प्रेमचंद जयंती महोत्सव(अंतरराष्ट्रीय कथा महोत्सव)
ऑनलाइन खाना
ऑनलाइन खाना पिताजी के इस दुनिया से जाने के बाद माँ का आना-जाना लगा ही रहता था। प्रिया उनकी इकलौती संतान थी,पिताजी के जाने के बाद माँ एकदम अकेली पड़ गई थी।घर का कोना-कोना पिता जी के साथ बिताए मधुर पल की याद दिलाता रहता,जब माँ घर के अकेलेपन से डरने लगती तो…
मैट्रिमोनियल
मैट्रिमोनियल ‘ हैलो जी, मैं अरवी का पिता चेतक अरोरा। आपके बेटे की प्रोफाइल देखी है। आप मेरी बेटी की प्रोफाइल देखी लीजिए।’ ‘जी! अभी देखती हूं।’ सरुना तुरंत अरवी की प्रोफाइल देखने लगी। जिसमें लड़की का नाम, जन्म तारीख, जन्म समय, जन्म स्थान के साथ-साथ लड़की की ऊंचाई, रंग-रूप, प्राप्त शिक्षा और…
” माँ बेटी – रिश्ता एक अनन्य शक्ति का “
” माँ बेटी – रिश्ता एक अनन्य शक्ति का “ ब्रिटेन के खूबसूरत पहाड़ी गांव में आज प्राकृतिक रोष तो एक जोरदार तूफान और बारिश के रूप में कहर ढा ही रहा था लेकिन राडु के घर में भी भूचाल और जलजले से कम वातावरण नहीं था। नन्ही बालिका जिया की जन्म से परिवार में…
निर्मला लौटेगी ज़रूर !
निर्मला लौटेगी ज़रूर ! हमारे शहर के इस हिस्से में यह तीन तल्ला,आलीशान पीली कोठी, वास्तुकला की अनुपम मिसाल है. जिसका,काले रंग का, ऊँचा सा भारी भरकम, कटाव-दार मुख्य दार है. लोहे की सर्पाकार सीढ़ियाँ, आबनूस की लकड़ी व रंगीन-सफेद काँच से बनी खिड़कियाँ-दरवाजे, ‘चायनीस-ग्रास’ से सजा कालीन-नुमा उद्यान,विलायती गुलाबों की क्यारियाँ, मुख्य द्वार पर…
कंकालें पतवारों की
कंकालें पतवारों की हांफ रही थी वह….. पसीने से लथपथ…… सांसे तेज चल रही थी……… और कितनी गहरी खुदाई…..? इतनी रात इस मरघट में वह क्या ढूंढ रही थी ? .….. अचानक चीख पड़ी..…….यह क्या….? यहीं तो मैंने उन पतवारों को दफनाया था । इतनी जल्दी कंकाल में कैसे बदल गये ?…