हिन्दवासी हिंदी बोलो

हिन्दवासी हिंदी बोलो हम हिंद में रहने वाले हैं हिंदुस्तानी ही कहलाते हैं हिंदी हमारी मातृभाषा है यह देश की राजभाषा है राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी ए हिंदवासियों हिंदी बोलो जननी जन्मभूमि ये हमारी स्वर्ग से भी महान होती है तीसरी माँ है ये मातृभाषा प्रथम पूजनीय को त्याग क्यूँ पहने विदेशी ये जामें सबसे…

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हिन्दी हमारा मान है

हिन्दी हमारा मान है शीघ्र ही हिन्दी बनेगी, अब हमारी राष्ट्र-भाषा। हो यही विश्वास मन में, हम तनिक छोड़ें न आशा।। एक दिन यह बात सचमुच, सत्य होकर ही रहेगी। हिंद की भाषा किसी दिन, विश्व की भाषा बनेगी।। मान हिन्दी का रखेंगे, शान कम होने न देंगे। अन्य भाषा-भाव को भी, हम उचित सम्मान…

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अपनी हिंदी

अपनी हिंदी  आओ बात करें हिंदी की, शीर्ष पर सजी बिंदी की, मोती से अक्षर से सजती, हिंदी हर धड़कन में बसती। मीठी, मधुर है भाषा अपनी, जिसका ना है कोई सानी, अक्षर, शब्दों और वाक्यों से, नित नई रचती काव्य – कहानी। अपने अथाह साहित्य सागर से , हिंदी सबका परिचय करवाती, मन के…

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स्वास्थ्य ही धन है

स्वास्थ्य ही धन है हे मानव! जो करते हो अपने जीवन से प्यार, तो सदा ही बनाना अनुशासित आधार। सुबह सवेरे उठकर करना थोड़ा सैर, देर तक सोने से रखना सदा बैर। नित्यकर्म से होकर निवृत्त तुम, थोड़ा करना कसरत योगासन भी तुम। तन को भोजन सदा सरल देना, पानी जूस पदार्थ तरल पीना। खान-पान…

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काश !

काश! विमान मिलान ऐयरपोर्ट से टेक ऑफ कर इटली की सीमा को छोड़कर भारत की ओर बढ़ चुका था | विशाल और श्यामली दोनों बहुत खुश थे | भारत पहुँचकर सबसे मिलने की कल्पना मात्र से उनका मन उमंग से भर उठा था | पिछले पाँच सालों से वे अपने घरवालों से नहीं मिले थे…

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हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य

हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य मानव शरीर पंचतत्वों से निर्मित है। जल, गगन, समीर, अग्नि, और पृथ्वी यानि कि भूमि। इन्हीं पंचत्तवों से पैदा होकर हम फिर इन्हीं में विलीन हो जाते हैं। उपनिषदों में, वेदों में तथा सभी धार्मिक ग्रंथों में वातावरण – धरती, जंगल, वायु, नदी की चर्चा एक मित्र की तरह होती है।…

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एक प्रेम ऐसा भी…

एक प्रेम ऐसा भी… “सात समुंदर पार से राजकुमार आएगा तुझे ब्याहने.. फिर, सफेद से घोड़े पर बैठा कर ले जाएगा मेरी प्यारी बिटिया को”– दादी यही कहकर बचपन में खाना खिलाया करती थी। “दादी उस राजकुमार का क्या नाम होगा..?” बड़ी- बड़ी आँखें निकालकर हलक में भोजन का एक कौर निगलती हुई पूछा करती…

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पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें

पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें आओ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को हम हरित करें, इस बेरंग होते पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें। ग्लोबल वार्मिंग जो हो रहा भूमंडल नाशक है, पेड़ों के काटने से जो बनी स्तिथी नाजुक है. आओ मिलकर कोई उपाए हम त्वरित करें, इस बेरंग होते पर्यावरण में फिर…

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आवाज

आवाज राधिका ने एक बार फिर घड़ी देखी। बार-बार घड़ी देखने से समय नहीं बदल जाता। इस फैक्टरी में काम करते हुए चार साल हो गए हैं उसे। यहाँ शर्ट बनते हैं और उसका काम है कॉलर लगाना। जब शुरू में आई थी तब केवल कपड़ों के ढेर को ठीक करती थी। फिर धीरे-धीरे काम…

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गणिका

गणिका ‘चरित्रहीन हो, बेगैरत हो, हो निर्लज्ज और कुल्टा’ ऐसे कितने तीर चला कर कहते हो मुझको गणिका ! शफ्फाक वस्त्र में सजे हुये, पर अंदर से उतने मटमैले, रुतबे वाले ,रँगे सियार, इस समाज में हैं फैले ! भूल के अपनी मर्यादा औ’ भूल के पत्नी का वह प्यार , काम पिपासा के कामातुर,…

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