जीने की ललक

जीने की ललक

रेमडेसिविर दिया जा चुका था। डॉक्टर को उम्मीद थी वो बच जाएगा। मगर आज उसका ऑक्सीजन लेवल बहुत गिर गया था। वो बार बार ऑक्सीजन मास्क को उतार फेंक रहा था। और एक ही रट लगाए जा रहा था, “मैं नहीं बचूँगा मुझे घर जाने दो बच्चों को एक बार देख लेने दो, बस घर जाने दो, राजीव भी मर गया, विवेक भी मर गया, वो भी नहीं बच पाए मुझे जाने दो एक बार बीवी बच्चों से मिल लेने दो।”

नर्स ने घबरकार डॉक्टर को फोन लगाया। वो उम्रदराज डॉक्टर दौड़कर आया। उसने आकर विजय का हाथ पकड़ा। “विजय क्या हुआ मुझे बताओ, क्यों इतना डर रहे हो।” “डॉक्टर मुझे घर जाने दो, एक बार बच्चों से मिल लूँ , मैं नहीं बचूँगा बस एक बार बीवी बच्चों का मुँह देख लूँ, फिर मर गया तो अफसोस नहीं होगा।”

“अच्छा ये बात है, इतनी सी बात से घबरा रहे हो, कोई बात नहीं हम अभी तुम्हें घर भेज देते हैं, पर एक बार मेरी बात सुन लो अच्छा लगे तो ठीक नहीं तो मैं खुद तुम्हें घर छोड़ आऊंगा।” विजय ने मौन स्वीकृति दे दी।
“विजय मैं 60 से ऊपर जी चुका हूँ, बहुत पेशेंट ठीक किये, कुछ को बचा न सका क्योंकि वो खुद से न लड़ सके। कुछ ऐसे थे जिनका बचना तय था वो चले गए, कुछ थे जो बच ही न सकते थे पर आज भी जिंदा हैं, जानते हो तुम्हारे बीवी और बच्चों ने खाना तक छोड़ रखा है, इस उम्मीद में कि तुम बच जाओगे और वो तभी पेटभर खाएंगे जब तुम उनके साथ होगे, उन्हें इस बात पर यकीन है तुम्हें कुछ न होगा और तुम ये मन में धारण कर चुके हो कि तुम बच नहीं सकते, मुझे तुमने बताया था, तुम्हारा बेटा बहुत अच्छा बाजा बजाने लगा है तुमने उसके यूट्यूब वीडियो भी बनाएं है, तुम्हारा छोटा बेटा साइंस के अच्छे प्रोजेक्ट बनाता है, तुमने बताया था पिछली बार उसे अवार्ड भी मिला है, एक बार इतना सोच लो अब वो बच्चे आकर किसको रिपोर्ट कार्ड दिखाएंगे किसको अपने अवार्ड्स दिखाएंगे, तुम्हारी बीवी की जो फोटो तुमने अपने व्हाट्सअप प्रोफाइल पर लगाई है कितनी सुंदर लग रही है, जब तुम न रहोगे तो उसके ये सारे रँग धुल जाएंगे वो पूरा जीवन तुम्हारी विधवा के रूप में बिताएगी, जब भी कोई विशेष अवसर होगा मसलन तुम्हारे बच्चों की शादी ही तो वो खुश न होगी तुम्हें याद करके रोयेगी, क्योंकि तुम नहीं होगे, जब आसमान में बादल गरज कर बिजलियाँ कड़कती हैं तो तुम्हारे बीवी बच्चे तुमसे लिपट कर सोते हैं वो तुम्हारे साथ खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं, पर तुम इतने कमजोर निकले की टूट रहे हो हार रहे हो, हमारी रिपोर्ट्स कहती हैं कि तुम 7 दिन में ठीक हो जाओगे और तुम्हें खुद पर यकीन नहीं है , जब यहां तुम्हें लाया गया था, तुम्हारे भाई साहब ने बताया था कि तुमने एक कोबरा को हाथ से पकड़कर दूर फेंक दिया था क्योंकि वो तुम्हारे बच्चे को काटने वाला था, तब तुम्हें डर न लगा कि उसके काटने से तुम्हारी जान चली जायेगी, क्योंकि तुम्हें अपने बच्चे को बचाना था, तुम्हारे बाद कौन बचाएगा उन्हें, सोचो और फिर मुझे बताओ मुझे यकीन है तुम अब ऑक्सीजन मास्क नहीं फेंकोगे और अपनी दवाईयां समय पर लेकर अपने बच्चों के लिए जियोगे, अब मर्जी तुम्हारी है , बाकी अगर तुमने सोच लिया है तुम मर जाओगे तो दुनिया का कोई डॉक्टर तुम्हे नहीं बचा सकता, वरना तुम को ये मेरा वादा है तुम अगले सात दिन में स्वस्थ होकर अपने घर चले जाओगे, अब मैं चलता हूँ मुझे और भी मरने वालों सम्भालने हैं।” कहकर डॉक्टर वहां उठा विजय के पर्स से उसकी फैमिली फोटो निकाल कर विजय को दी और वहाँ से चला गया।

आज विजय ठीक होकर घर जा रहा था, वो डॉक्टर के पैरों में गिर गया “मुझे आपने बचा लिया।” “तुम्हें तुम खुद ने बचाया है विजय बीमारी और भी बहुत हैं पर हम डर इससे सबसे ज्यादा रहे हैं जाओ अपने बच्चों के लिए जिओ खुश रहो।” ये सुन विजय की आँखें भर आईं।

संजय नायक”शिल्प”
राजस्थान

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