गुलाब

गुलाब तुम्हें तो पता भी नहीं होगा कि मेरे जीवन का पहला गुलाब जो तुमने दिया था अपने पहले प्रेमपत्र में लपेटकर मुझे उसे अबतक संभाल रखा है मैंने प्रेमपत्र के अक्षर धुंधला गए हैं कागज़ में जगह-जगह उभर आए हैं भूरे, चितकबरे धब्बे और लाल गुलाब की पंखुड़ियां सूखकर काली पड़ गई हैं मैं…

Read More

सूना बैठक

सूना बैठक ना पीड़ा ना बीमारी ना संहार कोरोना लाया है पर्यावरण का बहार हवा स्वच्छ, नदियाँ स्वच्छ , पक्षी विचरण कर रहे स्वछन्द, ईश्वर की मार देख इंसान, कल तक जो करता था अहंकार, आज वही इंसान दुबक कर बैठा है आज बेबस, चक्र है यह ईश्वर का कि………….. जिंदगी ने दिखाया ये रंग…

Read More

भूख

भूख मुझे बेशक गुनहगार लिखना साथ लिखना मेरे गुनाह, हक की रोटी छीनना । मैंने मांगा था, किंतु, मिला तो बस, अपमान, संदेश, उपदेश, उपहास, और बहुत कुछ । जिद भूख की थी, वह मरती मेरे मरने के बाद । इन, अपमानों, संदेशों, उपदेशों, उपहासों, से पेट न भरा, गुनाह न करता तो मर जाता…

Read More

कैसे मनाएँ

कैसे मनाएँ कैसे मनाएँ आज़ादी का जश्न..? कैसे भुलाएँ कोरोना के ग़म…? विश्व पुरुष जब अश्रु बहाता हो, कैसे भारत माँ का श्रिंगार करें हम .. कैसे भुलाएँ कोरोना के ग़म। मानवता पर जब घना संकट मंडराता हो, जीवन ,मृत्यु से दया की भीख माँगता हो, मृत्यु का तांडव अविराम चलता हो.., हर गली-मोहल्ले में…

Read More

शुभेच्छा

शुभेच्छा संप्रेषित कीजै सब अभिव्यंजनाएं साकार होवें सब मधुर कल्पनाएं खंडित हो जाएं कलुषित वर्जनाएं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।। पल्लवित हों सम्यक संकल्पनाएं झेलनी न पड़े कभी अवहेलनाएं स्पर्श करे नहीं आपको प्रवंचनाएं नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ।। कलम से निर्गत हों अधिसूचनाएं नाम से जारी हों कई परियोजनाएं संयमित वाणी त्यागे…

Read More

प्रजातंत्र में तंग प्रजा का हाथ है

प्रजातंत्र में तंग प्रजा का हाथ है बलि देहाती, कर्जा वामन लात है प्रजातंत्र में तंग प्रजा का हाथ है आंगुर-आंगुर दाम जोड़ता बीज उधारी कितनी आई ट्रेक्टर का भाड़ा कितना है डीज़ल की कितनी भरवाई गिरवी कटने से पहले उत्पाद है प्रजातंत्र में तंग प्रजा का हाथ है नए आंकड़े, नई रिपोर्टें भूख रेख…

Read More

गणतंत्र दिवस मनाएं

गणतंत्र दिवस मनाएं स्वतंत्र भारत का उत्तम संविधान गण औ तंत्र की सुंदर विवरण छब्बीस जनवरी को दिया मान तंत्र है वो विधिवत संचालन इसका अर्थ साथी सबको बतायें आइए हम गणतंत्र दिवस मनायें गणतंत्र एक है अनोखी प्रणाली भारत का है सार्वजनिक मामला नही होता यह कोई निजी संस्था ना होता ये कभी निजी…

Read More

गाँधी गुब्बारे वाला

गाँधी गुब्बारे वाला वो देखो देश के कर्णधारो, गाँधी गुब्बारे वाला! चला आ रहा है, फट फटिया पर, बिन लाठी और लोटा, अरे यह तो विद्वान विचारक राष्ट्र पिता हुआ करता था! व्यवसाय बदलकर विक्रेता क्यों बना? वो भी गुब्बारों का? हाँ पूछा था मैंने जुटाकर हिम्मत तो, बेचारा बिफर पड़ा, और कहने लगा, मेरी…

Read More

उम्मीदों का नया दशक

उम्मीदों का नया दशक 2021से 2030 का समय एक नए दशक का आरंभ कितनी नई जिंदगियों की शुरुआत कितनों की सेवानिवृत्ति कितनों के नए कर्तव्य होंगी कितनी नई किलकारियाँ कितनी नई गृहस्थियाँ जो पालने में हैं, नए आयाम गढ़ेंगे जो पा चुके हैं पंख, वृहद आसमान छूयेंगे नये जहान का विस्तार होगा नयी तकनीक का…

Read More

कैसा गणतंत्र कैसी आज़ादी

कैसा गणतंत्र कैसी आज़ादी सोने की चिड़िया कहलाये जाने वाला मेरे सपनों का भारत क्यों बदल गया जहां हर कोई बेहाल जहां हर कोई घायल लादे आज़ादी और गणतंत्र का बोझ बोझिल कांधों पर गणतंत्र कैसा ये गणतंत्र आज़ादी कैसी ये आज़ादी जहाँ आज भी धर्म पर होते बवाल कई न आज़ादी मंदिर की न…

Read More