पहली कविता

पहली कविता बचपन के भावाें को सहेज अपने नन्हें हाथाें से लिखी मैने तितलियाें पर एक कविता । खुशी से थिरकती ,उछलती पहुॅंची पिता के पास कहा- पिता देखाे मैंने की है रचना लिखी है मैने कविता , पिता ने हॅंसकर माथा चूम लिया कहा,मेरी लाड़ली है यह मेरी प्यारी सुन्दर कविता । यह सुन…

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एक खत मेरे डैडी के नाम

एक खत मेरे डैडी के नाम लोग कह रहें हैं आज पिता दिवस है आज बेशक आप हमारे बीच शारीरिक रूप से नहीं आप तना बन कर रहे मेरे जीवन वृक्ष का वो सुबह पार्क से चमेली के फूलों को तोड कर लाना और मेरे सिराहाने रख उनकी खुशबू मुझे जागने पर मजबूर कर देना…

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सूर्यग्रहण

सूर्य ग्रहण आषाढ़ कृष्ण पक्ष अमावस्या वार रविवार (21 जून 2020) को (चूड़ामणि योग) कंकणाकृती सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई देगा एवं यह मध्य अफ्रीका, दक्षिणी प्रशांत महासागर, हिंद महासागर, चीन ताइवान, अरब क्षेत्रों में, ओमान, पाकिस्तान आदि क्षेत्रों में भी देखने को मिलेगा यह भारत के शहर चमोली देहरादून जोशीमठ कुरुक्षेत्र सिरसा सूरतगढ़ आदि…

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बापू

बापू तुम्हारे वजूद से थी मेरे गुलिस्ताँ में रौनकें सारी, तुम्हारे बगैर इस दुनिया को मै वीरान लिखती हूँ …..बापू सभी रिश्तों पर खुब लिखा जाता हैं माँ पर दोस्ती पर ,आज मै अपने पापा के बाते  लिखूंगी, मै अपने पापा को बापू के सम्बोधन से पुकारती थी,जहाँ सब डैड कहते मै उन्हें बापू कहती…

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पापा की तरह

पापा की तरह नहीं बन पाती कलाकार पापा की तरह फटी जेब में भी जो मुस्कुराहटें संभाल लाते थे परेशानियों के गद्दे पर भी जो रेशमी चादर बिछाते थे हर ईंट में खुद को ढाल घर हमारे लिए बनाते थे । नहीं आता हुनर पापा की तरह पसीने से तर – बतर जो जेठ की…

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पिता

पिता देखा है बचपन से कैसे अपनी हर ख्वाहिश को छिपा कर हम भाई बहन को दी हर सुख की छांव कभी न रुके न थके कभी न कहीं गए कभी न कोई छुट्टी बस काम और बस काम अच्छी से अच्छी शिक्षा खान पान ,पहनावा रखा हम भाई बहन का कर खुद के लिए…

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ऊंगली पकड़ कर तुमने….

ऊंगली पकड़ कर तुमने…. साठ के दशक में जन्‍में हम सब एक ऐसी बिरादरी का हिस्‍सा हैं, जो कि न बहुत पुरानी सोच के मोहताज हैं, और न ही बहुत नई तड़क-भड़क में विश्‍वास रखते हैं। और हमारी ऐसी सोच को बनाया, सजाया संवारा और एक रूप रेखा दी है हमारे माता-पिता ने। दहलीज के…

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सूरज की ऊर्जा.. बरगद की छांव .. मेरे पापा

सूरज की ऊर्जा.. बरगद की छांव .. मेरे पापा सूरज कभी भी अपने आने का शोर नहीं मचाता, वो तो चुपचाप पूर्व दिशा में प्रकट हो जाता है और उसी से सम्पूर्ण विश्व ऊर्जावान हो उठता है। विशाल बरगद का वृक्ष कभी भी शोर मचा कर अपनी विशालता का बखान नहीं करता, उसकी उपस्थिति ही…

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ये विषाणु

ये विषाणु कुछ कह रहा है ये विषाणु : मैं कारण भी परिणाम भी, बरसों से धुंधलाये नयनों से जो आज हुआ है नज़ारा, निर्मल नीलाम्बर , सुंदर प्यारा, दिए जा रहा प्रमाण भी। जीवन के पांचों मूल तत्वों से किया कितना ही खिलवाड़, बन्द कर दिया सघन चिकित्सालय के वार्ड। पिता अंतरिक्ष को ही…

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पर्यावरण का करें ख्याल

पर्यावरण का करें ख्याल दुनिया भर में 5 जून का दिन विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में निर्धारित है। 1973 में पहली बार अमेरिका में विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया गया था। इस वर्ष भी हर वर्ष की तरह पर्यावरण दिवस पर दो-चार पेड़ लगाकर हम अपने दायित्व को पूरा कर लेंगे। लेकिन…

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