प्रत्यक्ष भगवान

प्रत्यक्ष भगवान ईश्वर को किया जा सकता है महसूस मगर डाँक्टर जब देता है मरीज को जीवन दान तो दर्शन होते हैं प्रत्यक्ष भगवान के जो न बंधा होता है किसी पंथ/जाति/रंग हर सीमा से दूर मानवता का पोषक सेवा का अवतार मान/अपमान की परवाह किये बिना कर्तव्य के पथ पर अग्रसर सोनिया अक्स समर्पित…

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अनावरण/अन्वेलिंग

अनावरण/अन्वेलिंग यह कहानी सच्ची घटनायों का एक समूह, जहां कुछ भी काल्पनिक नहीं है,न नाम,न जगह और न ही वर्णित घटनायें। एक कहानी बोइसर से शुरू करते है जो महाराष्ट्र का सबसे बड़ा औद्यौगिक छेत्र है। 18 माई को गोरेगांव में काम करने वाला एक टेक्नीशियन,अरूण मौर्य (29)को खून की उलटी हुई।पड़ोसियों की मदद से…

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Father’s Day

मेरे आदर्श और मैं उनकी छाया पापा के बारे में मैं क्या कहूं। दुनिया के सबसे अच्छे पिता थे। मेरे सबसे अच्छे मित्र सबसे अच्छे सलाहकार और सबसे अच्छे मार्गदर्शक थे। मैं जो कुछ भी हूं उन्हीं के कारण हूँ।पिता जी की सबसे अच्छी बात थी कि वह अपने बच्चों के साथ समय बिताते थे…

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छत से छाये पिता

छत से छाये पिता माँ के आशीष-फूल में तुम मनका से जड़ते रहे पिता मौसम की बौछारों में भी तुम छत से छाये रहे पिता रोके थे अपने दम-खम से दिन के सब झंझावातों को गिरने से बचा लिया हरदम तुमने सपनों के पातों को विपरीत दिशा से धूलों की रोकते रहते आँधियों को जगते…

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भागलपुर मेरी यादों में

भागलपुर मेरी यादों में गंगा किनारे बसा भागलपुर बिहार का एक साधारण सा शहर पर मेरे लिए बेहद महत्व पूर्ण …..मेरे पापा माँ की शादी भागलपुर में १९५९ जून में हुई थी जब नाना वहाँ मजिस्ट्रेट थे .पापा की पहली नौकरी टी एन बी कोलेज भागलपुर में ही हुई और उनकी पहली संतान यानि मेरा…

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पिता

पिता जो पीता है बच्चों के लिए दुख और तकलीफ़ जो आकंठ डूबा होता है स्नेह से, मगर मौन शांत रहकर सींचता है अपने वृक्ष – बेलों को… पिता जो पी लेता है हर विषम परिस्थितियों के विष को मात्र अपनी संतान को अमृत की जीवनदायिनी घूंट देने के लिए… पिता खुद लड़खड़ाता तो है…

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बिन पिता के

बिन पिता के स्वाभिमान, सुरक्षा, स्नेह, समर्पण वटवृक्ष सी छाया जिसने की अर्पण चरणों में जिसके सब कर्म धर्म समझाया जिसने जीवन का मर्म माँ के जीवन के, जो थे परिभाषा मिली उन्हीं से अदम्य जिजीविषा निष्ठा, कर्त्तव्य, पोषण, अनुशासन मूल मंत्र सा जिसने, फूंका अंतर्मन बिन तुम्हारे अधूरा हर संकल्प तुम बिन दूजा न…

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Father’s Day

मेरे बाबूजी भोले भाले ,सीधे-साधे, सबसे अच्छे बाबूजी थे । दृढ़ प्रतिज्ञ, उज्जवल चरित्र, कर्म योग के योगी थे। सबसे प्यारे सबसे अच्छे बाबूजी थे। अनुशासित जीवन था उनका। उच्च कोटि के शुद्ध विचार। न्याय सदा करते थे। सबसे प्यारे सबसे अच्छे बाबूजी थे । गहराई से सोच समझ कर कर, बात समय पर करते…

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एक पेड़ गुलमोहर का

एक पेड़ गुलमोहर का लगाया था एक पेड़ लाल गुलमोहर का घर के आँगन में अपने ही हाथों से आपकी याद में  पिताजी  खड़ा है मेरे साथ आज भी जैसे आप खड़े रहते थे अपनत्व की छाँह लिए अपलक निहारते थे आप जिस तरह निहारती हूँ हरदम मैं लाल गुलमोहर झड़ते हैं लाल लाल फूल…

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