विजयी भारत

विजयी भारत आप में से बहुतों ने १९६२ का युद्ध देखा होगा व उसकी कहानियां भी सुनी होंगी।मेरे भी ज़हन में आज कई दिनों से वो १९७५ का पाकिस्तान व भारत के युद्ध जिसके “सायरन” की गूंज,वो मेरे घर की छत से जहाजों की फर्राटेदार उड़ानें और उस पर हम दोनों बहनों को मां और…

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एक अलग सा सावन

एक अलग सा सावन अब के सावन बारिश कुछ अलग सी फुहार लेे आई है बिरह से सींची बूंदों को बहने से अखियां न रोक पाई है न खिल रही इन हाथो में मेहंदी की लाली न दील के बगीचे में सजती कदंब की डाली हरी चूड़ियां आजकल गुमसुम सी है रहती न जाने उसकी…

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बादलों के संग क्यों उड़ने लगा है मन

बादलों के संग क्यों उड़ने लगा है मन (१) बादलों के संग क्यों उड़ने लगा है मन कल्पना के जाल क्यों बुनने लगा है मन इन्द्रधनुषी स्वप्न के संग रात भर , बीन के तारों सदृस बजने लगा हैं मन ? हरित वर्णा हो गई है सांवरी धरती , बादलों के प्यार ने क्या चातुरी…

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कटहल

कटहल राम प्रसाद जी का परिवार बनारस शहर के प्रसिद्ध रामघाट पर गंगा जी के किनारे स्थित पक्का महाल सिंधिया हाउस के पुरानी हवेली के दो कमरों में किराए पर रहते थे।उनके परिवार में पत्नी बेटा ,बहू तथा छोटा नाती कुल पांच लोगों का परिवार था।उस समय लोगों में बहुत एकता,प्रेम, भाईचारा व अपनापन हुआ…

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सावन- भगवान शिव का पवित्र महीना

सावन- भगवान शिव का पवित्र महीना देवों के देव महादेव रूप अद्भुत निराला डमरू धारी त्रिपुरारी नरमुंड,गले कंठमाला सावन में तुम पूजे जाते हर ओर शिव की गूंज त्रिशूल हाथ में, तांडव साथ में सोहे हर एक रूप कैलाशपति,नीलकंठधारी आओ बन प्रलयकारी।आई है देखो विपदा ऐसी हर लो दुख हे त्रिपुरारी भोले भंडारी।बेलपत्र,भांग से पूजे…

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बारिश

बारिश!! शनिचरी को बारिश पसंद नहीं है! ये बुड़बक बारिश जब -जब आता है। वह खेत खलिहान घूमने नहीं जा पाती है। शनिचरी को बारिश पसंद नहीं है! मे मे करती उसकी सभी..बकरियाँ घर वापस आ जाती हैं बस एक झोपड़ी है फूस की उसमें वह रहेगी या उसकी बकरियाँ शनिचरी को बारिश पसंद नहीं…

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बदला सावन

बदला सावन इस बार सावन, कुछ बदला-बदला है। ना उमंग है,ना तरंग है। लागे सब देखो वेरंग है। चारों ओर हाहाकार मचा है। मुँह खोल बिकराल खड़ा है इस बार सावन, कुछ बदला बदला है। बगियाँ फूलों से भरी, पर सूनी-सूनी हैं। ताल-तलैया तृप्त हुऐ, पर प्यासी-प्यासी हैं। इस बार सावन, कुछ बदला-बदला हैं। काले-काले…

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जनसंख्या: कितना उपादान, कितना व्यवधान

जनसंख्या: कितना उपादान, कितना व्यवधान जनसंख्या अर्थात जनशक्ति अर्थात सृष्टि का सबसे समर्थ ऊर्जा स्रोत, जो दूसरे ऊर्जा स्रोतों के बेहतर प्रयोग एवं बेहतर प्रयोग की दिशा में अन्वेषण में सक्षम होता है। जगत में जिसका भी अस्तित्व है- भौतिक/ अभौतिक, उन सबों का स्वामित्व है इसके पास। स्वामित्व है तो उत्तरदायित्व भी होना चाहिए।…

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बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब

बढ़ती जनसंख्या परेशानी का सबब ग्यारह जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस के रूप में मनाया जाता है।इसको मनाने का उद्देश्य बढ़ती जनसंख्या के प्रति ध्यान खींचना है और लोगों को जागरूक बनाना है।आज पूरे विश्व में हर सेकेण्ड में चार बच्चों का जन्म होता है जबकि मृत्यु दर इसकी आधी है।अगर जनसंख्या इसी दर से…

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“पसरते शहर ……….….. सिकुड़ते लोग” !!

  “पसरते शहर ……….….. सिकुड़ते लोग” !! सुविधाएं जब सनक और रुतबे का रुप ले लेती है, तो दबे पांव जिंदगी में घुन लगना शुरू हो जाता है। कभी शहर का मतलब सुख-सुविधाओं और बेहतर जीवन रहा होगा, पर आज शहरों की हालत देखते हुए ऐसा बिल्कुल नहीं नजर आता। अब हर कोई शहरों की…

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