो सकती है? मेरी, तेरी, सारे जीव-जंतु की यहाँ तक कि पेड़ पौधों की भी आत्मा तो एक ही है । संभवतः बात हो रही है इस नीरजा नामक…

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छठ पर्व

छठ पर्व ये छठ पूजा जरुरी है धर्म के लिए नहीं, अपितु.. हम-आप सभी के लिए जो अपनी जड़ों से कट रहे हैं। अपनी परंपरा, सभ्यता, संस्कृति, परिवार से दूर होते जा रहे हैं। ये छठ जरुरी है उन बेटों के लिए जिनके घर आने का ये बहाना है। ये छठ जरुरी है उस माँ…

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मिथिला का लोक पर्व “सामा- चकेवा”

मिथिला का लोक पर्व “सामा- चकेवा” सामा-चकेवा एकमात्र मिथिला में मनाया जाने वाला लोक पर्व है. यह पर्व मिथिला की संस्कृति से जुड़े होने के साथ ही इसकी पौराणिक मान्यता भी है. बहनो द्वारा भाई के लिए मनाया जाने वाले इस त्यौहार का शुभारम्भ कार्तिक शुक्ल सप्तमी, छठ के पारण यानि सुबह के अर्घ के…

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कटारमल का सूर्य मंदिर

कटारमल का सूर्य मंदिर उसके ढ़लते अंधेरा हो जाना और उगते ही उजाला फैल जाना, यह वाकई चमत्कार से कम नहीं। इसलिए सूर्य हर युग में कौतुहल का विषय रहा है मनुष्यों के लिए। पृथ्वी पर जब सूरज की रोशनी के अनगिनत फायदे अंकुरित हुए तो मानव सभ्यता ने इसे देवता मान लिया । चौंसठ…

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महापर्व छठ

महापर्व छठ कितनी विस्तृत हमारी संस्कृति जब समझे होंगें जन आदित्य को जाना होगा प्रकृति का उपहार जग जीवन के लिएआता प्रकाश कहते हैं द्रौपदी जब हुई हताश महाभारत का भीषड़ विनाश किया संकल्प पावन हृदय से संतान रक्षा जय हेतु करूँ तप किया महापर्व छठ पूजन विशेष सुहासिनी ने मांगा सुवरदान विनती करूँ हे…

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छठ महापर्व: बिहार में क्यों?

छठ महापर्व: बिहार में क्यों? वैदिककालीन मध्य भारतवर्ष के कीकट प्रदेश में गयासुर नामक एक दानव रहता था| वह भगवान विष्णु का उपासक था| गयासुर की काया भीमकाय थी| कहते हैं कि, जब गयासुर पृथ्वी पर लेटता था, उसका सर उत्तरी भारत में होता तथा उसके पैर आंध्र क्षेत्र में होते थे| सबसे महत्वपूर्ण यह…

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