हमारी मातृ भाषा हिंदी
हिन्दी हमारी मातृभाषा सरल ,सुन्दर और प्रभावशाली।
समृद्ध भी है, साहित्य अपार है।
फिर भी उपेक्षित, निम्न, और कंगाल
है।अपने बच्चों द्वारा ही तिरस्कार है।
अभिवादन, प्रशंसा, धन्यवाद सभी पर, विदेशी का अधिकार है।
धीरे-धीरे घरों मैं बढ़ रहा इसका व्यवहार है।
लिखित कथन अंग्रेजी वर्णमाला
पर निसार है। यही प्रगति रही, देवनागरी भूतकाल
हो जाएगी। और फूहड़ की भांति हिन्दी,अंग्रेजी
में लिखी जायेगी। देवनागरी के पतन पर हृदय
बारंबार रोया है ।कर्तव्य है हमारा हिन्दी का ,
दैनिक जीवन में करे व्यवहार
अपनी भाषा हिंदी पर ना हो शर्मिंदा
करे अभिमान, करे अभिमान।
हिंदी
संपूर्ण विश्व की जनसंख्या लगभ ग 800 करोड़ है । 8 करोड़ लोग हिंदी भाषी हैं ।भारत में 22 भाषाएं और 72506 लिपि हैं। इतनी भाषाओं में केवल हिंदी ही है, जो सब को जोड़ती है। हिंदी अभी तक भारत की राष्ट्रभाषा नहीं बन पाई।यह राज्य भाषा है। हिंदी के विकास के लिए सरकारी कार्यालयों में हिंदी का प्रयोग हो रहा है। हिंदी भाषा की उपेक्षा को रोकने के लिए, हिंदी दिवस कार्यक्रम आरंभ हुआ। 10 जनवरी को विश्व हिंदू दिवस मनाया जाता है ।1975 से विश्व हिंदू सम्मेलन का आयोजन आरंभ हुआ। प्रथम आयोजन नागपुर में हुआ। इसमें 30 देशों के 122 प्रतिनिधि शामिल हुए ।
विश्व हिंदी दिवस मनाने का उद्देश्य विश्व में हिंदी का प्रचार प्रसार है।
14 सितंबर 1949 को संविधान सभा में पारित हुआ कि देवनागरी में लिखी हिंदी , राजभाषा है। पूरे देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।
विद्वान राहुल सांकृत्यायन कहते हैं कि इस विशाल प्रदेश के हर भाग में शिक्षित ,अशिक्षित नागरिक सभी हिंदी को समझते हैं।
जार्ज ग्रियर्सन के अनुसार हिंदुस्तान की राष्ट्रभाषा हिंदी या हिंदुस्तानी है।
हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का, एक गुट विरोध कर रहा था। विदेशी भाषा को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्ष में थे परंतु हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के पक्ष में नहीं। दक्षिण और पूर्व भारत में हिंदी का विरोध अधिक हुआ। अंग्रेजी के अंकों को राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता है। परंतु हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने का पर एकमत नहीं है।
आजादी के समय देश में 14 भाषाओं को राजकीय मान्यता थी। अब 22 भाषाओं को सरकारी मान्यता है। चिंता का विषय है कि देवनागरी लिपि के स्थान पर अंग्रेजी लिपि में हिन्दी लिखी जा रही है। आप सभी से प्रार्थना है कि देवनागरी लिपि का प्रयोग करें ।केवल हिंदी दिवस मनाने से हिंदी का विकास सम्भव नहीें है। यह विकास तभी होगा जब हिंदी भाषा और देवनागरी का प्रयोग होगा।
उर्मिला अग्रवाल
पश्चिम बंगाल,भारत