रश्मिरथी: राष्ट्रकवि की रचनाओं में मेरी अति प्रिय रचना

रश्मिरथी: राष्ट्रकवि की रचनाओं में मेरी अति प्रिय रचना युगधर्मा, शोषण के विरुद्ध विद्रोह को अपनी कलम की वाणी बनाने वाले , जीवन रस को ओज और आशावादिता से पूरित करने वाले, सौंदर्य और प्रेम के चित्र को भी अपने कलम की कूची से रंगने वाले रामधारी सिंह ‘दिनकर’  हिन्दी के एक प्रमुख राष्ट्रवादी एवं प्रगतिवादी…

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शब्द सुमन: राष्ट्रकवि के चरणों में

शब्द सुमन: राष्ट्रकवि के चरणों में “मुझे क्या गर्व हो ,अपनी विभा का, चिता का धूलिकण हूँ, क्षार हूँ मैं। पता मेरा तुझे मिट्टी कहेगी, समा जिसमें चुका सौ बार हूँ मैं।” कौन है ऐसा स्वपरिचय देता हुआ? अरे वह तो ,सरस्वती का वरद पुत्र, रामधारी सिंह ‘दिनकर’ नाम जिसका हुआ। ‘राम’ को धारण करने…

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सोंधी मिट्टी का बिहार

सोंधी मिट्टी का बिहार दिशा – दिशा में लोकरंग का तार-तार है, महका-महका सोंधी मिट्टी का बिहार है ………………………………………… कहीं गूंजते आल्हा ऊदल के अफसाने, कजरी, झूमर और फगुआ के मस्त तराने, चौपालों में चैता घाटों की बहार है। उपर्युक्त बिहार गीत की रचयिता डाॉ शांति जैन ने अपनी रचना के माध्यम से एक आम…

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हिंदी चालीसा

हिंदी चालीसा श्रेष्ठ, सुगढ़, सुखदायिनी, हिंदी सुहृद, सुबोध, सरल, सबल, सुष्मित, सहज, हिंदी भाषा बोध। नित-प्रति के व्यवहार में, जो हिंदी अपनाय, ’सरन’ सुसत्साहित्य का सो जन आनंद पाय। जय माँ हिंदी, रुचिर भारती, सुकृत कृतीत्व सुपथ संवारती। १. रचनाकारों के मन भाती, सत्साहित्य की ज्योति जगाती। २. जगमग ज्योतित करे हृदय को, हुलसित-सुरभित करे…

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समय

समय आदिकाल से भविष्य का चक्र। हर होने से, न होने का नियम, जो है उसके ख़त्म होने का संयम । अदि, अंत, अनंत। देव, मानव,पाताल लोक का विभाजन, सागर मंथन भेद से सर्व लोक समीकरण ।। युग निर्माण, समाज परिवर्तन । सत्य,त्रेता, द्वापर से कलि का बदलाव, रामराज्य में सीताहरण, कलि में सती का…

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बर्फीले  मौसम  में  हृदय  की  ऊष्णता

बर्फीले  मौसम  में  हृदय  की  ऊष्णता बात सन १९८६  की है। जनवरी का महीना था।अब तो बहुत वर्षों से इंग्लैंड में बर्फबारी हुई ही नहीं है। हफ्ते या दो हफ्ते हलकी फुलकी बर्फ गिरी भी तो दो चार दिन में गायब हो गयी।मौसम बदल गए हैं। नदियों के स्रोत पिघलने लगे हैं।इस बार इंग्लैंड में…

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वह

वह — किताबों की जिंदगी से तब्दील हुई जब गृहिणी में आटा-दाल से सम्बंध जो कर बचत का हिसाब लगाना, साड़ी बांधना, पल्लू सम्हालते हुए रोटी बेलना, चूडियों और पायल के बंधनों से बंधना, नये सम्बंधों और संबोधनों को दिनचर्या का हिस्सा बनाना, उसी बीच माँ की प्यार भरी थपकी अपनी जुगनू सी रोशनी से…

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प्रेम का पथ

प्रेम का पथ प्रकृति ने सिखाया प्रेम समर्पित भाव से बंधन मानव से मानव करे प्रेम हृदय देखो बने चंदन। नेह से बने रिश्तों का महकता है सदा प्रकाश प्रेम जोत जगे हृदय में हो जाता मन वृंदावन। ममता के पलने में झूले प्रेम आनंदित हो संतान मात पिता , गुरू सखा प्रेम ही है…

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उसे तोड़ खुश होता क्यूँ है

उसे तोड़ खुश होता क्यूँ है जो आता है जाता क्यूँ है ? और बेबस इतने पाता क्यूँ हैं ? सज़ा मिले सत्कर्मों की यह सोच हमें सताता क्यूँ है ? सच्चाई की राह कठिन है उसपर चलकर रोता क्यूँ है ? है राग वही रागनी भी वही फिर गीत नया भाता क्यूँ है ?…

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बापू की अमर कहानी

बापू की अमर कहानी आओ बच्चों तुम्हें दिखाये , स्वतंत्रता की अजब ग़ज़ब ये गाथायें हैं बापू की ये अमर कहानी हैं ! नोटो की हरियाली में आज भी छाये रहते हैं ! आओ बच्चों तुम्हें दिखाये , आज़ादी बलिदानो की ये सुंदर गाथा ! अपनी माता से बढ़ कर थी , मातृभूमि की रक्षा…

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