प्रभु राम की अयोध्यापुरी

प्रभु राम की अयोध्यापुरी

अयोध्या में राम लला की घर वापसी पर प्रभु राम को समर्पित कुछ पंक्तियाँ

आज अयोध्या धाम सजा है दीपों से राम
हर दीप में जगमग करता है प्रभु का नाम
धरती पुण्य दिशायें गुँजे देखो है आकाश
पावन सरजू लहर कहे पुनीत हुआ ये काम ।

भारतवर्ष के इतिहास में 5 अगस्त 2020 का दिन सुनहरे अक्षरों में लिखा गया दिवस है। ये अत्यंत गौरव की बात है कि भारत के आत्मा में जो सदा निवास करते हैं , जो अपने भक्तों के हृदय में सदा धड़कते हैं , प्रभु श्री राम जी को उनकी जन्मभूमि अयोध्या में रामलला के लिए भव्य मंदिर का शिलान्यास भारत के प्रधान मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के करकमलों द्वारा किया गया ।इस पुण्य कर्म को हमसबों ने मीडिया द्वारा साक्षात देखा और घर बैठे ही प्रभु रामलला और हनुमान जी का दर्शन किया । यह ईश्वर प्रदत विश्व में विष्णुरूप अवतार राम कृष्ण भक्तों के लिए आशीष उपहार है । 500 वर्षों से अयोध्या की विवादित समस्या का आखिर निदान हुआ। 1992 दिसम्बर जब विवादित ढा़ँचा टूटा था , तब 1993 जनवरी, फिर 2019 जनवरी में भी मैं और मेरे पति अयोध्या हनुमान गढी़ और रामलला के दर्शन को गये । अयोध्या की दशा देखकर हृदय भर आया । अयोध्या सातपुरियों में से एक वर्णित पुरी है,पर दशा देख और इतने बर्षों तक तंबु में रामलला को देख हृदय और आँखें द्रवित हो उठी थी । हृदय ने प्रार्थना किया प्रभु सही न्याय हो ,सद्बुद्धि जागे आपका मंदिर बनें और हम दोनों आपके दर्शन को सपरिवार शीघ्र ही आयें।

आज की अयोध्या पूरी का इतिहास का वर्णन सतयुग से है। पुराणों के अनुसार सतयुग के सत्यवादी धर्मपरायण 37 वें सूर्यवंशी (इक्ष्वावुवंशी) राजा हरिश्चंद्र अयोध्या के राजा प्रभु श्री राम के पुर्वज थे ।
यूनीक एग्जीबिशन अॉफ कल्चरल कॉन्टिन्यूटी फ्रॉम ऋग्वेद टू रोबोटिक्स एग्जीबिशन के अनुसार त्रेतायुग में विष्णु अवतार प्रभु श्री राम जी का जन्म 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व सुबह बारह बजकर पाँच मिनट (12.05 AM) में हुआ था ।
इक्ष्वाकु वंश प्राचीन भारत के शासकों का एक वंश है ,और इनकी राजधानी अयोध्या थी । प्राचीन काल में अयोध्या को “कौशल देश” कहा जाता था । और रामायण और रामचरित मानस में राम जी को कोसलपुर राजा कहा गया है।

“अष्टचक्रा नवद्वारा देवानां पूरायोध्या” वेद में वर्णित अयोध्या ईश्वर प्रभु राम की नगरी मनु ने स्थापित की थी । मोक्षदायी सप्त पुरियों में से एक पुरी अयोध्या है । भारत के उत्तर प्रदेश में धार्मिक नगर अयोध्या सरजू नदी के किनारे बसा सूर्यवंशी /रघुवंशी राजाओं की राजधानी थी । यह प्रमुख मंदिरों का शहर है ।अयोध्या का अर्थ है “जहाँ कभी युद्ध नही होता” ।युगों से ये सर्व ज्ञात है कि भगवान राम ने अयोध्या में अवतार लिया था। यहाँ हिंदु मंदिरों के अति पुराने अवशेष सदा देखे जा रहें हैं। जैनों के पांच तीर्थोंकरों का ऋषभनाथजी ,अजितनाथ जी
अभिनंदनाथ जी,सुमतिनाथ जी और चौदहवें अनंतनाथ जी का जन्म यहीं हुआ था । उक्त सभी तीर्थकार और भगवान प्रभु श्री राम जी इक्ष्वाकु वंश के थे । क्षत्रियों में दशरथी रामचन्द्र अवतार के रुप में सदा ही पूज्नीय हैं। सातवीं शताब्दी में चीनी यात्री हेनसांग अयोध्या आया था,और उसके अनुसार उस समय यहाँ 20 बौद्ध मंदिर और 3000 भिक्षुक थे।

रामायण और रामचरित मानस के अनुसार प्रभु श्री राम की जन्म भूमि अयोध्या है । और उनके जन्मस्थान पर सदा ही एक भव्य मंदिर था ,जिसे मुगल आक्रमणकारी बाबर ने तोड़कर 1525 में वहाँ मस्जिद बना दिया था । और तबसे राम जन्मभूमि विवाद शुरू हुआ । हिंदुओं के लिए यह अति पीडा़दायक स्थिति थी ।
वर्ष 1853 में हिंदुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर विवाद शुरू हुआ। तब विवाद को देखते हुए अंग्रेजों ने 1859 में नमाज के लिए मुसलमानों को अंदर का हिस्सा और हिंदुओं को पूजा के लिए बाहर का हिस्सा उपयोग में लाने को कहा ।

फिर 1949 में अंदर के हिस्से में भगवान राम की मूर्ति रखी गई । तनाव देखते हुए सरकार नें इसके गेट पर ताला लगा दिया ।
1986 में जिला न्यायाधीश नें विवादित स्थल को हिंदुओं की पूजा के लिए खोलने का आदेश दिया और मुस्लिम समुदाय ने इसके विरोध में बाबरी मस्जिद एक्शन कमिटी बनाई । 1989 में विश्व हिंदु परिषद ने विवादित स्थल से सटी जमीन पर राम मंदिर की मुहिम शुरू की ।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनता पार्टी ने इस स्थान को मुक्त करने और एक नया राम मंदिर बनाने के लिए एक नया आन्दोलन शुरू किया ।
6 दिसम्बर 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचा बाबरी मस्जिद गिराई गयी और वहाँ श्री राम का एक अस्थायी मंदिर स्थापित कर दिया गया ।परिणाम स्वरुप देशव्यापी दंगों में करीब 2000 लोगों की जान गयी।
इसके दस दिनों बाद 16 दिसम्बर 1992 को लिब्रहान आयोग गठित किया गया और तीन माह में रिपोर्ट पेश करने को कहा गया,पर इसमें आयोग ने 17 साल लगाए।

अयोध्या विवाद एक राजनीतिक ,ऐतिहासिक और सामाजिक-धार्मिक विवाद है,जो नब्बे के दशक में सबसे ज्यादा उभरा ।इसका असल मुद्दा राम जन्मभूमि और बाबरी मस्जिद की स्थिति को लेकर रहा। विवाद का कारण था कि क्या हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर वहाँ मस्जिद बनाया गया या मंदिर को मस्जिद रूप में बदला गया । राजनीतिक रैली के दौरान में 6 दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद टूटने के बाद राम मंदिर बनाने के लिए कारसेवा आयोजन किया गया और भक्तगण राम मंदिर निर्माण में श्रमदान के लिए संगठित हुए थे। इस मामले पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा 30 सितंबर 2010 में फैसला आया,कि अयोध्या की 2.77 एकड़ भूमि को तीन भागों में विभाजित किया जाएं और एक तिहाई 1/3 राम लला यानी हिंदु महासभा, 1/3 सुन्नी वफ्फ बोर्ड,और 1/3 निर्मोही अखाडा़ को दिया जाएं ।

134 साल पुराने अयोध्या मंदिर विवाद 9 नवंबर 2019 को अयोध्या विवाद को पाँच जजों की मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगाई जी की अध्यक्षता में संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से अपना फैसला सुनाया।इसके तहत 2.77 एकड़ की पूरी विवादित जमीन राम मंदिर निर्माण के लिए दिया गया कि 3 माह में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाएं।मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ जमीन विवादित जमीन से दुगुना दिया गया।चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही राम का जन्म स्थान है ,और हिंदुओं की ये आस्था निर्विवादित है। रामलला जमीन का स्वामित्व केंन्द्र सरकार के पास रहेगा ।

फैसले के मुख्य बिंदु

1.ढहाया गया ढांचा भगवान राम का जन्म स्थान है ।

2.सुन्नी वक्फ बोर्ड विवादित जमीन पर अपना दावा साबित करने में विफल रहा ।

3 मीर बकी नें बाबरी मस्जिद बनाई थी ।वो खाली जमीन नही था।मस्जिद के नीचे का ढांचा इस्लामिक नहीं था ।

4..16 वीं शताब्दी का तीन गुंबजों वाला हिंदु कारसेवा ने राम मंदिर बनाने के लिए ढहाया था और इस गलती को सुधारा जाना चाहिए था ।

5.हिंदु विवादित जगह को राम जन्मस्थान मानतें हैं। मुस्लिम भी यही कहते हैं।प्राचीन यात्रियों द्वारा लिखी किताबें और प्राचीन ग्रंथ अयोध्या को राम जन्मभूमि दर्शाते हैं।सीता रसोई ,राम चबूतरा और भंडार गृह की मौजूदगी इस स्थान की धार्मिक वास्तविकता के सबूत हैं।

6.एएसआई के रिपोर्ट अनुसार मस्जिद के नीचे का ढांचा इस्लामिक नही था। आर्कियोलोजिकल सर्वे अॉफ इंडिया ने इसकी पुष्टि की।

डॉ आशा गुप्ता
जमशेदपुर, झारखंड

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