हिन्दी
बचपन मे तुतलाकर बोली,वो मधुर से बोल हिन्दी
अम्मा ने ‘माँ’ ‘माँ’ सिखलाया,प्यार का रस धोल हिन्दी
दिल से आंँगन तक बहती नद,प्रीत की वह जीत हिन्दी
उत्तुंग हिम शिख की ऊंचाई,धवल मणिकांत सी हिन्दी
हिन्द महासागर गहराई,रत्न जो निपजाय हिन्दी।
इसमेंअमृत सी मिठास है,सूरज की उजास हिन्दी
‘भारतेंदू’ ‘प्रेम’ महावीर’,ने भरे भंडार हिंदी।
बरदाई खुसरो दिनकर ने,जो किया श्रंगार हिन्दी
माखनलाल,मैथिलीजीने,जिसे दिया निखार हिन्दी
महादेवी दिनकर शुक्ल सब,नित ही सोहराय हिंदी
अपनी रचनाओं से इसका,डंका सदा बजाते हैं
कितने कलमकार हिंदी को,अब परवान चढाते हैं
सरस्वती माता ने अशीष,नित हिन्दी पर बरसाया
तुलसी,सूरदास,मीरा ने,भक्ति अभिसिक्त फल पाया
दुनियाँ में पांच प्रतीशत जब, हम दिवस मनाये हिन्दी
क्यो नहीं बनसकती हमारी, राष्ट्र भाषा मात हिन्दी
अद्भुत उच्चारण शैली है,वैज्ञानिक उद्गार है हिन्दी
हिन्द राजभाषा कहलाती,भाष का सरताज हिंदी
तुंग अस्मिता है हिन्दी की,सदा गर्वित रहे हिंदी
भारत भाल पर स्मीत करती,गुरु सम पूज्य रहें हिंदी
डॉ कमल वर्मा
रायपुर भारत