एक होली ऐसी भी

एक होली ऐसी भी हो उठता है आसमान लाल पीले गुलाबी रंगों से सराबोर जब फागुनी बयार और शुष्क पत्तों का शोर हृदय को देता है झकझोर जब फगुआ के गीतों के बीच अश्रुओं की अविरल धारा नयनों को देती है सींच जो मां की आंखों का तारा था एक पत्नी का अभिमान सारा था…

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होली में

होली में यही हसरत मेरे दिल में रही हर बार होली में, करूं रंगीन गोरी के कभी रुखसार होली में । नहीं हद से गुज़र जाना हदों में मयकशी करना हैं वरना नालियों में गिरने के आसार होली में। चलेंगे दौर गुंजियो के चलेंगे दौर खुशियों के चले आओ हमारे घर हैं हम तैयार होली…

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होली पर आओ कान्हा

होली पर आओ कान्हा नर है वो मनमाना, होली का करे बहाना, होली के बहाने से वो,डाले कुड़ियों को दाना।। रंग ले अबीर ले और साथ में है भाँग छाना, मनमौजी छैला है, वो बातों में न कोई आना होली की मादकता में उसका न कोई सानी, गुलाल की आड़ में वो कर रहा मनमानी।।…

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रंगों की बरसात

रंगों की बरसात होली के त्यौहार की, अजब निराली बात पिचकारी से हो रही, रंगों की बरसात फागुन आया साथ ले, रंगों का त्यौहार अंग अंग पड़ने लगी, पिचकारी की धार भोर सुंदरी गाल पर, मलने लगी गुलाल धरती दुल्हन सी सजी,अंबर हुआ निहाल पड़े ढोल पर थाप तो, गाये मेघ मल्हार हवा बाँचती पातियाँ…

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होली

होली आया होली का त्योहर घुम रही मस्तों की टोली करे खूब धमाल हमजोली रंगों की पिचकारी छूटी भूल कर सारे मलाल संग मिल हैं नाचे गाये बजा ढोल मृदंग मन तरंग गीत फागुनी मिल गायें उडा़ये गुलाल लिए उमंग पिचकारी की धार चले सखियों हँसती हैं संग मालपुवे की है खुशबू गुझिये संग हैं…

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बेरंग जिंदगी में रंग भर दें

बेरंग जिंदगी में रंग भर दें बेरंग जिंदगी में रंग भर दें, चलो होली के रंग में रंग दें, नफरत की दीवार तोड़ कर, आओ प्रेम को संग कर दें। बुराई की होलिका जलाएं, अपने कलुषित विचारों को मिटाएं, नही तकलीफ हो किसी मन में चलो कुछ इस तरह त्योहार मनाएं। प्रेम के रंग में…

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तेरे संग का रंग

तेरे संग का रंग होली में हमारे घर भांग पिसी जाती और उसे छुपा कर ठंडई में, पुआ में डाल दिया जाता ताकि देवरों नंदो को पता न चल पाए भाभी के मज़ाक का, और पति को भी आनंद के रंग में डुबो दिया जाए। उन दिनों परिवार बड़ा था और होली में मायका ससुराल…

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वृंदावन की होली

वृंदावन की होली आज जो चली वृंदावन की टोली गीतों की मीठी सुरम्य बोली लगी थाप ढोल पर धमक-धम थिरक-थिरक रंगों की झोली हंसते-हंसते नज़रें झुकीं भोली। गगनांगन में मची धूम वृंदावन की मिट्टी राग रंगी लाल, पीली, नीली, काली धरा भूरी, यमुना काली गोवर्धन की काया हरी-भरी कदम्ब पेड़ हुआ भर-भर पीला उबटन और…

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महिला दिवस : पिंजड़े से उड़ान

महिला दिवस : पिंजड़े से उड़ान महिला और पुरुष – यही दो शाश्वत जातियाँ हैं। और एक अनवरत संघर्ष चलता रहता है दोनों के बीच, आर या पार की लड़ाई भी। शायद, जब मानव जीवन कदराओं में जी रहा था, तभी बंटवारा हो गया था – बाहर के काम, जंगली जानवरों के शिकार, आग जलाना…

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