आओ करें हम जल का दान
मूख से मरे ना कोई
बिन भोजन तरसे ना कोई
कृषको का श्वेत रक्त थोड़ा अल्प बहे
बंजर बसुंधरा की प्यास बुझानेको
आओ करें हम जल का दान!!
निमुह नीरीह पशुओं और गैया को
खग चीं चीं कुहु गौरैया को
शस्य श्यामला धरती मैया को
आओ करें हम जल का दान!
राह चलते पथिक बटोही को
तृष्षित तपस्वी योगी को
सड़को पर,
जीवन हेतु संघर्ष शील श्रम बल को
आओ करें हम जल का दान!
तपती घरती और सड़को को
बगिया के काँटे और कोमल फूलों को
लान के हरी भरी मखमली दूबों को
आओं करें हम जल का दान!
अगर कुछ नहीं भी
हम सब से हो सके तो,
दया प्रेम मानवता
लोभ लालच के लू मे झुलस कर
जलकर राख हो ना जाए।
अपने निर्जल नयनों को
आओ करें हम जल का दान!
कुमुद”अनुन्जया”
साहित्यकार
भागलपुर, बिहार