शून्य से समग्र की ओर

” शून्य से समग्र की ओर “…. इस विराट ब्रह्मांड में हमारे होने का सत्य ही यह जीवन है ।धरती पर बसे हर जीव की अपनी एक कहानी है। संवेदनाओं की अनुभूति गहरे चिंतन के बाद अभिव्यक्ति का वह भास्वर बनती है जहां पारस्परिक एकात्मकता जीवन को मजबूती प्रदान करती है। कहते जिसका जितना समर्पण…

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अपनी बात

अपनी बात मन के दरवाजों पर मेरे सपनो की पहली दस्तक थीं मेरी कवितायेँ ..न जाने कहाँ कहाँ ,किन अनजानी गलियों से गुजर कर जीवन की यात्रा तय करती रहीं मेरे साथ साथ ….उम्र के पड़ावों को पार करती ,संघर्षों के शैल शिखरों को विजित करती …वे पलती रहीं मेरे अंतर्मन की गहराईयों में …पर…

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तलाश एक पहचान की

  तलाश एक पहचान की चौदह अक्टूबर उन्नीस सौ इकहत्तर (14 – 10-71)को छतीसगढ़ के रायपुर जिला के एक छोटे से गांव में स्वर्गीय श्री दिलीप सिंह जी के द्वितीय पुत्र श्री खोमलाल जी वर्मा (स्व.) सम्पन्न कृषक के प्रथम संतान के रूप में मेरा जन्म हुआ। दुर्भाग्य से उन दिनों ल़डकियों को जन्म देना…

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करोगे याद तो हर बात याद आएगी

करोगे याद तो हर बात याद आएगी मैं, ऋचा वर्मा, माता स्वर्गीय प्रमिला वर्मा, पिता श्री सुरेन्द्र वर्मा की सबसे बड़ी संतान, एक लंबे, लगभग 10 वर्षों की प्रतीक्षा और बहुत मन्नतों के प्रतिफल के रूप में उनकी जिंदगी में आयी। संस्कृत भाषा में एम. ए. पास माता जिन्हें मैं मम्मी कहती ने मेरा नाम…

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हार कभी न मानी

  हार कभी न मानी   राह कठिन है जीवन की पर हार नहीं मानी है. पर्वत-सी ऊँची मंज़िल पर चढ़ने की ठानी है. जीवन के पाँच दशक पार हो जाने के बाद जब अपने जीवन को एक द्रष्टा के तौर पर देखती और विश्लेषण करती हूँ तो लगता है एक व्यक्तित्व वस्तुतः अपने माता-पिता…

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“राष्ट्रपिता”

“राष्ट्रपिता” किसने जाना था कि सत्य के प्रतीक बन जाओगे अहिंसा के मसीहा भारत की तकदीर बना जाओगे ! किसने समझा था तुम्हे एक दुबली सी काया देगा भारत को आजादी का स्वरुप ! आज नत हम भारतवासी तुम्हारी अद्भुत सीख को याद करे बापू समय के इस चक्र में संसार को समझना होगा संकल्प…

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बापू की ओर

  बापू की ओर मिथ्या से सत्य की ओर घृणा से प्रेम और करुणा की ओर सांप्रदायिकता से भाईचारे की ओर हिंसा की बर्बरता से अहिंसा की संवेदना की ओर बर्बर भीडतंत्र से सत्याग्रह की ओर विलासिता से सच्चरित्रता की ओर उपभोक्तावाद से सादगी की ओर अंध औद्योगीकरण से कुटीर उद्योग की ओर पूंजी के…

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 गीता परिक्रमा

गीता परिक्रमा “ गीता ब्रह्म विद्या है,ब्रह्म का ज्ञान कराने वाली विद्या है।किंतु यह केवल ब्रह्म का विवेचन ही नहीं करती,यह उन रास्तों को भी बताती है जिनपर चलकर ब्रह्मानुभूति की जा सकती है।इसीलिए गीता का योगशास्त्र योगदर्शन से बहुत समानता रखते हुए भी विशिष्ट है।“ “य इमं परमं गुह्यं मदभक्तेष्वभिधायस्ति। भक्तिं मय परां कृत्वा…

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आवाज़ दो हम एक हैं !

आवाज़ दो हम एक हैं ! भौगोलिक सीमाओं से घिरे ज़मीन के टुकड़ों से सिर्फ देश निर्मित होते हैं। देश कोई भी हो, स्थायी नहीं होता। समय के साथ उसकी सीमाएं,उसका स्वरुप बनता और बिगड़ता रहता है। अपने ही देश का इतिहास देखिए तो इसका आकार और इसकी सीमाएं लगातार परिवर्तित होती रही हैं। असंख्य…

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सकारात्मक मानसिकता

सकारात्मक मानसिकता देशवासियों को स्वतंत्रता दिवस पर हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।कितने लोगों की कुर्बानी से हमें स्वतंत्रता मिली है ।आज उन शहीदों को कोटि कोटि नमन।इस स्वाधीनता का दुरुपयोग किसी को नहीं करना चाहिए। आज हमारा देश बहुत तरक्की कर रहा है, प्रत्येक क्षेत्र में ही।एक ओर जहाँ हम चाँद पर पहुंच कर विकास के…

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