डाॅ रजनी झा की कविताएं
डाॅ रजनी झा की कविताएं 1.प्रेम (सीता) सीता चकित हो गयी थी विवश व्यथित हो गयी थी सजल नयन लक्षमण को देख खता अपनी पुछ रही थी। आर्यपुत्र ने क्यों सजा दिया अपने से क्यों दूजा किया चौदह वर्ष वन मे संग रखा अब क्यों अपने से दूर किया? निरूत्तर लक्षमण सर झुका खड़े रहे…