आखिर माँ है क्या ?

आखिर माँ है क्या ? भगवान!!! तुमने क्या खूब कमाल दिखया खुद सब जगह नहीं हो सकते इसलिये “”माँ ” बनाया। आखिर माँ है क्या??? क्या वो? जिसने जीव का दुनिया से परिचय कराया, इक मांस के लोथड़े को “जिंदगी” का जामा पहनाया या फिर वो जिसने हर कदम पर अपनी औलाद का हौसला बढाया,…

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मां के सपने

मां के सपने कितने सपने संजोए थे तूने, हम सबके संग, कितने सपने थे तुम्हारी आंखों में, कितनी कल्पनाएं थी, तुम्हारे आंखों में चमक, जिन्दगी जीने की ललक, एक उल्लास मन में लिए, सबको संवारा बड़ी लगन से, अपनी सजग नयन से, कई सपने भी टूटे, फिर भी !! तुम मुस्कुराती रही, हम-बच्चों के संग,…

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माँ है तो संसार है

माँ है तो संसार है माँ है तो संसार है बिन उसके न प्यार है। माँ की ममता तो ईश्वर का दिया उपहार है।। स्नेह अपार प्यार क्या न दिया माँ ने हमे। माँ की ममता में ही तो जीवन का सार है।। दूर होकर भी जो सदा दिल मे बसती है । एक जरा…

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माँ.. ममत्व और मातृत्व

माँ.. ममत्व और मातृत्व परमपिता ने हर रूह में बसाया मातृत्व भाव… अहो, पर जगत में आज बंधु ममता का देखो कैसा है अभाव.. कि मानव मानव के ही खून का बन बैठा है प्यासा देखो देखो तो जाकर के पाओगे हर मां का कलेजा दिन रात है फटता, आत्मा से निकलती चित्कार, आह चेहरा…

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माँ

माँ मां! मां! मुझे तुमसे कुछ कहना है आईने में जब-जब निहारती हूँ ख़ुद को मैं स्वयं में बस तुम्हारी ही छवि पाती हूँ स्वयं के प्रति तुम होती थी लापरवाह जब काम और व्यस्तता का देकर हवाला तुम निपटाकर चौके चूल्हे के काम को नहा धोकर और पूजा का थाल सजाकर तुम माथे पर…

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मेरी माँ

मेरी माँ ऐसी मेरी माँ , ऐसी मेरी माँ नहीं किसी के जैसी मेरी माँ गुणों की खदान, मेरे परिवार की पहचान, जीवन के मूल्यों का पाठ पढ़ाती, शिक्षक होने का सही अर्थ दर्शाती ऐसी मेरी माँ, ऐसी मेरी माँ नहीं किसी के जैसी मेरी माँ।। इसका जीवन संघर्षों की कहानी, हँस हँस कर सुनाती,…

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माँ तुम कितना झूठ बोलती हो

माँ तुम कितना झूठ बोलती हो माँ तुम कितना झूठ बोलती हो , हाँ माँ तुम कितना झूठ बोलती हो बुखार में तपती भी होती हो , पर फिर भी काम करती रहती हो कहाँ है बुखार कहके हमसे , माँ तुम कितना झूठ बोलती हो परदे बंद करके रोशनी ढक के , हमें आराम…

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माँ

माँ सब रिश्तों में सबसे छोटा शब्द पर भावनाएँ असीमित हैं। एक अथाह सा सागर है पर सम्भावनाएँ असीमित हैं । अन्जान दुनिया में जन्म लेकर बहुत डरी हुई थी मैं । जब गोद में लिया तूने महफूज़ , सँभली हुई थी मैं। याद है हर वो पल जब तूने दिया सहारा मुसीबतों के सागर…

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माँ

माँ माँ सहनशक्ति की अनुपम मिसाल है, उसका हर रूप बच्चों हेतु बेमिसाल है। वह सृजनकर्ता है,नित प्राण रक्षक है, बच्चों पर आँच आ जाये तो बनती भक्षक है। वह अन्नपूर्णा है घर की संचालिका है, वह जो न हो घर मे तो घर का नही कोई मालिक है। वह हिम्मत है,वह ताकत है, वह…

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मातृदेवो भव

मातृदेवो भव दुनिया की हर चीज झूठी हो सकती है, हर चीज में खोट हो सकता है पर माँ की ममता में कोई खोट नहीं होता है। यूँ तो यह माना जाता है कि किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है, अपने भाव को व्यक्त, किया जा सकता है और अमूमन ऐसा होता भी…

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