महाभिनिष्क्रमण

महाभिनिष्क्रमण आखिर चले ही गए तुम हाँ बताया था तुमने जीवन का ध्येय विश्व का उद्धार बोध की पिपासा बहुत से कारण थे बस मैं ही नही थी पिछले जन्म से चाहा था तुम्हें सुमेध भद्रा बनकर वादा लिया था अगले जन्म का क्या खूब निभाया तेरह वर्षों की तपस्या का प्रसाद था ‘राहुल’ पर…

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ये जंग भी हम जीतेगें

ये जंग भी हम जीतेगें क्या तुमने सोचा था कभी, कि ऐसा समय भी आएगा। ये कोरोना वायरस दुनिया को, अलग सा अनुभव दे जाएगा। पूजा की थाली ना होगी, बन्द होंगे पूजा के द्वार। मन्दिर में प्रसाद न होगा, होगी ना भक्तों की कतार। पिता का आँगन, माँ का खाना, मैके की बस रहेगी…

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आशा

आशा जीवन में अंधकार हो चहूँ और अविकार हो तुम आशा का दामन थामे रखना बिजली कड़कड़ाये या मेघ गरजें सूरज की हो तपिश या आस्माँ बरसे तुम आशा का दामन थामे रखना हर तरफ़ चीत्कार का है मंज़र इंसान क़ैद में कैसा है ये क़हर तुम आशा का दामन थामे रखना ऑक्सीजन का कालाबाज़ार…

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कोरोना का कहर

कोरोना का कहर किसी का सिन्दूर मिटा तो किसी की लाली चली गई किसी की ईद छिनी तो कहीं दीवाली जल गई।। बड़ा बेरहम है ये समय नासूर सा चुभा है किसी के आँख में है पानी और कहीं रोशनी चली गई।। माँ की मुस्कान खो गई बच्चों से पिता छिन गए कहीं लुटा चमन…

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कोरोना और करूणा

कोरोना और करूणा पिछले एक साल में एक छोटे वायरस ने जिंदगी बिल्कुल ही बदल डाली। और इस बार तो इसने ठान ली है कि दुनिया को अपना लोहा मनवा कर ही दम लेगा। कोरोना की इस लड़ाई में अकेले नहीं हैं। दुनिया मे इसके व्यवहार की चर्चा हो रही है, रिसर्च चल रहे हैं।…

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जीना सिखा दिया इस ‘आफ़ात’ ने मुझे

जीना सिखा दिया इस ‘आफ़ात’ ने मुझे लूटा बहुत है वक्त औ हालात ने मुझे! घायल किया है बस इक़ मुलाकात ने मुझे!! अच्छे कभी थे हम भी जहां की निगाह में बदनाम कर दिया है खुराफात ने मुझे!! अफ़सोस मेरे हाल पे बिल्कुल न तुम करो दी है सज़ा ये मेरी ही अगल़ात ने…

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जीने की ललक

जीने की ललक रेमडेसिविर दिया जा चुका था। डॉक्टर को उम्मीद थी वो बच जाएगा। मगर आज उसका ऑक्सीजन लेवल बहुत गिर गया था। वो बार बार ऑक्सीजन मास्क को उतार फेंक रहा था। और एक ही रट लगाए जा रहा था, “मैं नहीं बचूँगा मुझे घर जाने दो बच्चों को एक बार देख लेने…

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कफ़न

कफ़न घीसू और माधव दो पात्र हैं। घीसू पिता है माधव पुत्र है। बुधिया माधव की पत्नी है जिसकी मृत्यु हो चुकी है। घीसू और माधव गांव से पैसे इकठ्ठे करके शहर में कफ़न और अंत्येष्टि का सामान खरीदने जाते हैं लेकिन उस पैसे से शराब और चिकन खा लेते हैं। उन्होंने उम्र भर भूख…

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दधीचि के देश में

दधीचि के देश में देश युद्धस्तर पर कोरोनावायरस से लड़ रहा है।पूरे देश में आज लगभग सवा दो करोड़ लोग जो अलग-अलग स्तर के संक्रमण से गुजर रहे हैं, हमारी मदद और सकारात्मक पहल की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं, उन्हें इनकी बहुत आवश्यकता भी है। इस बीमारी के बदलते स्वरूप और…

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बदलाव

बदलाव आज ट्रक से सामान उतर रहा था। खानाबदोशी की यह जिंदगी उमा को अब अच्छी लगने लगी है। नए शहर, नए लोग, नया वातावरण – बारिश की बूंदों की तरह लगता है। जैसे धूल भरे सारे पत्ते साफ हो गए हों। चार फ्लैट का एक एक यूनिट | बगल वाले दरवाजे पर नाम देखा…

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