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अमिता की कलम से
![कड़ियाँ](https://www.grihaswamini.com/wp-content/uploads/2022/02/21.02.2022-00.38.45-271-29.jpg)
![हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य](https://www.grihaswamini.com/wp-content/uploads/2022/02/21.02.2022-00.38.45-271-29.jpg)
हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य
हमारी धरती, हमारा स्वास्थ्य मानव शरीर पंचतत्वों से निर्मित है। जल, गगन, समीर, अग्नि, और पृथ्वी यानि कि भूमि। इन्हीं पंचत्तवों से पैदा होकर हम फिर इन्हीं में विलीन हो जाते हैं। उपनिषदों में, वेदों में तथा सभी धार्मिक ग्रंथों में वातावरण – धरती, जंगल, वायु, नदी की चर्चा एक मित्र की तरह होती है।…
![आवाज](https://www.grihaswamini.com/wp-content/uploads/2022/02/21.02.2022-00.38.45-271-29.jpg)
![पीली कोठी](https://www.grihaswamini.com/wp-content/uploads/2022/02/21.02.2022-00.38.45-271-29.jpg)
![कुछ नया सा](https://www.grihaswamini.com/wp-content/uploads/2022/02/21.02.2022-00.38.45-271-29.jpg)
कुछ नया सा
कुछ नया सा अंजलि को जब भी घबराहट महसूस होती है, वह अपने नाखून चबाने लगती है। कितनी बार उसने यह आदत छोड़ने की कोशिश की, लेकिन जाने अनजाने यह हो जाता है। अविनाश ने कितनी बार टोका होगा – लेकिन आदत तो छूटती नहीं। अब यही देखो ना, अविनाश को भूलने की कोशिश भी…