सवाल आप के और समाधान हमारा

सवाल आप के और समाधान हमारा आज हमारी पहली सवाल आप के और समाधान हमारा सत्र में कोरोना से संबंधित कुछ प्रश्नों का उत्तर या समाधान हल करने की कोशिश करेंगे डॉ राणा संजय प्रताप सिंह जी के साथ जोकि एक वरिष्ठ फिजीशियन, समाजसेवक और राजनीतिज्ञ भी हैं। भाजपा के वरिष्ठ सदस्य हैं तथा लॉयंस…

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कोरोना : क्राइसिस या कच्चा माल ??

कोरोना : क्राइसिस या कच्चा माल?? आज जब सम्पूर्ण संसार कोरोना वैश्विक महामारी से जूझ रहा है, वो भी बिना किसी अस्त्र/शस्त्र के, क्योंकि ना तो इसका निदान है और ना हीं उपचार। भारत जैसे लोकतंत्र के लिए यह क्राइसिस और भी भयावह हो जाती है! यह सर्वविदित है कि भारत की अपार जनसंख्या और…

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परवाज़

परवाज़ वह पन्द्रह दिन पहले न्यूयॉर्क में बिजनेस मीटिंग मे भाग लेने आया। मीटिंग बहुत अच्छी रही और कम्पनी को नया प्रोजेक्ट मिल गया। वह बहुत खुश था उसे अपनी कामयाबी पर बहुत फक्र हो रहा था आज उसकी मेहनत सफल हुई। खुशी का एक कारण यह भी वह अपने वतन लौट रहा था ।…

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कोविड -19 और गर्भवती स्त्री

कोविड -19 और गर्भवती स्त्री आज कोविड-19 ने पूरे विश्व को अपने चपेट में ले लिया है । विश्व में बढ़ते हुए संक्रमण को संभालने और इलाज करनें के लिए हर स्तर पर विस्तार से कार्य हो रहें हैं। इस वायरस के तीव्रता को मेडिकल सेवा और रिसर्च में लगें, हर क्षेत्र के चिकित्सकगण और…

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पहचानने स्वयं को

पहचानने स्वयं को अधिकतर लोगों को कहते सुना है कि मेरी इससे जान -पहचान है ,मेरी उससे जान -पहचान है ।मेरी ऊँचे स्तर तक जान -पहचान है ।कई लोगों से मेरे संबंध हैं तो यह बहुत अच्छी बात है ।आपका यह गुण है कि आप बहुत लोगों को जानते हैं ,आपकी पहचान का दायरा बहुत…

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पलायन

पलायन पलायन क्यों? खतरे से घबराना क्यूं?? क्यों का कोई अर्थ नहीं, तुम्हें लगता कि….. हम जा रहे उस ओर, जहां कुछ तो होगा !! पर ! यह पलायन जरूरी नहीं, पूरा देश हमारे साथ है, फिर क्यों? आपदा व विपत्ति से घबराना, आग्रह है सुरक्षा का, दायित्व हमें निभाना है, दुःख की घड़ी में…

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मिटेगा कोरोना

मिटेगा कोरोना कैसी हाहाकार मची है कैसा कहर ये ढाया है। पूरी दुनियाँ त्रस्त हुई कोरोना ने दहलाया है। अपने अपने घर में रहना बाहर नहीं निकलना है। जंग शुरू महामारी से है देश से बाहर करना है। दुश्मन ये कमज़ोर नहीं है मानवता का घातक है। जात पांत से दूर ये वायरस इंसानों का…

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विस्थापित

विस्थापित इंसानों के भीतर एक अग्नि, जठराग्नि… बहुत तेज ताप वाली अग्नि का, धीमे – धीमे जलना, इसी जठराग्नि के वशीभूत हो, उसका चलायमान हो जाना, एक चकाचौंध भरी जादू नगरी की ओर, पर उसकी आत्मा तो वहीं रह जाती है, खेत के किसी कोने में, या गली के नुक्कड़ पर। आत्मा बहुत कम जगह…

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