एक पेड़ लगाएं
एक पेड़ लगाएं जीवन निर्भर जिस प्रकृति पर उसका ही किया अपमान देखो मानव तुमने कैसा किया अपना ही नुकसान विपदा का कारण तुम हो,तुम ही हो वह मनुष्य महान प्रकृति से किया छेड़छाड़ अब क्यों दे वो तुम्हें मान अब तो समझो प्रकृति का संदेश तुमने किया गलत है काम मानव अब तो बदलो…