शून्य से समग्र की ओर
” शून्य से समग्र की ओर “…. इस विराट ब्रह्मांड में हमारे होने का सत्य ही यह जीवन है ।धरती पर बसे हर जीव की अपनी एक कहानी है। संवेदनाओं की अनुभूति गहरे चिंतन के बाद अभिव्यक्ति का वह भास्वर बनती है जहां पारस्परिक एकात्मकता जीवन को मजबूती प्रदान करती है। कहते जिसका जितना समर्पण…