लघुकथा
मन के हारे हार है,मन के जीते जीत
मन के हारे हार है,मन के जीते जीत आज सुबह से नेहा कुछ ज्यादा ही परेशान थी,उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वह कैसे अपने को संभाले,चारों तरफ कोरोना महामारी और उसके अफवाहों से वह बहुत परेशान और हताश हो गई थी। वह इसी उधेड़बुन में थी तभी उसकी बड़ी बहन का फोन…
रूपांतर
रूपांतर सोचती है सारा काम निपटा कर ही जाए पर हो नहीं पाता उससे। बॉस के दिए फ़ाइलों की संख्या कम है पर बहुत कुछ निपटाना है उनमें। काम मिलता उसे ज़्यादा है, जानती है वह, क्योंकि ज़िम्मेदार है, कर्त्तव्यनिष्ठ है। हरिनारायण बॉस ज़रूर हैं पर उसका कष्ट समझते हैं समझाते भी हैं। एकल अभिभावक…
चक्र
चक्र आठ मार्च आते ही निमंत्रणों का सिलसिला बढ़ जाता है। पिछले तीन फोन कॉल बस ‘विलासिनी, प्लीज, लड़कियाँ हैं, आप बोलेंगी तो अच्छा लगेगा’। विलासिनी ने सोचा कि ये आजकल की फेसबुक-द्विटर-इंस्टाग्राम की लड़कियों को सब पता है। उनके फेमिनिज्म की परिभाषा भी अलग है। वो अब दराजों में नहीं, गले में बोर्ड लगाकर…
लौट आया मधुमास
लौट आया मधुमास देविका कहीं शून्य में घूरे जा रही थी लेकिन मस्तिष्क में लगातार उथल-पुथल चल रही थी। आज हर हालत में उसे एक निर्णय पर पहुंचना था। पिछले कई दिनों से वह अनवरत दिल और दिमाग के संघर्ष में बुरी तरह फंसी थी,उलझी थी….पर अब…अब और नहीं।कहीं दूर से आती माँ की आवाज़…