मजबूर मजदूर

मज़बूर मजदूर मैं स्वयं कृषक कन्या हूँ, मज़दूर और किसानो की स्थिति बहुत करीब से देखी हूँ और समझती हूँ,सभी मजदूरों की पीड़ा को मैं हृदय से महसूस करती हूँ और उनका बहुत सम्मान करती हूँ । इस कोरोना काल के संकट में सबसे भयावह और दिल दहला देने वाली स्थिति हमारे देश के मजदूरों…

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लॉकडाउन

लॉकडाउन कोरोना वैश्विक महामारी ने हम सब के जीवन को रोक सा दिया है । सब कुछ बंद है, आवागमन ,व्यापार , पर्यटन , उद्योग धन्धे , होटल रेस्टोरेंट , सिनेमा उद्योग , नौकरियां आदि । सब कुछ वर्क फ्रॉम होम हो गया है चाहे वह शिक्षा यो या सरकारी , प्राइवेट काम काज ।…

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लॉकडाउन और कोरोना- वारियर्स की चुनौतियां

लॉकडाउन और कोरोना- वारियर्स की चुनौतियां कोरोना वायरस का संक्रमण-काल स्वयं में एक स्थैतिक परिवर्तक (static variable) है, जिसके सापेक्ष ‘जनता’ और ‘कोरोना वारियर्स’ के संकटों और चुनौतियों को समझना मेरे इस लेख का मुद्दा है। मनुष्य को किसी भी तरह की यथास्थिति बहुत भाती है। हम अलग-अलग खेमों में चाहे जितने भी विरोध, प्रतिवाद…

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मजबूत भारत का मजबूर मजदूर

मजबूत भारत मे मजबूर मजदूर प्रत्येक नेता का एक चेहरा है, प्रत्येक पूंजीपति का भी एक चेहरा है। फ़िल्मी नायक नायिका तो हैं ही सिर्फ चेहरे। और तो और प्रत्येक मुल्क का भी एक चेहरा होता है। अब चेहरे हैं तो चेहरे का कोई भाव भी होगा। भाव मतलब भाव भंगिमा और भाव मतलब मूल्य।…

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वन मोर लॉकडाउन

वन मोर लॉकडाउन युद्ध और महामारी, अकाल और भुखमरी ने हमें कई बार ऐसे स्तर पर ला खड़ा किया है जहां आकर इसके आगे जीवन का मतलब ही परिवर्तित हो जाता है। मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है और ऐसे समय में उसकी सामाजिकता ही विमुख हो जाती है। उसके सारे क्रिया कलाप एक एक कर…

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लॉकडाउन और कोरोना वारियर्स की चुनौतियां

लॉकडाउन और कोरोना वारियर्स की चुनौतियां हम होंगे कामयाब,हम होंगे कामयाब एक दिन मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास,हम होंगे कामयाब एक दिन आज पूरा विश्व कोरोना नामक प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है, और इस पर विजय पाने के लिए संघर्षरत देशों के लिए एक कठिन चुनौती बन गया है, चीन से निकल…

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कोरोना और सकारात्मकता

कोरोना और सकारात्मकता जीवन है तो सुख-दुःख, आशा-निराशा, ऊँच-नीच, जय-पराजय भी है. सुख-दुःख के घर्षण से ही ज्योति उत्पन्न होती है. जीवन संघर्षों का पर्याय है. कभी महारोगों-महामारी का संघर्ष तो कभी विचारों का, कभी आर्थिक तो कभी पारिवारिक संघर्ष झेलने होते हैं . प्रकृति का नियम है कि कोई भी स्थिति ज्यादा दिन नहीं…

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लॉकडाउन के पश्चात रोजगार और व्यवसाय के नये अवसर

“लॉकडाउन के पश्चात रोजगार और व्यवसाय के नये अवसर” “खेती न किसान को भिखारी को न भीख भली, वनिक को वनिज न चाकर को चाकरी। जीविकविहीन लोग सिद्यमान सोच बस, कहैं एक एकन सो ‘कहाँ जाइ का करी’।।” तुलसीदास ने भले ही ये पंक्तियां सोलहवीं शताब्दी के परिस्थितियों को देखते हुए रचा हो किन्तु ये…

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जीवनशैली में बदलाव -कोविड19

जीवन शैली में बदलाव- कोविड 19 यदि हम गूगल में खोजें कि कोरोना वायरस क्या है, इसकी उत्पत्ति कहाँ से हुई, इसका संक्रमण कैसे होता है, संक्रमण को कैसे रोका जा सकता है, फलां फलां तो पलभर में इन सबके जवाब हमें मिल जाएँगे लेकिन यदि हम खोजें कि कोरोना संक्रमण कब रुकेगी, दुनिया कब…

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क्या खोया क्या पाया

क्या खोया क्या पाया (इस लॉकडाउन में) विश्वव्यापी कोरोना महामारी के कारण जिस दिन पूरी तरह से लॉकडाउन की घोषणा की गई, लगा जीवन थम गया। जीवन की बिल्कुल ही नई परिस्थिति और डर ने मिल कर एक अजीब सा माहौल बना दिया था जो खुशगवार तो नहीं था, सबकुछ उलट पुलट सा गया था।…

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