भारत रत्न डॉ बिधान चंद्र राय
(चिकित्सक,स्वतंत्रता सेनानी समाज सेवी राष्ट्र निर्माता)
डॉ बिधान चंद्र रॉय जी को भारत और विश्व में एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी वरिष्ठ चिकित्सक, शिक्षाविद, निर्भीक स्वतंत्रता सेनानी,कुशल राजनीतिज्ञ और प्रसिद्ध समाज सेवक के साथ-साथ आधुनिक भारत के राष्ट्र निर्माता के रूप में बड़े ही श्रद्धा और सम्मान से स्मरण किया जाता है ।
प्रथम जुलाई उनके जन्म दिवस को पूरे भारत वर्ष में वर्षों से “राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस” के रूप में बड़े ही धूमधाम, गौरवशाली रूप में मनाया जाता है।
भारतवर्ष का चिकित्सक समाज , नर्सें ,पारामेडिक उन्हें अपनी हार्दिक श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। और उनके आशीष और उनके पद चिन्हों पर सदा नतमस्तक रहते हैं।
डॉ बिधान चंद्र राय जी की अनेक उपलब्धियां और सम्मान के कुछ नाम ..
1928..इंडियन मेडिकल एसोसियेशन की स्थापना किए तथा दो पक्ष तक प्रथम अध्यक्ष रहे..
1935-
फेलो ऑफ रॉयल सोसाइटी ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन एंड हाइजीन
1940- फेलो ऑफ अमेरिकन सोसायटी आफ चेस्ट फिजिशियन
1939 से 1945-
फाउंडर प्रेसिडेंट ऑफ मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया.
डॉक्टर अॉफ साइंस
4 फरवरी 1961 — भारत सरकार द्वारा हाईएस्ट सिविलयन अवॉर्ड “भारत रत्न” की उपाधि
भारत सरकार नें उनके भारत के नागरिकों जनता के लिए लगातार समर्पित चिकित्सा संबंधी कार्य ,समाज सेवा ,राष्ट्र निर्माण और अन्य विशेष कार्यों के लिए 1961 मे “भारत रत्न” की उपाधि से सम्मानित किया । उन्हें “डॉक्टर आफ साइंस “की उपाधि भी दी गयी। बंगाल के प्रथम मुख्यमंत्री के रूप में उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें “बंगाल का मसीहा ” भी कहा जाता है।
आपके नाम से 1976 में “डॉ बी सी राय राष्ट्रीय पुरस्कार’ भी शुरू किया गया,जो चिकित्सा, दर्शन, साहित्य, कला और राजनीतिक विज्ञान के लिए उचित चयनित व्यक्ति को दिया जाता है।
डॉ बीसी राय के चिकित्सा संबंधी अनेकों विशेष कार्यों में कुछ ..स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना किए जैसे कि .
*इंडियन इंस्टीटयूट अॉफ मेडिकल हेल्थ
( Indian institute of Mental Health) की स्थापना
*इंफेक्सस डीसीज हॉस्पीटल
(Infectious disease Hospital)
*प्रथम पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल कॉलेज, कलकता
(First Post Graduate Medical College Kolkata )
*रिजोलुसन टे स्टडी काउस एंड इफेक्ट एंड प्रिभेंशन आफ पोलुशन इन हुगली
(Resolution to study cause effect and prevention of pollution in Hoogly)
ऐसे अनेक कार्यों के अनगिनत सूचियाँ हैं..
जन्म, बचपन और शिक्षा साधना–
ऐसे महान व्यक्ति का जन्म बाँकीपुर पटना, बिहार में 1st July 1882 को डिप्टी मजिस्ट्रेट प्रकाश चंद्र राय और अघोरकामिनी देवी के पाँचवी संतान के रूप मे हुआ। कहा जाता है कि उनका परिवार राजघराने से संबंधित था, जिसने मुगलों से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई की थी । पिता की दानशीलता के कारण डॉ बिधान का बचपन अभावों में बीता। और इन सबके वावजूद डॉ बी सी राय के महान व्यक्तित्त्व का निर्माण साधनामय विद्यार्थी जीवन के नींव पर हुआ।
डॉ राय के 14 वें वर्ष में उनकी माता जी का देहांत असमय ही हो गया। पिता अपने कार्य से घर पर नही रहते थे। तो पाँचों भाई बहन घर के कार्य मिलजुल कर करते। सुशारवासिनीश और सरोजनी, दो बहनें सुबोध और साधन दो भाई।
विपरीत परिस्थितियों में भी बिधान पटना से मैट्रिक कर, कलकता प्रेसिडेंसी कॉलेज से आई ए, फिर बी एस किए। वे इतने मेधावी थे कि उन्हें कलकता में बंगाल इंजीनियरिंग एवं कलकता मेडिकल कॉलेज दोनों में दाखिला मिला, पर युवा बिधान चंद्र ने चिकित्सा की पढ़ाई को चुना, और 1901 में उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज में अपनी पढाई शुरू की। पिता के अवकाश प्राप्ति के कारण खर्च चलाने के लिए नर्स का भी काम करते बाद में छात्रवृत्ति (स्लकारशिप) से पढ़ाई करने लगे। उनके पास पैसे की इतनी समस्या थी कि पढ़ाई के समय केवल एक पुस्तक 5 रुपये की खरीदे थे।
1905 में बंगाल का विभाजन होने के समय में डॉ राय राष्ट्रीय आंदोलन में जाना चाहते थे पर उन्होंने विचार कर निर्णय लिया कि वे डॉक्टर बनकर अपने देश की सेवा बेहतर कर पाएंगे। उत्तम नंबरों से डॉक्टरी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वह प्रोभिंशियल स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक और असिसंटेंट सर्जन के पद पर कार्य में लग कर बहुत ही मेहनत करने लगे । मरीजों के लिए वे नर्स का भी काम करते । काम के बाद में बहुत ही कम फीस पर प्राइवेट प्रैक्टिस भी करते ।
अपने लक्ष्य और धुन के पक्के युवा डॉ बी सी राय
1909 में मात्र 12 सौ रुपए लेकर आगे पढ़ाई करने के लिए बारथोलोमेव हॉस्पीटल , लंदन इंगलैंड गये। पर वहाँ के डीन को एशियन पसंद नहीं थे । पर लक्ष्य के लिए डॉक्टर राय के 30 बार आवेदन पत्र के बाद आखिर उनको दाखिला देना पड़ा । इस समय डॉ राय के गाइड, मित्र, फिलोसफर इंगलिश मैन कॉलेनल लूकीस ने मेडिकल सेवा और देश सेवा के लिए उन्हें बहुत प्रेरणा दी । और दृढ़ लगन और समर्पण से दो सालों में ही डॉ बिधान चंद्र राय जी एम आर सी पी और एफ आर सी एस करने वाले पहले भारतीय डॉक्टर थे ।
1911 में डॉ राय ने भारत लौटकर कोलकाता मेडिकल कॉलेज और कारमीचेयल मेडिकल कॉलेज में पढ़ाना शुरू किया।
डॉ विधान चंद्र राय इस समय में साधारण लोगों में स्वास्थ्य सेवा और जागरूकता के लिए वह बहुत प्रयत्नशील रहे और साथ ही साथ मेडिकल शिक्षा को बढ़ावा देने लगे और कई विशेष अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों की स्थापना किए।
दूरदर्शिता और विचार धारा —
डॉक्टर विधान चंद्र राय जी के अनुसार देश में असली स्वराज तभी आ सकता है जब देशवासी तन और मन दोनों से स्वस्थ होंगे। उन्होंने चिकित्सा शिक्षा से संबंधित कई संस्थानों में अपना अंशदान दिया । इस ध्येय से उन्होनें अनेकों बड़े कार्य किए।
1926 में चितरंजन सेवा सदन की स्थापना किए जो महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के लिए विशेषकर था । उस समय महिलाएं अपनी चिकित्सा के सलाह लेने के लिए बहुत ही झिझकती थीं। जिसे उन्होने दूर करने का अथक प्रयास किया । साथ ही उन्होंने महिलाओं की जागरूकता के लिए नर्सिंग और समाज सेवा के लिए ट्रेनिंग सेंटर खोला । इससे महिलायें बहुत प्रेरित हुईं। डॉ राय चितरंजन सेवा सदन के अलावा ,जादवपुर टीवी हॉस्पिटल ,कमला नेहरू हॉस्पिटल ,विक्टोरिया संस्थान, चितरंजन कैंसर हॉस्पिटल जैसे अनेक चिकित्सा संस्थान और चैरिटेबल डिस्पेंसरी की स्थापना किए ।
राजनीति में प्रवेश :-
इसी समय देश में राजनीतिक गतिविधियाँ बढ़ रही थी। देश सेवा के भाव से 1925 में डॉक्टर राय ने राजनीति में प्रवेश किया। वे बंगाल लेजिसलेटिव कांस्टीट्यूएंसी के लिए बैरकपुर से चुनाव लड़े और सुरेंद्रनाथ बनर्जी को हरा दिए। अपनी दिव्यता और प्रतिभा से वे गाँधी जी और नेहरू जी के सानिध्य में आए।
1928 में इसी क्रम में देश के समस्त चिकित्सकों की एक जुटता के लिए “इंडियन मेडिकल एसोसियेशन” की स्थापना में डॉक्टर विधान चंद्र राय का बहुत बड़ा हाथ रहा और वे आई एम ए के दो पक्ष तक प्रेसिडेंट रहे । इसी वर्ष ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी में भी जीते ।
1929 में सिविल डिसऑबेडिएंस मूवमेंट ऑफ़ बंगाल को लेकर बढ़े और पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने कांग्रेस वर्किंग कमिटी के डॉ राय का नाम प्रस्तावित किया।
पर कांग्रेस वर्किंग कमेटी को ब्रिटिश शासन ने कानूनन अस्वीकार कर दिया और अनेकों के साथ डॉ बिधान चंद्र राय भी 26 अगस्त 1930 को गिरफ्तार हुए और अलीपुर सेंट्रल जेल में उन्हें रखा गया । जेल के अस्पताल में भी डॉ राय ने चिकित्सा का सराहनीय कार्य किया और 1931 में उन्हें रिहा कर दिया गया ।
1931 में वे अल्डरमैन अॉफ कलकता फिर 1933 में कलकता के मेयर बने। अपने इस समय में वे तेजी से अनेक बेहतर कार्य किए.जैसे शुल्क रहित शिक्षा, चिकित्सा सेवा, बिजली पानी और अनेक सड़कों की व्यवस्था शुरू किए और बढा़ए । इसी समय पाँच प्रमुख शहर, कल्याणी, दुर्गापुर, विधान नगर, अशोक नगर और हबरा की भी स्थापना किए। कल्याणी की प्रगति में डॉ राय का विशेष पहल रहा। वहाँ अनेक स्वास्थ्य और शिक्षा केंद्रों की शुरूआत हुई।
1942 में डॉ बिधान चंद्र राय कोलकाता यूनिवर्सिटी के उपकुलपति ( Vice chancellor) नियुक्त हुए। वे द्वितीय विश्व युद्ध में भी कोलकाता में शिक्षा चिकित्सा व्यवस्था कराने रखने में बहुत सफल रहे । द्वितीय विश्व युद्ध का समय था और कलकता को जापान से डर था । पर पढ़ाई करके विद्यार्थी देश की सेवा बेहतर कर पाएंगे, इस विचार को ध्यान में रखते हुए वे एयर रेड सेंटरों की व्यवस्था किए और विद्यार्थियों शिक्षकों को मदद मिलते रहे इसकी व्यवस्था किए कि विद्यार्थियों की पढ़ाई में रुकावट नही हो।
एक दिलचस्प घटना है ….
1942 में महात्मा गांधी को आगा खान पैलेस में कैद रखा गया था । सत्याग्रह के लिए लगातार अनशन के कारण उनकी तबीयत बिगड़ गई ।
पर वे केवल स्वदेशी दवा लेना चाहते थे। डॉ राय ने उनसे विदेशी दवा लेने का आग्रह किया ।तब उन्होंने डॉक्टर बी सी राय से कहा क्या आप मेरे 40 करोड़ देशवासियों का मुफ्त इलाज करते हैं ।
डॉ राय मुस्कुरा कर बोले मैं मोहनदास करमचंद गांधी को ठीक करने नहीं बल्कि उस इंसान को ठीक करने आया हूँ जो 40 करोड़ लोगों का अगुआ है।अगर अगुवा मर गया तो 40 करोड़ लोग मर जाएंगे ,अगर वह जीता है तो 40 करोड़ लोग जिएंगे ।तब गाँधी जी ने विदेशी दवा लिया और कहे आप वकालत क्यों नहीं पढे़। तो डॉक्टर राय मुस्कारा कर बोले ईश्वर ने तो मुझे डॉक्टर बनाया है और वह नही जानता था कि मैं गांधीजी का इलाज करूंगा ।
डॉ राय अपने चिकित्सा कार्य से समाज सेवा और देश सेवा करते रहे। 1939 में उन्होनें देश के चिकित्सकों की मेडिकल गवर्निंग बॉडी ” मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ” की स्थापना की और उसमें प्रथम अध्यक्ष बने और 1945 तक पद पर रहे।
डॉ राय की भारत के राष्ट्र गान के चयन में अहम भूमिका रही।
भारतवर्ष की आजादी के बाद डॉक्टर विधान चंद्र राय जी ने अपना पूरा जीवन मरीजों की चिकित्सा सेवा के लिए समर्पित कर दिया।
1948 में कांग्रेस ने उन्हें पश्चिम बंगाल का मुख्यमंत्री बनने के लिए कहा, पर अपने प्रथम धर्म कर्म मेडिकल सेवा के लिए डॉक्टर राय ने मना कर दिया। फिर गाँधी जी के आग्रह से उन्होनें मुख्यमंत्री, पश्चिम बंगाल का पद संभाला । उस समय बंगाल की स्थिति बहुत ही खराब थी। हिंसा, खान पान अनाज की कमी, रोजगार की कमी तथा पूर्वी पाकिस्तान से बड़ी संख्या में रिफ्यूजी आ रहे थे। मात्र तीन वर्षों में कानून व्यवस्था, सुख शांति, अन्न जल और शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं की सुव्यवस्था रोजगार आदि की समस्या सुलझाने का कार्य किए और बंगाल की गरिमा पुन:लौट आई ।
1950 में डॉ बी सी राय ने नादिया जिला में “कल्याणी स्मार्ट सिटी” का स्थापना की । यह उनका प्यार,
मानस संतान थी।
इसकी भी कहानी है युवावस्था में डॉक्टर बी सी राय को प्रसिद्ध मेडिकल वैज्ञानिक (साइंटिस्ट ) सर निलरतन सरकार की पुत्री कल्याणी से प्रेम हो गया ।बहुत साहस कर उन्होंने सर निलरतन सरकार से कल्याणी का हाथ मांगा ,पर डॉक्टर सरकार ने उन्हें यह कहकर मना कर दिया कि डॉक्टर राय की एक महीने की आमदनी का 3 गुना खर्च कल्याणी के एक रोज का ऋंगार का खर्चा है । डॉ बी सी राय निरूत्साहित हुए और उन्होंने कभी विवाह न करने का संकल्प किया और वे आजीवन विवाह नहीं किए ।
द्वितीय विश्व युद्ध के समय
बर्मा के गिरने के बाद जापानी सैनिकों का दक्षिण पूर्व से भारत में प्रवेश करने का डर था । उस समय ब्रिटेन को नेता जी सुभाष चंद्र बोस जी को भी रोकना था । तब 1944 में इसी समय भारत ने महसूस किया भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिलेगी ।
ब्रिटिश सरकार को मदद करने के लिए जापानियों से लड़ने के लिए नादिया जिला के पास अमेरिका ने एयरबेस कॉलोनी बनाया था और उसके पास सैनिकों के रहने के लिए प्रेसिडेंट के नाम पर रुजभेल्ट नगर भी बना था ।
युद्ध खत्म होने पर जब अमेरिकन सैनिक सब चले गये तो वह जगह बेकार सा हो गया । डॉ विधान चंद्र राय दूरदर्शी थे पूर्वी पाकिस्तान से रिफ्यूजी भी आ रहे थे । उन्होंने कोलकाता के आसपास सेटेलाइट शहर की आवश्यकता महसूस की । तब 1950 में इस बेकार जगह में कल्याणी स्मार्ट शहर की स्थापना किए।
राजनीति और सरकारी कार्य में रहने के वावजूद वे अपने प्रथम कर्म धर्म चिकित्सा सेवा और मुख्यमंत्री कार्यालय का काम अपनी मृत्यु तक निरंतर करते रहे । वे सदा प्रथम स्वयं को प्रथम चिकित्सक ही मानते और कहते थे।
नियति को कुछ और करना था। 01जुलाई 1962 के दिन कोलकाता में 80 वर्ष की आयु में हृदयघात से डॉ बिधान चंद्र राय जी की अचानक मृत्यु हो गई ।
01 जुलाई जन्म और परायण दिवस बना। उस दिन भी सुबह में उन्होंने मरीजों का ईलाज किया था और उसके बाद राजनीतिक कार्य को भी किये थे । अपने जीवनकाल में वे एक व्यस्त कुशल राजनीतिक के वावजूद सदा ही एक चिकित्सक ही बने रहे। उनके इस तरह अचानक जाने से देश- विदेश बहुत ही आहत और शोकाकुल हुआ । प्रसिद्ध समाज सेविका मदर टेरेसा भी डॉ राय के जाने से बहुत ही दुखी हुई। डॉ राय मदर टेरेसा के कार्यों में बराबर मदद किया करते थे ।भारत के लिए यह राष्ट्रीय शोक का दिवस हो गया । जनता ने अपने मसीहा का शरीर खो दी। पर वे एक पावन आत्मा सदा अमर हैं और रहेंगे। वे भारत के कण-कण में हैं। और उनके लिए श्रद्धा और स्मृति में
1 जुलाई को “राष्ट्रीय चिकित्सक दिवस” घोषित किया गया जो प्रत्येक वर्ष भारत में श्रद्धा और सम्मान से मनाया जाता है।
1967 में उनके सम्मान में “डॉक्टर बी सी राय स्मारक पुस्तकालय” की स्थापना की गई। डॉ राय के नाम पर नई दिल्ली चिल्ड्रेन बुक ट्रस्ट में बच्चों के पढ़ने का अलग कमरा बनाया गया।
1991 में डॉ बिधान चंद्र राय भारत के प्रसिद्ध चिकित्सक एव समाजसेवी के जनम और परायण दिवस प्रथम जुलाई को भारत सरकार ने
नेशनल डॉक्टर्स डे (राष्ट्र चिकित्सक दिवस )घोषित किया ।
उनके प्रति श्रद्धा और सम्मान का अति सुंदर निर्णय रहा।
चिकित्सा सेवा संसार के सबसे महान पेशा माना जाता है ।इस मान्यता और सोच का आदर करते हुए सभी डॉक्टरों को उनकी मानवता की सेवा के लिए कृतज्ञता प्रकट किया जाता है ।हमारा देश भारत यह मानता है कि लोगों के जीवन में डॉक्टरों की अहम भूमिका है और उनका कर्तव्य भी है । इसका उद्देश्य इस वार्षिक उत्सव से आम जनों को लोगों को उनके जीवन में डॉक्टरों / चिकित्सकों का महत्व और भूमिका बताना और जनों को जागरूक करना है ।
It is said that
“Presence of Doctor is beginning of cure’
यानी डॉक्टर की उपस्थिति इलाज की शुरुआत है । और विपरीत परिस्थितियों में भी डॉक्टर अपने कार्य को कभी नहीं रोकते हैं।
महान त्याग भरी जीवनी —
डॉ बी सी राय की जीवनी के बारे में कहा जाय तो,
अपना सारा जीवन चिकित्सा, शिक्षा, समाज सेवा, राष्ट्र के निर्माण उत्थान प्रगति के लिए समर्पित करने वाले डॉ बिधान चंद्र राय जी कभी विवाह ही नही किए। उन्होनें अपने मृत्यु के बाद अपने घर को भी अपनी माता के नाम पर अघोरकामिनी देवी नर्सिंग होम के लिए दान कर दिया था।
वे समय मिलने पर लिखते भी थे। उनकी लिखी हुई कुछ विशेष पुस्तकें समाज के लिए दिशा ज्ञान है। जैसे –अ पैसेज टे ग्लोबलाइजेशन, ग्लोबलाइजेशन, आइडैंटिटीज, साउथ एशिया डायसपोरा फिक्सन इन ब्रिटेन आदि।
डॉ बिधान चंद्र राय जैसे महापुरूष विरले ही धरती पर जन्म लेते हैं, जिनका जीवन जन समाज और देश की निस्वार्थ सेवा के लिए सदा समर्पित रहता है। वे भारत भूमि और विश्व में सदा अमर हैं और रहेंगे। वे हम भारतीय डॉक्टरों की गरिमा और मिसाल हैं। और हमारे हृदय में बसे हैं। मैं डॉ आशा गुप्ता अपने सभी चिकित्सक जन सहपाठियों मित्रों सहयोगियों के संग उन्हें श्रद्धा से कोटि कोटि नमन करती हूँ।
डॉ आशा गुप्ता “श्रेया ”
स्त्रीरोग विशेषज्ञ एवं साहित्यकार
जमशेदपुर
*आजीवन सदस्य इंडियन मेडिकल एसोसियेसन
*आजीवन सदस्य फेडेरेशन आफ गायनी एंड *आब्सटरेटिक सोसाइटी
*आजीवन सदस्य एंड ट्रेजरर जमशेदपुर गायनी एंड आब्सट्रेटिक सोसाइटी
*आजीवन सदस्य टाटा मेन हॉस्पीटल, जमशेदपूर
*अध्यक्ष झारखंड प्रदेश ,इंद्रप्रस्थ लिचरेचर फेस्ट ,नई दिल्ली
*अध्यक्ष झारखंड प्रदेश ,अखिल भारत कवयित्री सम्मेलन
*सदस्य गृहस्वामिनी अंतर्राष्ट्रीय पत्रिका
*ट्रस्टी सहयोग बहुभाषीय साहित्यिक संस्था, जमशेदपूर
*यूनेस्को आजीवन सदस्य
*आजीवन सम्मानित सदस्य द इंटरनेशनल सोसाइटी आफ पोएट्स, यू एस ए..
*संरक्षक संस्कार भारती, जमशेदपुर
*विभिन्न संस्थाओं की सदस्यता आदि आदि
डॉ आशा गुप्ता
जमशेदपुर, भारत