सब जमींदोज है 

सब जमींदोज है  अब झील के शिकारे उदास हैं पानी का सैलाब तटबंधों को तोड़ लौट चुका सतह पर हर तरफ कीच पसरा हुआ है पर हालात सब तरफ बेतरतीब टूटने की निशानियां तटबंदी देह पर बेशुमार अनगिनत कब घाव भरें कौन जाने व्यवस्था चरमराई सबके सब्र बांध टूट चुके तुम एक बांध की व्यथा…

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हमारी राजभाषा हिन्दी

हमारी राजभाषा हिन्दी हिंदी हमारी राजभाषा है ये भाषा जग में सबसे उत्कृष्ट है है ये सहज सुंदर अपनत्व लिए इसका सौंदर्य अति विशिष्ट है हिंदी मात्र एक विषय ही नही न सिर्फ़ पढ़ने लिखने की भाषा है ये देश की अखंडता एकता की हमारे स्वाभिमान की परिभाषा है हमारी हिंदी है एक समृद्ध भाषा…

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हिंदी दिवस

हिंदी दिवस हिंद देश की हिंदी भाषा कितनी है आसान, सूरज जैसी बिंदिया है मेरे भारत की शान। बनाओ राष्ट्र भाषा, करें हम सब अभिलाषा। सबसे प्यारी सबसे मीठी हिंदी हिंद की आन, सूर कबीरा और रसखाना मीरा की पहचान। बनाओ राष्ट्र भाषा, करें हम सब अभिलाषा। भाषाओं की बड़ी बहिन है नहीं किसी से…

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हिन्दवासी हिंदी बोलो

हिन्दवासी हिंदी बोलो हम हिंद में रहने वाले हैं हिंदुस्तानी ही कहलाते हैं हिंदी हमारी मातृभाषा है यह देश की राजभाषा है राष्ट्रभाषा भी बन जाएगी ए हिंदवासियों हिंदी बोलो जननी जन्मभूमि ये हमारी स्वर्ग से भी महान होती है तीसरी माँ है ये मातृभाषा प्रथम पूजनीय को त्याग क्यूँ पहने विदेशी ये जामें सबसे…

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हिन्दी हमारा मान है

हिन्दी हमारा मान है शीघ्र ही हिन्दी बनेगी, अब हमारी राष्ट्र-भाषा। हो यही विश्वास मन में, हम तनिक छोड़ें न आशा।। एक दिन यह बात सचमुच, सत्य होकर ही रहेगी। हिंद की भाषा किसी दिन, विश्व की भाषा बनेगी।। मान हिन्दी का रखेंगे, शान कम होने न देंगे। अन्य भाषा-भाव को भी, हम उचित सम्मान…

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अपनी हिंदी

अपनी हिंदी  आओ बात करें हिंदी की, शीर्ष पर सजी बिंदी की, मोती से अक्षर से सजती, हिंदी हर धड़कन में बसती। मीठी, मधुर है भाषा अपनी, जिसका ना है कोई सानी, अक्षर, शब्दों और वाक्यों से, नित नई रचती काव्य – कहानी। अपने अथाह साहित्य सागर से , हिंदी सबका परिचय करवाती, मन के…

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स्वास्थ्य ही धन है

स्वास्थ्य ही धन है हे मानव! जो करते हो अपने जीवन से प्यार, तो सदा ही बनाना अनुशासित आधार। सुबह सवेरे उठकर करना थोड़ा सैर, देर तक सोने से रखना सदा बैर। नित्यकर्म से होकर निवृत्त तुम, थोड़ा करना कसरत योगासन भी तुम। तन को भोजन सदा सरल देना, पानी जूस पदार्थ तरल पीना। खान-पान…

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पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें

पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें आओ मिलकर वैश्विक अर्थव्यवस्था को हम हरित करें, इस बेरंग होते पर्यावरण में फिर से हरा रंग भरें। ग्लोबल वार्मिंग जो हो रहा भूमंडल नाशक है, पेड़ों के काटने से जो बनी स्तिथी नाजुक है. आओ मिलकर कोई उपाए हम त्वरित करें, इस बेरंग होते पर्यावरण में फिर…

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गणिका

गणिका ‘चरित्रहीन हो, बेगैरत हो, हो निर्लज्ज और कुल्टा’ ऐसे कितने तीर चला कर कहते हो मुझको गणिका ! शफ्फाक वस्त्र में सजे हुये, पर अंदर से उतने मटमैले, रुतबे वाले ,रँगे सियार, इस समाज में हैं फैले ! भूल के अपनी मर्यादा औ’ भूल के पत्नी का वह प्यार , काम पिपासा के कामातुर,…

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मैं भूत बनकर आऊँगी

मैं भूत बनकर आऊँगी मैं भूत बनकर आऊँगी सुनो, मैं भूत बनकर आऊँगी ये जो मैं रोज़ तिल-तिल कर मरती हूँ ना उससे मैं थोड़ा-थोड़ा भूत बनती हूँ मुझे यक़ीन है, मैं जल्द ही पूरा मर जाऊँगी मैं जल्द ही पूरा बन जाऊँगी सुनो, मैं भूत बन कर आऊँगी और तुम्हारी गंदी नज़रों की रेखाओं…

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