बुद्ध

बुद्ध

“बुद्धं शरणं गच्छामि ऽऽऽ,
धममं शरणं गच्छामि ऽऽऽ,
संघं शरणं गच्छामि ऽऽऽ॥”

महलों में पाया जन्म
भोगी विलासी ना बने
बुद्ध थे वे, सब
त्याग वनवासी हो चले।

बैठ वर्षों तप किया
आत्मज्ञान प्रज्ज्वलित हुआ
बोधिवृक्ष की छाया में
बुद्ध वचनों से
शिष्यों का उद्धार हुआ।

उपदेश से उनके प्रभावित हो
त्याग हिंसा की राह, चल पड़े
सम्राट अशोक भी बुद्ध धर्म अपनाया
संग बेटे महेंद्र और बेटी संघमित्रा ने
ही बुद्ध धर्म को जन जन तक पहुंचाया।

दिया संसार को निर्वाण ज्ञान
चल पाए जो मनु तू उन पर
पा जाएगा बह्म ज्ञान।

अंकिता बाहेती
दोहा, कतर

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