एक खत

एक खत एक पाती माँ के नाम माँ,कहते है इस बेहद खूबसूरत शब्द की सरचना ईश्वर ने तब की जब उन्हें लगा की वह सब जगह नही पहुँच सकते,और फिर उन्होंने हम सब के लिए माँ बनाई!! सम्पूर्ण सृष्टि आकाश गंगा तारा मण्डल और ब्रह्माण्ड की सृजनकर्ता #माँ,वह ध्वनि है #ॐ सी, ओंकार सा वक्त…

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गढ़ा हमारे जीवन को ऐसे

गढ़ा हमारे जीवन को ऐसे , जैसे गढ़े कोई सुनार या कलाकार शब्द नहीं हैं मेरे पास कि रूप दे सकूँ उनको साकार मजबूत इरादों वाली,गंभीर, सहनशील,गुणी ,सुशीला, सौम्या। जिसने हम भाई-बहनों के जीवन को गढ़कर आकार दिया । पिता के साथ मजबूती से हर वक्त उनको हमने देखा खड़ी । हमारी हर परेशानी में…

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मेरी माँ 

मेरी माँ आज अचानक जब कहा मेरी माँ ने मुझसे लिखो ना मेरे ऊपर भी कोई कविता और फिर ध्यान से देखा मैंने माँ को आज कई दिनों बाद । अरे ! चौंक सी गयी मैं माँ कब बूढ़ी हो गयी ? सौंदर्य से दमकता उनका वो चेहरा जाने कब ढँक गया झुर्रियों से माँ…

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माँ

(माँ…) नौ महीने माँ के गर्भ में एक ख्वाब पनपता है मन्द मन्द पल दिन और महीने माँ का सुखद वज़ूद साकार होता है. 🌱 गुजरना वो नौ महीने का आह !! वो पहला !!! …अहसास सकुं भरा.. दुसरा उलझनों का सहना.. अपने होने का अहसास दिलाना.. हर चेहरे पर नई खुशी भर जाना. गर्भ…

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माँ

मां ममता,प्रेम, समर्पण,स्नेहिल संबंधों का आधार हो मां माया,ममता,खुशियां और शीतल छांव तुम हो मां तुम हो मां तो सारी खुशियां सारी मिल जाती है मां की छाया में आकर शीतल छांव मिल जाती है तेरी आलिंगन में आकर मां दर्द सारा मिट जाता है मैं से हम होकर ये दिल सचमुच खिल जाता है…

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माँ

माँ बच्चो के चुप होने से, वो बात समझ जाए बच्चो की उदासी पर, खुद आँसु बहाए वो हमारी माँ कहलाए… अपनी थकान को वो ना बताए दर्द को अपने छुपाती जाए एक आवाज देने पर वो उठ जाए वो हमारी माँ कहलाए… मायके की याद को सीने मे दबाए सबकी चिंता मे वो ना…

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माँ

मां गोद में जिसके जन्नत होती है वो मां होती है लुटाती है जो खज़ाना ममता व प्यार का वो मां होती है बहलाती, फुसलाती, दुलारती है तो, वो डांटती भी है डांटकर खुद आंसू बहाती और फिर रूठे को मनाती भी है बिन कहे बात दिल की हमारी वो जान जाती है समस्या हमारी…

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माँ

माँ मैंने कितना ही उसका दिल तोड़ा फिर भी वह मुझे दिल का टुकड़ा कहती रही मैंने कितना भी उसे बुरा भला कहा फिर भी वह मुझे सूरज चंदा कहती रही मैंने कितना ही उसे सताया फिर भी वह मेरी राहों के कंकड़-कांटे चुनती रही क्योंकि वह मां थी शक्ति भर उसने हर विपदा से…

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माँ तुम बहुत याद आती हो

माँ माँ तुम बहुत याद आती हो जब स्कूल से घर आती हूँ, खाली घर ही पाती हूँ सूनी सी देहरी देखती हूँ, अपनी थाली खुद लगाती हूँ, छोटे को भी कभी ख़िलाती हूँ , हर निवाले के साथ माँ तुम बहुत याद आती हो। आज जब मुझे लगा कि अब मैं भी बड़ी हो…

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माँ

“माँ” अक्षर में सिमट पूरा संसार हर खुशी हर आस हर विश्वास से बुना ये रिश्ता प्यारा।। न कोई छल इस में न कोई मिलावट न कोई बनावट बस निश्छल स्नेह से बुना ये रिश्ता प्यारा।। माँ क्या होती है कितना दर्द वो सहती है कितनी जान वो लगाती है खुद को भूल ही जाती…

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