कोरोना और मैं
12 अप्रैल 2021 को मैं कानपुर से एक मुशायरा कर के वापस आई ।कहीं भी जाने से पहले मैं अपनी माता जी को जरूर बता कर और उनका आशीर्वाद लेकर जाया करती हूँ पर उस दिन मुझे डर था ,कोरोना फैल चुका था और मुझे पक्का पता था कि मेरे मम्मी मुझे जाने से रोक देगीं ।और वहाँ से बार -बार फोन आ रहे थे ।9 अप्रैल की शाम की 7 बजे की गाड़ी थी । 5 बजे तक ऊहापोह की स्थिति बनी हुई थी जाऊँ या नहीं?? मेरा बेटा जिसकी टिकट मेरे साथ बुक मैंने जबरदस्ती करवाई (सीधा बच्चा मेरी हर बात मान लेता है ) मुझे मना कर रहा था ।पर फिर से तोमर जी का फोन आया और बोले “आ जाईये कुछ नहीं है कोरोना वोरोना “और मैने जल्दी से बिना सोचे समझे तीन चार ड्रेस रखी और 7 बजे स्टेशन पहुंच गई ।हर समय चहल- पहल से सजा रहने वाला पानीपत का स्टेशन बिल्कुल सुनसान था । मुश्किल से तीन परिवार उस गाड़ी के इंतजार में थे और कुल 8 परिवार होगें जो किसी भी गाड़ी की इंतजार में थे।मन ने फिर से रोका डराया जैसा कि मेरे पापा कहा करते थे एक बार आत्मा जरूर टोकती है अगर हम कुछ ग़लत करते हैं ।पर झटक दिया दिमाग को और बैठ गये गाड़ी में ।
खैर तीन दिन का वो सत्र तो बेहद कामयाब रहा( उसकी चर्चा फिर कभी ) और फिर एक और घटना कि हमारी वापिसी की गाड़ी ने रास्ता बदल दिया और उसने हमें पानीपत नहीं अम्बाला उतारा दिया। अफ़सोस वहाँ
से इक्का दुक्का बस चल रही थी और गाड़ी 3 घंटे बाद थी ।किसी से डरते डरते लिफ्ट ली और हर- हर महादेव करते हम 13 सुबह वापस पहुँचे । पूरा बदन टूट रहा था,पेट खराब उल्टी हो रही थी । लगा थकावट और लम्बे सफ़र के कारण होगा अगले दिन सुबह ऑफिस जाने को तैयार हुई तो शरीर साथ देने से इंकार कर रहा था। बहुत दिनों से छुट्टी पर थी तो हाजिरी लगानी जरूरी थी फिर बेटे को साथ लिया हाजिरी लगाई ।भाई जो की खुद डॉक्टर है उसे सब बताया ।
उसने पूछते ही कहा अभी टेस्ट करवाओ हो तो आप पक्का पॉजिटिव, सिम्टम सारे वहीं हैं कुछ दवाइयाँ दी और मुझे क्वारटाइन होने की सलाह भी ।मेरे तो होश उड़ गये ।
16 शाम को रिपोर्ट आई जो बेशक पॉजिटिव थी । 14,15 को मेरा बुरा हाल था ।16 को आक्सीजन लेवल कम होने लगा ।बुखार उतरने का नाम ना ले और पूरा शरीर कड़क- कड़क कर रहा ।वो दो दिन पक्का लगा जैसे यह रात बस आखिरी है।
बेटी जो सिंगापुर में रहती है उसका फोन आया माँ बन कर जो डाँट पिलायी कि किससे पूछ कर मैं कानपुर गई और साथ उसके भाई को भी ले गई। ओहो मुझको डाँटा बहुत ।बस तब हुआ सिलसिला शुरू ऑक्सीमीटर, बीपी, टेम्परेचर ,नापने का ।पर हाँ जब 17 को मैंने सी टी स्केन करवाया और बाहर आई तो बेहोश हो कर गिरी पहली बार ।दूसरी बार 19 को पोट पर बैठते ही बेहोश हो गई और सर टिका दिवार से ।फिर तीसरी बार बाथरूम से निकलते हुये जोर से चक्कर आया और धड़ाम पत्थर के फर्श पर और पूरा माथा फटा ।तुंरत डॉक्टर भाई और कम्पाउंडर किसी ने अपनी परवाह ना करके मुझे संभाला और 12 टांकें लगे । मेरा बेटा हर पल डर के साये में जी रहा था और मेरे पति भी बेहद परेशान थे ।तभी उन दोनों का टेस्ट भी करवाया गया और वो भी पॉजिटिव हो गये ।मेरी हालत दिन पर दिन बिगड़ रही थी ।जैसे तैसे दिन तो बीत जाता था पर रात को बहुत डर लगता था ।फिर मेरे भाई अनूज कुमार ,गगन कुमार ,आशीष मुंजाल ,मेरी भाभियां सुनीता ,वाणी ,चेतना ,मीनल मेरी बहनें मोनिका ,सरिता मिनाक्षी ।मेरी दोस्त सरिता शर्मा संदीप शर्मा । खाना फल और हर जरूरत का समान बारी बारी से रोज पहुंचाते।हर वक्त एक गाड़ी या एक्टिवा मेरे दरवाजे पर रहती। परिवार का साथ खूब मिला। अहा हर रिश्ता बस समझ में आ गया। और मेरा डॉक्टर भाई अनमोलरत्न ,डॉक्टर भानजी डॉ आरसी हर 2 घंटे में मेरी रिपोर्ट लेते और उसके हिसाब से ही ट्रीटमेंट होता ।आधी रात म़े जब नींद खुलती तब मैं शिव चलीसा ,भजऩ ,और मेरे सिंगर दोस्तों द्वारा गाई मेरी ग़ज़लों को सुनना । एक दिन अचानक कूरियर से नई टी शर्ट का आना ।जो मेरे बेटे ने आर्डर की बोला आप पुराने कपड़ों में बीमार मुझे अच्छी नहीं लगतें ।अच्छे से तैयार होकर रहो इससे भी पॉजिटिविटी आती है । मेरे एफ़ बी के दोस्त विनोद कुमार मंजर तिवारी जी जिनकी बहन हो गई मैं हर रोज़ दो बार खबर लेते , मुसाफिर सर ,रितू मागो, ज्योत्स्ना राजोरिया, शिवराजोरिया जो छोटी बहन हो गई ।सत्यम आंनद जी ,संजय साक्षी जी डायरेक्टर मुंबई ,जो डांटते भी थे प्रणायाम के लिए ,और आज तक डांट रहें हैं ।दादा कृष्ण बक्शी ,डॉ सोनी कौशल फरहत आदरणीय सुशील साहिल जी ,ब्रजमोहन स्नेही जी ।यह वो लोग हैं जिन्होंने लगभग हर रोज मेरा हौसला तब भी बढ़ाया जब हर रोज़ लोग इस दुनिया को छोड़ कर जा रहे थे ।और मुझे नही लगता कोई इंसान छूटा होगा जिसने मुझे संदेश या फोन से हाल चाल नहीं पूछा , आदरणीय लक्ष्मी बाजपेई जी,मधुमधुमन , सुरेश नीरव जी ,सुरेश जी ,रिद्ज, अंजलि सिफ़र ,सपना अहसास ,अजय अज्ञात जी, राजीव नसीब जी,अंजनी जी ,विनोद नयन जी,,इंदू जी मनु जी,स्वरा ,रवि यादव जी और मेरा स्टाफ़ मेरे पुराने नये विण ना कुछ खाना ।दवाइयों से ज्यादा हजार गुणा जादू है प्यार में यह मैं पहले से जानती थी अब मानती हूँ।
अहसास बहुत बड़ी चीज है
मैं हूँ ना तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगा /दूँगी बहुत ताकत है इनमें ।अरे तुम ,तुम सोनिया हो तुम कैसे हार सकती । फिर टेस्ट हुआ हम तीनों की रिपोर्ट नेगेटिव आ गई ।23 दिन बाद जब मैं अपनी स्टडी में बैठी अहा दो ग़ज़ल एक साथ कही। सब ने कहा फोन बंद रखो पर मैं लिखना नहीं छोड़ सकती मुझे नशा है इसका जब रातों को नींद टूटती तो जरूर कुछ लिखती ।एक उपन्यास लिख डाला जल्दी ही छपेगा ।(कुंवारा इश्क)
अपने अनुभव से यही कहूंगी-
1-किसी भी कीमत पर घर से नहीं निकलना चाहिए।
2- किसी खास को बता कर निकलना अगर मजबूरी हो तो ।
3-जो भी बीमारी है उसको हर तरह से साथ देना ।
4-अपने मन को बेहद खुश रखना और जिससे सबसे ज्यादा प्यार करते हो उनके बारे में सोचना कि आपको हर हाल में यह जंग उनके लिए जीतनी है ।
5-डॉक्टर की हर बात मानना और नीम हकीम से दूर रहना।
6-रात को जब तक गहरी नींद ना आ जाये मनपंसद काम करना या नींद की दवा लेना ।
8-प्राणायाम ,स्टीम ,और गरारे करना ।
9- अपने आप को बीमार की तरह नहीं रखना अच्छे से हल्के साफ़ कपड़े पहनना और थोड़ा सा पर्फ्यूम लगाना
सबसे जरूरी है।
10-अपनी जंग के अभिमन्यु खुद बनना है ।
मैं और मेरा परिवार यह जंग जीत चुके हैं ।ईश्वर से हाथ जोड़ मस्तक झुका निवेदन है किसी मां की गोद सूनी ना हो ।
इस समय तीन चीज -इच्छाशक्ति,डॉक्टर और हर हर महादेव
सोनिया अक्स
पानीपत