हम जीतेंगे

हम जीतेंगे हम जीतेंगे, हम जीतेंगे लाज़िम है कि हम ही जीतेंगे वो दिन कि जिसका अरमां है हम सारे जनों का फ़रमां है जब ये भय, ये दहशत का आलम बन इक गुबार उड़ जाएंगे बेशक़ हम दिलों को जोड़ेंगे औऱ ज़ंजीरों को तोड़ेंगे लेकिन, लेकिन……. ना रखे दुश्मन कोई भरम नहीं है मुश्किल…

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कवि,कविता और कोरोना

कवि, कविता और कोरोना सच ही कहा गया है कि ‘जहाँ न पहुँचे रवि वहाँ पहुचे कवि’ । आज कोरोना नामक महामारी वैश्विक स्तर पर फैल चुकी है । अमेरिका जैसी दुनिया की बड़ी-बड़ी महाशक्तियों ने इसके सामने घुटने टेक दिये हैं । ऐसी संकट की घड़ी में हमारे देश के हिन्दी, संस्कृत, उर्दू कलमकारों…

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प्रथम गुरु – मां

गुरु पूर्णिमा विशेष प्रथम गुरु – मां मां तुम मेरी प्रथम गुरु हो तुमने ही मुझे पढ़ाया है तुमने ही सुख दुख में मुझको जीवन का सार बताया है, करूं वर्णन कैसे तेरी महिमा का मेरी नींव है तुम पर टिकी हुई जीवन में हर एक रिश्ते की पहचान तुम्हीं से मिली हुई तुमने ही…

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विजयी भारत

विजयी भारत “ह्रदय का ज्वार सड़कों पर फबेगा, कफन को बाँध सीने पर कहेगा। मचाने और बकंर सब हटा दो, किधर तोपें लगी हैं, यह भी तो बता दो। हमें सहना नहीं है, ये है ठाना, नहीं दबने का हासिल कुछ है ,जाना। तो अब रण हो रहेगा और अब ही, है शोणित तो बहेगा…

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भारत और आत्मनिर्भरता

भारत और आत्मनिर्भरता जब विश्व कोरोना वैश्विक आपदा से लड़ रहा था भारत कोरोना को हराने के साथ साथ खुद को आत्मनिर्भर बनाने के सपने संजोए आगे बढ़ रहा था। इस महामारी से पूरी मनुष्य जाति प्रताड़ित थी और इस पर किसी तरह काबू पाने के लिए जूझ रही थी। कारखाने ,दफ्तर सभी निर्माण कार्य…

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हिंदी चीनी भाई भाई के नारों से दूर है हमारा रिश्ता

हिंदी चीनी भाई भाई के नारों से दूर है हमारा रिश्ता चीन और भारत का बहुत पुराना ऐतिहासिक रिश्ता है। मौर्य काल से नेहरू मोदी तक रिश्तों का सफर रहा है। पहली सहस्राब्दी के दौरान, दोनों ही आध्यात्मिक और धार्मिक गतिविधियों के केंद्र थे और 19 वीं सदी के अंत और 20 वीं सदी की…

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कभी देखा है किसी स्त्री को कर्ण होते..!!

कभी देखा है किसी स्त्री को कर्ण होते..!! कभी देखा है किसी स्त्री को कर्ण होते..!! कानो में कुंडल जिस्म पर कवच धारण किए हुए..??? संवेदनाओं का लक्ष्य भेद कुण्डलों सा सामाजिक विचारों को धारण करने की बातें।हाथों में मर्यादाओं की चूड़ियाँ, माथे पर भव्य सुर्ख लाल सौभाग्य की बड़ी सी बिंदी मानो सूर्य को…

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1962 के अविस्मरणीय यादें

1962 के अविस्मरणीय यादें वर्तमान में हिन्दुस्तान बहुत सारी मुश्किलों और चुनौतियों से जूझ रहा है।हमारा देश इस मुश्किल घड़ी में सिर्फ एकता, अखंडता, सतर्कता और जागरूकता से ही विजयी होगा। ऐसा ही मुश्किल समय 1962 मे भारत चीन युद्ध के दौरान आया था जिसका हम हिंदुस्तानियों ने एकता बनाए रखते हुए डट कर मुकाबला…

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सावन बदला अपना स्वरूप ?

सावन बदला अपना स्वरूप ? काले काले बदर धुमड घुमड कर आए वर्षा रानी भी जमकर बरसी बिजली कौन्धी और जोरों की कड़की भी, सावन न्यौता जो लेकर आई मस्ती की,झूमने की भींगने और भिगाने की रूठने की, मनाने की सपनाने की ,अलसाने की। नहीं, सावन नहीं बदला अपना स्वरूप, हां, बदला झूमने का रूप…

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डॉक्टर-एक फरिश्ता

डॉक्टर-एक फरिश्ता डॉक्टर धरती का एक फरिश्ता है, मरीजों का दिल से एक रिश्ता है, मरीजों का नब्ज देख भांप वो लेता, हिम्मत, हौसला बुलंद रखता, हरदम दिमाग से काम वो लेता, बचाकर जीवन वो कितनों की, बनाया सबसे एक रिश्ता है, वो !!!!! एक डॉक्टर नहीं फरिश्ता है, कितने मरीजों को जीवन दान दिया,…

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