मैं बसंत हो जाती हूँ…

मैं बसंत हो जाती हूँ… ओ मेरे बसंत जब तुम आते हो दिल को लुभाने वाली पवन बहाते हो और मैं मस्तमौला हो सारी चिंताओं को विस्मृत कर निडरता से जिधर रुख कर जाना चाहती हूं उधर चली जाती हूँ क्योंकि मन बसंत हो जाता है बसंत होना तुम जानते हो न खुशी का,उमंग का,उत्साह…

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आया बसंत

आया बसंत खेतों में सरसों के फूल, बागों में गेंदे के फूल- प्रकृति की यह अनुपम छटा बसंत के आगमन का संकेत है। ऋतुओं का राजा बसंत तन-मन को गुदगुदा देने वाला संदेश लेकर आता है। बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा की जाती है। ज्ञान, बुद्धि और संस्कार की देवी सरस्वती को आह्वान करते हुए…

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बसंत

बसंत “सकल बन फूल रही सरसों, टेसू फूले अम्बुआ बौरे, कोयल कूकत डार डार, और गोरी करत सिंगार, मालनियाँ घरवा ले आयी करसों।” अमीर खुसरो का जाना माना कलाम, जो उन्होंने तेहरवीं और चौदहवीं शताब्दियों के बीच लिखा, और जो आज भी संगीत प्रेमियों के मानस में गूँज रहा है | राग बहार में लयबद्ध…

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प्रेम कहानी

प्रेम कहानी प्रेम कहानी अपनी साजन कैसे तुम्हें बताऊँ रे। तू बैठे हो पास जो मेरे, मैं कुछ कह ना पाऊँ रे। नयना जो बतिआये साजन, अधरों से लग जाऊँ रे। मैं देखूँ जो दर्पण में तो, जाने क्यों शरमाऊँ रे। रहूँ अकेले में जो साजन, खुद से क्यों बतियाउँ रे। पता नहीं क्यों हुई…

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सैनिक का संदेश

सैनिक का संदेश घर से निकला था, मादरे वतन की हिफाजत में। मेरे इरादे और हौसलों में, जीत का ही जुनून था। ये तो मिट्टी का कर्ज़ था, जो लहु देकर जा रहा हूँ । सौंप कर जा रहा हूँ , ये वतन तेरे हाथ में, ए- मेरे नौजवान साथियों । मैं सरहद देखता हूँ…

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कैसी कायरता

कैसी कायरता रावण के वंशज , तुमने यह कैसी कायरता दिखलाई है पीठ में छुरा घोंपकर, कैसी हैवानियत दिखलाई है चवालीस घर का दीपक बुझाकर, यह कैसा अन्याय किया पुलवामा की धरा पर यह कैसी क्रूरता दिखलाई है वीर सपूतों का बदला लेकर रहेंगे शहीदों की शहादत लेकर रहेंगे कैसी छीना -झपटी चाल है तेरी…

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ढ़ाई आखर प्रेम

ढ़ाई आखर प्रेम प्रेम शाश्वत है।इसे परिभाषित करना कठिन है।प्रेम ही जीवन का आधार है।मानव जीवन का अन्तहीन सफ़र है।मानवीय मूल्यों का निकष है प्रेम।प्रेम ही रसों का उद्गमस्थल है। बिना प्रेम दुनिया में जीना असंभव है। प्रेम स्त्री पुरुष में ही नहीं सीमित है।यह कभी कहीं किसी से हो सकता है। यहाँ पति पत्नी…

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वसंत की नायिका

वसंत की नायिका वह कहता है कि उसकी हसरतें अक्सर लज़्ज़ित हो जाती है जब ह्र्दयरूपी मंच में उसके प्रेम या इश्क़ को एक मर्यादित स्थान देने की बात करती हूँ।सिर्फ़ इतना कह की तुम्हारी सौम्यता कोई भी परिधि नही लाँघ सकती। उसकी पहले से ही सिकुड़ी आँखे थोड़ा और संकुचित हो जाती है मेरी…

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अच्छा लगता है

अच्छा लगता है सुनो न , बहुत दिन से कुछ कहना है तुमसे! पर उस बात का ज़ायका मुँह में घुलता है कुछ इस तरह, वो बात कह ही नहीं पाती । सुनो तो….. तुम अच्छे लगते हो अब ये मत पूछना क्यों : इन फैक्ट मेरी बात पूरी होने दो पहले फिर कुछ भी…

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प्रेम रंग

प्रेम रंग तोड़ देंगें सभी दीवार नफ़रतों वाली होगी खुशियों की बौछार रंगों वाली रंग में अपने रंग लेंगे हम बहाने इसी तेरा चेहरा मेरा गुलाल होगा साथी नफ़रतों को जहाँ में और अब मत बांटो अपनी शाखों को तरू से अब मत काटो जीतना ही है तो जीत लो दिलों को तुम लहू से…

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