![सुनो दिसम्बर](https://www.grihaswamini.com/wp-content/uploads/2020/12/IMG_20201223_232053-scaled.jpg)
सुनो दिसम्बर
सुनो दिसम्बर सुनो दिसंबर, यह जो वक्त की गाड़ी तुम खींचकर यहाँ तक लाए हो बहुत भारी थी मजदूरों पर, मजबूरों पर कमजोरों पर, मजबूतों पर कितनों की कमर टूटी कितनों की संगत छूटी बेबस रहा हर एक लम्हा जीवन भी रहा कुछ थमा-थमा परेशान रहे हम सभी कैद रही हर चलती साँस पर इंतजार…