मैं गुलाब नही/जीवन गुलाब

मैं गुलाब नही मैं गुलाब नही मैं गुलाब नही बन सकती, अपने रोम रोम बिखेर नही सकती। मैं गुलाब नही————-। पंखुड़ियों के निकलने से फिर मेरा वजूद ही क्या? खुद को मिटा दुसरों को खुशबू नही दे सकती, मैं गुलाब नही बन सकती। सरिता सिंह   जीवन गुलाब गुलाब और मानव में है कुछ समानता…

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मुझे नहीं मिले गुलाब

“मुझे नहीं मिले गुलाब” आँखों की पुतलियों का रंग कत्थई था होंठों की फ़लियाँ मूंगिया रंगीं थीं गालों पर चम्पई असर लिये मैं प्रेमिका बनी शब्दों की चाल ढाल भाषा मेरे लिए हमेशा शालीन रही सिंगार और श्रंगार हमेशा सौम्य रहा प्रथम पुरूष की तरफ आकर्षण प्रकृति की तरह हुआ और प्रेम में मैं पृथ्वी…

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वह “गुलाब” तुम ही हो

वह “गुलाब” तुम ही हो मेरे मन को जो भाता है दुख में भी जो हंसाता है वह “गुलाब” तुम ही हो । दर्शन जिसके जब भी पाऊँ असीम सुखों में खो जाऊँ वह “गुलाब” तुम ही हो । होठों पे रहती मृदु हास स्पर्श में कोमलता का अहसास वह “गुलाब” तुम ही हो ।…

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प्रेम का गुलमोहर रौप दूँ

प्रेम का गुलमोहर रौप दूँ सुनो!! तुम और तुम्हारे ख्याल अब कली से गुलाब बन खिलने लगें हैं प्रियवर हवायें तुम्हारे आने का संकेत दे रहीं हैं चारों और मंद बयार में इश्किया खुशबू है मेरे मन की बगिया प्रफुल्लित है !! मैं लिख देती हूं एक नज्म़ ऊंगली से जो शून्य में और तुम…

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रोज़ डे की परंपरा

रोज़ डे की परंपरा कनाडा मे रहने वाली 12 वर्षीय मेलिंडा रोज की याद मे इसे मनाया जाता है, मेलिंडा रोज को सन् 1994 में जब वह 12 वर्ष की थी तब ब्लड कैंसर हो गया था, डॉक्टरों ने कहा मेलिंडा 2 सप्ताह से ज्यादा नहीं जी पायेगी लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और डॉक्टरों…

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रोज डे

रोज डे “अरे, रूको – रूको”, सुमेर ने बाईक रोक दी। “यह तुम्हारी कौन लगती है, बहन?” बीस से चालीस लोगों के हुजूम और उनके आक्रामक रुख को देख गुलाबी ठंढ़ के मौसम में भी सुमेर को पसीना आ गया, उसने बाईक रोकी और दोनों बाईक से नीचे उतर गए। “जी नहीं…”, हेलमेट उतारते हुए…

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मेरे प्रिय तुम गुलाब हो!

मेरे प्रिय तुम गुलाब हो! नेहरू के कोट से चलकर, प्रियतमा के जूड़े में अठखेले, रंग बिरंगे चाहे जितने हो, पर, सुर्ख लाल में हो अलबेले, मादकता की तुम हो परिभाषा, तुम सुहाग सेज की अभिलाषा, मेरे प्रिय तुम गुलाब हो! हो न ! सुधा गोयल ‘नवीन’ 0

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