एक लड़की थी…

एक लड़की थी… शरारती किस्से वो फ़ोन पर सुनाया करती थी एक लड़की थी मुझे गोद में सुलाया करती थी बिन बाबा के कैसे बीती थीं उसकी माँ की रातें कुछ बेचैनियाँ थीं सिर्फ़ मुझे बताया करती थी डर मेरी उल्फ़त से था, कोई और पसंद था उसे इसी बात पर ज़्यादा खुद को रुलाया…

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पहली मुलाकात

पहली मुलाकात प्रेम आकर्षण है, एक एहसास और समर्पण है l दुनिया में आप हजारों लाखों लोगों से मिलते हैं परंतु किसी एक के आ जाने से आप की दुनिया ही बदल जाती है l यह एहसास मुझे भी हिला गया था l मैं बचपन से ही बहुत बिंदास बेपरवाह स्वभाव की थी, मेरे मस्त…

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प्रेम-रुमानियत से रुहानियत

प्रेम- रुमानियत से रुहानियत प्रेम ने अपनी जादुई किरणों से मेरी आँखें खोलीं और अपनी जोशीली उँगलियों से मेरी रूह को छुआ तब….जब उठ गया था प्रेम या प्रेम जैसे किसी शब्द पर से मेरा विश्वास प्रेम ने दुबारा मेरी ज़िन्दगी के अनसुलझे रहस्यों को खोलने का सिलसिला शुरू किया फिर से उन अनोखे पलों…

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खूब याद करती हूँ तुम्हे, कभी उदास मत होना

खूब याद करती हूँ तुम्हे, कभी उदास मत होना एक हमारे बड़े होते-होते छूट गए कई छोटे-छोटे सुख। मुट्ठी में छिपाये गए छोटे-छोटे चॉकलेट केएफसी और डोमिनो के पिज्जा-बर्गर से ज्यादा लजीज थे। खेल में बार-बार हार कर मेरे आउट होने पर तुम्हारा अचानक छोटे से बड़ हो जाना और मेरी जगह खेलकर मुझे जीता…

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मौसम

मौसम है तुझी से बहार का मौसम मेरे दिल के क़रार का मौसम एक मुद्दत से मुन्तिज़र है दिल जाने कब आये प्यार का मौसम मेरी खुशियों के बादशाह बता उम्र भर है? ख़ुमार का मौसम रात बेचैन सी कोई रुत है और दिन इंतिज़ार का मौसम आरती तुमसे ज़िंदगी रौशन तुमसे ही ऐतबार का…

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बंसती बाँसुरी

बंसती बाँसुरी वनों बागों में प्रकृति की जादूगरी पीली सरसों की डाली हरीभरी विभिन्न रंग पुष्पों की लागे भली तूलिका से रचना किसने है करी पशु पंछी की थिरकन लागे भली पवन संग सुगंध मदमताती परी जनजन मे जगाये उमंग प्रकृति विद्यादायिनी शारदे आशीष भरी बासंती परिधान से दुनिया सजी जीवनदायिनी प्रकृति फिर संवरी !…

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हे माँ शारदे

हे माँ शारदे अंतर्मन में बसी है मूरत मनमोहिनी प्रेममयी सूरत हे माँ वीणावादिनी शारदे कृपा कर माँ, आशीष वर दे। शुक्ल पंचमी के पावन तिथि पर आती तू जब इस धरा पर बसंत के बयारों को साथ लाती नए प्रेम की कलियाँ खिलाती बाल वृद्ध में उमंगें भरती नव जीवन का आह्वान करती हे…

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जयति जय माँ शारदे

जयति जय माँ शारदे जयति जय माँ शारदे। जयति जय माँ शारदे। मां बागेश्वरी,वीणापाणि, ज्ञान की देवी,हँसवाहिनी, बुद्धि का मां वर दे, जयति जय माँ शारदे। जयति जय माँ शारदे। धवल वस्त्र है, सौम्य स्वरूपा, कमलदलआसन,विद्द्यारूपा, चरणों में ये शीश झुका दूँ, तन,मन, धन सर्वश्व लुटा दूँ, अंधकार इस पूरे जग का, ज्योतिर्मय कर हर…

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बसंत लाया संदेशा प्रेम का

बसंत लाया संदेशा प्रेम का ज्ञान कला की देवी है देती यही वरदान। हुआ था अवतरण वीणावादिनी का दिया ब्रह्मा, विष्णु ने मां सरस्वती को बागेश्वरी, भगवती, शारदा नाम । जब शबरी ने पांवड़े बिछाये किया रघु का इंतज़ार, खाए जूठे बेर प्रभु ने है वही पावन मास महान। जिसमे मनाती है कुदरत भी अपने…

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माँ शारदे वर दे

माँ शारदे वर दे तिल तिल तमस सम, तड़पते मनुज को, हिम कण सम शीतल, ज्ञान तुषार की रौ दे, माँ शारदे वर दे।। अशांत अधीर, अवसादित जड़ को , सागर के लहरों सी, उल्लासित चेतन कर दे, माँ शारदे वर दे ।। क्या ये गलत है ? क्या ये सही है? इसी दोराहे पर…

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