फिर होली में
फिर होली में हुई आहट खोला था जब द्वार मिला त्यौहार । आया फागुन बिखरी कैसी छटा मनभावन। खेले हैं फाग वृन्दावन में कान्हा राधा तू आना। तन व मन भीगे इस तरह रंगों के संग। स्नेह का रंग बरसे कुछ ऐसे छूटे ना अंग। रंगी है गोरी प्रीत भरे रंगों से लजाई हुई। आई…