जाले
जाले “अरे! धीरे…धीरे।” “हाँ, धीरे ही चल रही हूँ,” चमाचम चमकते टाइल्स की फर्श पर फिसल-फिसल जा रहे थे स्तुति के पैर। मोहित ने उसको कंधों से थाम लिया। “एकदम घबराना नहीं है मिनी।…सिस्टर! डॉ. अमला कितने बजे तक….?” “बस पंद्रह मिनट बाद।” संक्षिप्त उत्तर! रिसेप्शनिस्ट बिजी। बारी-बारी से बजते कॉल को रिसीव करती रिसेप्शनिस्ट…