माँ मेरी अनमोल

माँ मेरी अनमोल माँ तू अनमोल है, जीवनदायिनी है । तूने मुझे अपने प्रेम से, अपने संस्कारों से, अपने ज्ञान से , अपनी ममता से सीचा । धरती पर गर्व से चलना तूने सिखाया, गुरु बनकर पहला ज्ञान तूने दिया । ईश्वर की तरह आखिरी सांसों तक हाथ मेरा थामे रखा, इतनी गहरी तेरी ममता…

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जीत जाएंगे हम

जीत जाएंगे हम सुबह-सुबह कोयल की मधुर धून सुनकर यूं लगा जैसे कह रही हो थोड़े दिन की ही तो है बात कुछ वक्त बितालो साथ माना हर वक्त है कीमती पर अभी घर पर रहने में ही है सबकी सलामती इन लम्हों को न भूलें हम सकारात्मक सोच के साथ ऐसा कुछ कर दिखाएं…

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…..जीवन दंश का क्या ?

…..जीवन दंश का क्या ? पढ़ती हूं ,सुनती हूं, फिर से नव पुष्प खिलेंगे, नव पल्लव फिर सज जाएंगे, पर जो टहनी सूख गई, असामयिक दावानल से, उन दरख़्तों का क्या? झुलसी वल्लरियों का क्या? जीवन की आस झलकाते परंतु अब, ठूंठ बन चुके स्याहवर्णी नवपादपों का क्या? कुछ घरों में चिरनिंद्रित मायें, रोटी जलती…

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माँ का मातृत्व

माँ का मातृत्व नौ महीने गर्भ से हो जाता सफर शुरू माँ का फिर जन्म देते ही उसकी सारी दुनिया घूमती सिर्फ अपने बच्चे के ही इर्द गिर्द हर आँसू, हर दर्द, हर दुःख हर तकलीफ बन जाती उसकी छोटी अपने बच्चे की मुस्कान के आगे माँ का मातृत्व ही कुछ ऐसा है जिसका न…

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माँ

माँ मां की महिमा कोई कैसे कहे । है अपरंपार जगत में माँ ।। हर मुश्किल का हल है माँ । अनगिन पुण्यों का फल है माँ ।। अपनी हर संतान की खातिर। अमृत सा प्रभावी जल है माँ ।। माँ के जैसा कोई और नहीं मां के जैसी माँ ही है ना ।। है…

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आखिर माँ है क्या ?

आखिर माँ है क्या ? भगवान!!! तुमने क्या खूब कमाल दिखया खुद सब जगह नहीं हो सकते इसलिये “”माँ ” बनाया। आखिर माँ है क्या??? क्या वो? जिसने जीव का दुनिया से परिचय कराया, इक मांस के लोथड़े को “जिंदगी” का जामा पहनाया या फिर वो जिसने हर कदम पर अपनी औलाद का हौसला बढाया,…

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मां के सपने

मां के सपने कितने सपने संजोए थे तूने, हम सबके संग, कितने सपने थे तुम्हारी आंखों में, कितनी कल्पनाएं थी, तुम्हारे आंखों में चमक, जिन्दगी जीने की ललक, एक उल्लास मन में लिए, सबको संवारा बड़ी लगन से, अपनी सजग नयन से, कई सपने भी टूटे, फिर भी !! तुम मुस्कुराती रही, हम-बच्चों के संग,…

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माँ है तो संसार है

माँ है तो संसार है माँ है तो संसार है बिन उसके न प्यार है। माँ की ममता तो ईश्वर का दिया उपहार है।। स्नेह अपार प्यार क्या न दिया माँ ने हमे। माँ की ममता में ही तो जीवन का सार है।। दूर होकर भी जो सदा दिल मे बसती है । एक जरा…

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माँ.. ममत्व और मातृत्व

माँ.. ममत्व और मातृत्व परमपिता ने हर रूह में बसाया मातृत्व भाव… अहो, पर जगत में आज बंधु ममता का देखो कैसा है अभाव.. कि मानव मानव के ही खून का बन बैठा है प्यासा देखो देखो तो जाकर के पाओगे हर मां का कलेजा दिन रात है फटता, आत्मा से निकलती चित्कार, आह चेहरा…

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माँ तुम कितना झूठ बोलती हो

माँ तुम कितना झूठ बोलती हो माँ तुम कितना झूठ बोलती हो , हाँ माँ तुम कितना झूठ बोलती हो बुखार में तपती भी होती हो , पर फिर भी काम करती रहती हो कहाँ है बुखार कहके हमसे , माँ तुम कितना झूठ बोलती हो परदे बंद करके रोशनी ढक के , हमें आराम…

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