दिल का सूकुन

दिल का सूकुन दिल को सुकून देता है तेरा चांद सा मुखड़ा। बड़े भाई की जान है तू मम्मी पापा के जिगर का टुकड़ा।। बड़ी मिन्नत से तुमको पाया मां अंबे का आशीर्वाद है तू । सूने हमारे आंगन में छन छन पायल की आवाज है तू ।। तेरी बोली- मधुर रस की गोली कानों…

Read More

बेटियों की पहचान

बेटियों की पहचान 21वीं सदी के इस भारत से यह प्रश्न है मेरा, दे सको तो दो इस प्रश्न का उत्तर हमें। नित्य प्रति कोख में क्यों मारी जाती है बेटियां ? क्यों वासना के चादर में लपेटी जाती है बेटियां ? मत भूलो ,,,, परिवार का बोझ कहार बन उठाने लगी है बेटियां ,…

Read More

बाल गणपति

बाल गणपति निरखत मैया हांसे अति लो आया मेरा बाल गणपति ।। झमक झमक झम – घुंघरू बाजे धमक धमक धम- ढ़ोलक साजे ध्रातिट ध्रातिट -पग चालन गति लो आया मेरा बाल गणपति ।। थुलथुल दुलदुल – चित्त का चोर मृदुल छवि- छाये चहुँ ओर चिहुंक चिहुंक – नटखट वो कति लो आया मेरा बाल…

Read More

एक शब्द

एक शब्द माँ का प्यारा सा हथियार जब भी करते मस्ती हम माँ कि आवाज़ आती रूको अभी पापा को बुलाती हर समय इस छोटे से शब्द से हम को वो डराती “पापा” छोटा सा दो अक्षर का शब्द पर शक्तिशाली,संयम से भरा हुआ है ये शब्द डराते हैं ,कठोर है पर रक्षा से भरा…

Read More

पिता एक उम्मीद

पिता एक उम्मीद पिता -चाँद सितारों में निखर उम्मीद की किरण बन जाते है। नई उम्मीद के साथ ख़ुशियों जहाँ बसा जाते हैं । पिता,पिता के प्यार से गूँजती सारा भु मंडल हैं । उदगार सजा रखा धरती मैया है । पिता- बच्चों के दिल किताबों में प्यार सजा रखा हैं । पन्ने की हरकत…

Read More

एक पत्र पिता के नाम

एक पत्र पिता के नाम (मेरे पापा जिनको मैंने कोरोना काल में खो दिया उनको समर्पित) कलम से एक पत्र लिखा है आज लिखा है उनको जो हैं शायद नाराज़ तभी तो अब नहीं कभी आती उनकी आवाज़ जाने कहां चले गए वो जिनपर था मुझको नाज़ न किया कोई गिला न शिकवा किया मुझसे…

Read More

पापा

पापा अंगुली थाम के बहुत चलाया पापा तुमने, जब-जब गिरा मैं बहुत प्यार से उठाया तुमने, मेहनत कर दिन-रात था पापा पढ़ाया तुमने, हरदम सच्ची राह पे चलना सिखाया तुमने। जब-जब ठोकर लगी यही था सिखाया तुमने, देखके सामने चलो पाठ ये पढ़ाया तुमने, जब रस्ते में मुश्किल आई रोक के मुझको, धैर्य और विश्वास…

Read More

ओ नरभक्षी

ओ नरभक्षी 1. ओ विषाणु, सुन, तुझे रक्त चाहिए आ, आकर मुझे ले चल मैं रावण-सी बन जाती हूँ हर एक साँस मिटने पर ढेरों बदन बन उग जाऊँगी तू अपनी क्षुधा मिटाते रहना पर विनती है जीवन वापस दे उन्हें जिन्हें तू ले गया छीनकर मैं तैयार हूँ आ मुझे ले चल। 2 ओ…

Read More

मैं बुद्ध नहीं होना चाहती

मैं बुद्ध नहीं होना चाहती बुद्ध हो सकती थी मैं—- पर मैंने पति को भगवान मान लिया उसकी चाह, उसकी ख़ुशी को अपना सम्मान मान लिया छोड़ दूँ नवजात को ,रात सुनसान , है अंधेरा तू माँ कहलाने लायक़ नहीं , हृदय पाषाण है तेरा बूढ़े सास ससुर , जिनकी सेवा का मिला था उपदेश…

Read More

मैं “बुद्ध” न बन पाई

मैं “बुद्ध” न बन पाई आसान था तुम्हारे लिए सब जिम्मेदारियों से मुहँ मोड़, बुद्ध हो जाना , क्यूंकि पुरुष थे तुम। एक स्त्री होकर बुद्ध बनते, तो जानती मैं । जिस दिन “मैं” के अन्तर्द्धन्द पर विजय मिल जाएगी निर्वाण की राह भी बेहद सुगम हो जाएगी। सब त्याग कर तुमने उस “मैं” पर…

Read More