बिन पानी सब सून

बिन पानी सब सून (जल संचय: एक परिचर्चा) “रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून’- पानी रोमांस भी है, रोमांच भी है। पानी के बिना जीवन की कोई कहानी संभव नही है। मंगल ग्रह पर जीवन ढूँढ़ने निकले वैज्ञानिक भी पानी की ही तलाश कर रहे हैं। पानी यानि जीवन की अमूल्य धरोहर और जीवन…

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पर्यावरण

पर्यावरण हे मानव! अब क्यूँ करता है क्रन्दन? पर्यावरण दूषित करने का तू ही तो है कारण, मैं पेड़… क्या कसूर था मेरा? मैने तो दिए फल और सदा ही छाँह। और बच्चों के झूले की खातिर फैला दी अपनी बाँह। पर तुमने? काट कर मेरी शाखाएं अपंग मुझको कर दिया। घोंसलों को तरसे पंछी,…

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आदित्यपुर में बदलता पर्यावरण और हम

आदित्यपुर में बदलता पर्यावरण और हम झारखंड के सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड में आदित्यपुर क्षेत्र आता है l बीसवीं सदी तक आदित्यपुर में गाँव का वजूद मौजूद था l पेड़-पौधे थे, हरियाली थी और साफ-सुथरे जल स्त्रोत मौजूद थेl वर्तमान समय में आधुनिकीकरण और औद्योगिकीकरण की अंधी दौड़ में यह सब कुछ धूमिल…

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पर्यावरण और त्योहार

“पर्यावरण और त्योहार “ डरे सहमे से पेड़-पौधे जा पहुंचे मानव के पास दीपावली करीब आ गई तो उनकी थीं शिकायतें खास.. पत्ते, शाखाएं, फूल और कलियाँ सबके सब कुछ घबराए थे नन्ही घास,बेलें, लताएँ, फल मुँह बनाए और गुस्साए थे-.. “हर तरफ दीवाली की खुशियाँ हैं पर हम सब सहमे से खड़े हैं अजीब…

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उम्मीदें अभी बाकी हैं

उम्मीदें अभी बाकी हैं जितनी तेजी से मानव सभ्यता का विकास हुआ है, उतनी ही तेजी से प्रकृति और प्रदत प्राकृतिक संसाधनों का दोहन। शोध और अध्ययन भी अनवरत जारी हैं और सामने आने वाले निष्कर्ष कई बार चिंता और डर से युक्त परिस्थिति पैदा कर रहे हैैं। वैश्विक तापमान में वृद्धि एक बड़ी समस्या…

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गात्री

गात्री दूर-दूर तक हरियाली से भरी तराई और ऊँचे-ऊँचे नियमराजा के बोलनेवाले पर्वत! नियमराजा ही उन्हें जीने के नियम देता है। गात्री आम की घनी छाँह में खड़ी पर्वतों को निहार रही है। उम्र कोई पंद्रह-सोलह। बड़ी-बड़ी आँखें उदास, सवाल करतीं सी, साँवली चमक से भरा पानीदार चेहरा,घने बाल और सीधी माँग जैसे घने जंगल…

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उगादि : एक नई शुरुआत

उगादि : एक नई शुरुआत “उगादि’ या ‘युगादि’ कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं महाराष्ट्र का बहुत अनूठा त्यौहार है। महाराष्ट्र में इसे ‘गुड़ी पर्व के नाम से जाना जाता है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक के सभी क्षेत्रों में मनाया जाने वाला यह त्यौहार चैत्र (चैत) माह के शुक्ल पक्ष के पहले दिन मनाया जाता…

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मुहिम

मुहिम रेस्तराँ की चौड़ी खिड़कियों से भूरी पहाड़ी दिख रही थी। पेड़ों से विहीन ये पहाड़ियाँ मनुष्य के लालच को आईना दिखा रही थी। जंगल कटने से अल्मोड़ा जैसी जगह में भी पानी की किल्लत हो गई थी। बाथरूम में “पर्यावरण की रक्षा करें” का कार्ड था-कम पानी इस्तेमाल करें। ये आने वाली भयावहता को…

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तब से अब तक

तब से अब तक यह तो अब हम सब जानते हैं कि 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन दुनिया में महिलाओं के जीवन में सुधार लाने, उनमें जागरुकता बढ़ाने जैसे कई विषयों पर जोर दिया जाता है। विचारणीय है दुनिया को इसकी जरूरत क्यों पड़ी! इसके लिए…

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अभी बहुत दूर जाना

अभी बहुत दूर जाना यह हम सभी जानते हैं कि पूरी दुनिया में 8 मार्च को अन्तराष्ट्रीय महिला दिवस के रुप में मनाया जाता है । जिसका मुख्य उद्देश्य होता है महिलाओं को खुद से परिचय करवाना , उनके दिल में खुद के प्रति सम्मान की भावना उत्पन्न करना एवं अपने अधिकारों के प्रति सचेत…

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