भारत के महानायक:गाथावली स्वतंत्रता से समुन्नति की- सरदार वल्लभ भाई पटेल

भारत के बिस्मार्क : लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

हम सभी को भारतवासी होने पर गर्व होता है पर यह स्वतंत्रता हमें हमारे पूर्वजों के बलिदान और त्याग से प्राप्त हुई है | लाखों स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सर्वस्व त्यागा है तब आज हम आज़ादी की इस खुली हवा में साँस ले पा रहे हैं| जिस विशाल भारत में रहने पर हमें फ़ख्र होता है, उसकी कल्पना बिना सरदार वल्लभ भाई पटेल के पूरी नहीं हो सकती थी | यह सरदार वल्लभ भाई पटेल ही थे जिन्होंने देश के छोटे-छोटे रजवाड़ों और राजघरानों को एक कर भारत में शामिल किया था नहीं तो अखंड भारत का स्वप्न पूर्ण नहीं हो पाता| सरदार वल्लभ भाई पटेल भारत के प्रथम गृह मंत्री और प्रथम उप प्रधानमंत्री थे| उनके द्वारा किए गए अभूतपूर्व कार्यों के कारण उन्हें ‘लौह पुरुष’ और ‘सरदार’ जैसे विशेषणों से नवाजा गया था |
जब हम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं तो सरदार पटेल का नाम सबसे पहले ध्यान में आता है | यह उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति और नेतृत्व कौशल का बल था कि 600 देशी रियासतों का भारतीय संघ में विलय हुआ और अखंड भारत का सपना साकार हुआ | जिस प्रकार बिस्मार्क को जर्मनी का ‘आयरन चांसलर’ कहा जाता है उसी प्रकार पटेल भारत के ‘लौह पुरुष’ कहलाते हैं | जर्मनी के एकीकरण में बिस्मार्क ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी आजाद भारत को अखंड राष्ट्र बनाने में उल्लेखनीय योगदान दिया था |
परिचय –
पटेल जी का जन्म 31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नाडियाड में हुआ था | उनके पिता झावेर भाई पटेल और माता लाडबा पटेल थीं | 16 वर्ष की आयु में उनका हो गया था पर उन्होंने अपनी शिक्षा ज़ारी रखी और 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की| इसके बाद उन्होंने ज़िला अधिवक्ता की परीक्षा उत्तीर्ण की और वकालत करने लगे | अनेक कठिन मुक़दमे जीतने के उनकी पहचान एक प्रभावशाली वकील के रूप में बन गई थी और उनकी प्रसिद्धि दिनों-दिन बढ़ने लगी | वह गांधीजी से बहुत प्रभावित हुए और उनके प्रभाव में आने के बाद उनके जीवन की राह बदल गई| 1917 में गांधी के संपर्क में आने के बाद उन्होंने ब्रिटिश राज की नीतियों के विरोध में अहिंसक और नागरिक अवज्ञा आंदोलन के जरिए खेड़ा, बरसाड़ और बारदोली के किसानों को एकत्र करने का महत्वपूर्ण कार्य किया और इस आंदोनल की वजह से वह गुजरात के प्रभावशाली नेताओं की श्रेणी में शामिल हो गए थे | गुजरात के बारदोली ताल्लुका के लोगों ने ही उन्हें ‘सरदार’ नाम दिया और इस तरह वह सरदार वल्लभ भाई पटेल कहलाने लगे |


उन्होंने जन कल्याण और आजादी के अनेक आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में महत्वपूर्ण स्थान दिया गया| 1929 के लाहौर अधिवेशन में सरदार पटेल ही गांधी जी के बाद दूसरे सबसे प्रबल दावेदार थे| 1945-1946 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए पटेल एक प्रमुख उम्मीदवार थे और उनको स्वतंत्र भारत के प्रधानमंत्री पद के योग्य माना जाता था | 1946 में सरदार पटेल का नाम पूरे बहुमत के साथ प्रस्तावित किया गया गया था और उनको अध्यक्ष बनने को सबका समर्थन था परंतु बाद में सरदार पटेल ने गांधी के सम्मान में अपना नामांकन वापस ले लिया था |
आजादी के बाद छोटी-छोटी रियासतों को भारतीय संघ में विलय करना एक बड़ी चुनौती थी और सरदार पटेल ने आज़ादी के ठीक पूर्व ही पी.वी. मेनन के साथ मिलकर अनेक देसी राज्यों को भारत में मिलाने की रुपरेखा बना ली थी| पटेल और मेनन ने राजाओं को विलय के लिए मनाया पर तीन को छोडकर बाकी सभी रजवाडों ने स्वेच्छा से भारत में विलय का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था |15 अगस्त, 1947 को हैदराबाद, कश्मीर और जूनागढ़ को छोड़कर शेष भारतीय रियासतें ‘भारत संघ’ में सम्मिलित हो गईं थीं | जूनागढ़ के नवाब के पाकिस्तान चले जाने के बाद जूनागढ भी भारत में मिल गया | हैदराबाद के निजाम के भारत में विलय के प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद सरदार पटेल ने सेना भेजकर निजाम का आत्मसमर्पण करा यह कार्य भी पूरा किया | भारत के गृहमंत्री बनने के बाद उन्होंने अपने दायित्वों का निर्वहन करते हुए छह सौ छोटी-बड़ी रियासतों को भारत में विलय कर अखंड भारत के निर्माण किया|


पटेलजी कश्मीर को भी बिना शर्त भारत में जोड़ना चाहते थे पर नेहरू जी ने कश्मीर को विशेष दर्जा दे दिया| नहीं तो कश्मीर को इतने लंबे समय तक भारत में विलय होने की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती|
भारतीय समाज को एकता की राह दिखाने वाले सरदार पटेल का निधन 15 दिसंबर, 1950 को मुंबई में हुआ था
आज भी हमारे समाज को ऐसे लौह पुरुष की आवश्यकता है जो समाज में एकता ला सकें| आम जन को और नेतृत्व करने वालों को उनसे सीख लेनी चाहिए कि सफलता और प्रसिद्धि मिलने पर भी किस प्रकार आम जनता के सुख-दुख में भागीदार बना जाता है |


शालिनी वर्मा
क़तर

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