शिव प्रेम स्वरूप
प्रेम की बात हो और मोहन का नाम ना आए ऐसा विरले ही होता है। ज्यादातर लोग कान्हा को ही प्रेम का पर्याय मानते हैं। पर मैं, मुझे सदैव से ही ‘शिव’ प्रेम की पराकाष्ठा के स्वरूप लगे हैं। सभी कुछ देखा, सहा, जिया है शिव ने। इस संसार में प्रेम की उतनी परिभाषाएं हैं जितने के इस ब्रह्माण्ड में तारे हैं।
पर आजकल ज़रा सी बात पर लोग गलतफहमी पाल लेते हैं, झगड़ लेते हैं, अलग हो जाते हैं या जान तक देने की कोशिश करते हैं। उन सभी को सीखना चाहिए शिव से।
कैसे शिव सम होना चाहिए, उनके जैसे सीधे, भोले, सब की सुनना सब पर प्रेम बरसाना चाहिए। कैसे प्रेम की विरह अग्नि को सहना चाहिए और निरंतर अपनी जीवन साधना में लीन रहना चाहिए।
भोलेनाथ से लेकर अघोरी तक कई अनंत नाम शिव ने पाए। शिव सा अटूट प्रेम कोई कहां कर पाया है? उन्होंने सती से विवाह किया, उन्हें वो सब दिया जिसकी उनको आस थी। सती की मृत्यु पर, प्रेम से विरह की असहनीय पीड़ा को सहा और विरक्ति की ओर बढ़े, साधना में लीन। पार्वती ने जब शिव को अपना माना, उन्होंने अपनी भक्ति एवं तप से शिव के अंतर में प्रेम की वो अलख पुनः जगाई।
संसार को शिव ने बताया प्रेम में रहना, उसके विरह को सहना और पुनः प्रेम हो जाना कैसा होता है। उन्होंने दिखलाया है विवाहित होकर सांसारिक और आध्यात्मिक स्तंभों के बीच कैसे तालमेल बिठाया जाता है।
तो तुम सब जो प्रेम में प्रतीक्षा का अमृत तत्व है उसे समझो, प्रेम में उन्मुक्तता की महत्ता का पर्याय बनो। तुम सब जो, ये मान कर कि प्रेम केवल एक मिथ्या है पाषाण हो जाना जाना चाहते हो, इस सत्य को स्वीकार करो कि प्रेम एक सकारात्मक ऊर्जा है जो सबके लिए है और सबकी है। आत्मा का मूल तत्व ही प्रेम की साधना पर टिका होता है। तुमको ही आनेवाली पीढ़ी को बतलाना है कि प्रेम से विश्व जीता जा सकता है।
प्रेम केवल एक छोटा सा शब्द नहीं, बल्कि एक व्यापक विचार और संस्कृति है। प्रेम में होना, स्वयं के लिए भी आवश्यक है, तभी हम स्वयं को पाते हैं, प्रसन्नचित रहते हैं और सबको खुश रख पाते हैं। अतः तुम सब भी प्रेम पर विश्वास करो और अधिक संवेदनशील व्यक्ति बनने के मार्ग पर अग्रसर हो।
इं. अंकिता बाहेती
क़तर
(लेखक, विज्ञान प्रचारक)
इनकी कई अंतरराष्ट्रीय, राष्ट्रीय पत्र पत्रिकाओं में, (हिन्दी, अंग्रेजी) अनेक साझा संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हुई हैं। एक साझा कविता संग्रह का संपादन किया है। वर्तमान में दोहा, क़तर में साहित्यकार के साथ स्वतंत्र शिक्षिका और विज्ञान संचारक की भूमिका निभा रही हैं।